ANIMAL WELFARE

Sunday 30 August 2020

गुजरात की गौशालाओं के विकास हेतु 100 करोड़ रुपए का अनुदान - भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता स्वयंसेवी संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी-गिरीश जयंतीलाल शाह ने मुख्यमंत्री को बधाई दिया

 


मुंबई (महाराष्ट्र):डॉ. आर.बी.चौधरी  

गौ सेवा एवं गौ संवर्धन के लिए समर्पित गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री विजय भाई रुपाणी ने प्रदेश के गौशालाओं एवं पंजरापोलों के लिए 100 करोड़ के अनुदान का प्रावधान किया है। इस संबंध में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता स्वयंसेवी संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह ने गुजरात के मुख्यमंत्री को आभार प्रकट करते हुए इसे आदर्श कार्य कहा है।

समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी, गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि गुजरात के मुख्यमंत्री , विजयभाई रूपानी जी और नायब मुख्यमंत्री नीतिनभाई पटेल का 2020 के बजट में 100 करोड़ रुपए का प्रावधान गुजरात की पांजरापोल के विकास के लिए घोषित किया। इसलिए गुजरात राज्य के सभी पांजरापोल के ट्रस्टी की ज़िम्मेदारी होती है। शाह ने अनुरोध किया है कि सरकार के नीति नियम मुताबिक़ काग़जात प्रस्तुत करके रक़म उपयोग में ले लेना चाहिए। आगे उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि गुजरात के सभी पांजरापोल के ट्रस्टीमंडल तुरंत कार्यवाही करे और इस योजना को सम्पूर्ण सफलता प्रदान करे ।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्य राज्यों के सभी पांजरापोल के ट्रस्टी अपने स्थानिक सांसद महोदय और स्थानिक विधानस सभा के माध्यम से या अपने राज्य के मुख्यमंत्री और वीत मंत्री से मिलकर आपके राज्य में भी इस प्रकार की योजना लागू क़राने की कोशिश करे। केंद्र सरकार को भी ओर्गानिक फ़ार्मिंग को बढ़ावा देना हो और पशुपालक को वाक़ई में मदद करनी हो तो गाँव गाँव के गोचर विकास और भारत की सभी पांजरापोल के विकास का मास्टरप्लान अमल करना होगा।

गुजरात में गौ सेवा एवं गौ संवर्धन के बारे में बहुत अधिक जागृति है। विश्व में गुजरात राज्य में स्थित पालीताना एक ऐसा कस्बा है जो शुद्ध शाकाहारी है। गुजरात में कार्यरत गौ सेवा एवं गोचर विकास बोर्ड कि कई उपलब्धियां देश के अन्य प्रदेशों के लिए उदाहरण है। लॉकडाउन के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री ने गौ सेवा के लिए यह अनुदान स्वीकृत  कर सबका मन मोह लिया। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य एवं समस्त महाजन संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश  जयंतीलाल शाह ने मुख्यमंत्री के निर्णय  के लिए बधाई दिया है और अनुरोध किया है कि गुजरात में इसी प्रकार से पशु कल्याण की सेवाएं करते रहे।

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Thursday 13 August 2020

भारत में पशु कल्याण पर जागरूकता एवं जनसंचार

Jump to navigationJump to searchभारत में पशु कल्याण पर पत्रकारिता एवं जनसंचार का कार्य वर्ष 1980 के दशक के दौरान शुरू हुआ। इस दिशा में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोकप्रिय प्रकाशन सेवाग्राम जर्नल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हिंदी में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विज्ञान पर प्रकाशित पत्रिका पशुपालक गाइड के प्रकाशन से आरंभ किया गया। जिसमें , पशु कल्याण तथा जानवरों के अधिकार के मुद्दों पर शामिल किए गए और बाद में यह प्रकाशन नए अनुसंधान और तकनीक पर आधारित विषय के प्रकाशन को अत्यधिक प्राथमिकता दिया। इसी क्रम में वर्ष 1986 से हरियाणा राज्य में स्थित करनाल से भारतीय कृषि अनुसन्धान पत्रिका के पहले संस्करण की शुरुआत एग्रीकल्चरल रिसर्च कम्युनिकेशन सेंटर द्वारा वर्ष 1986 से किया गया जिसमें कृषि और पशु विज्ञान अनुसंधान के साथ-साथ पशु कल्याण भी शामिल किए गए ।

वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से पशु पोषण पर पहली शोध पत्रिका -पशु पोषण अनुसंधान दर्शन(हिंदी त्रैमासिक) का प्रकाशन डॉ. आर. बी. चौधरी द्वारा आरंभ किया गया।   इस दिशा में सड़क पर छोड़े गए जानवरों की रक्षा करने और उनके देखभाल संबंधी सूचना प्रसारण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। पशु कल्याण पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जमीनी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने का कार्य किया [1] [2]। और पशु कल्याण पत्रकारिता और संचार में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया। डॉ. चौधरी भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रकाशन एनिमल सिटीजन(अंग्रेजी त्रैमासिक),जीव सारथी (हिंदी त्रैमासिक) एवं हिंदी अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले मासिक समाचार पत्रक एडब्ल्यूबीआई न्यूजलेटर लगातार दो दशकों तक संपादन किया[1]।

डॉक्टर चौधरी गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से पशु पोषण में स्नातकोत्तर की डिग्री के दौरान सूखे एवं पोषण विहीन चारे को फफूंद का उपयोग करके गोवंशीय पशुओं के लिए सबसे सस्ता और पौष्टिक आहार का अनुसंधान कार्य किया । इसी प्रकार डॉ चौधरी के डॉक्टरल अध्ययन के दौरान पता लगाया कि गायों के दूध निकालनें  के लिए ऑक्सीटोसिन हार्मोन द्वारा दूध उतारने दुरुपयोग किया जाता था जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए घातक होता है और दूध भी पीने लायक नहीं रह जाता है। वर्ष वर्ष 2011 में डॉ चौधरी के डॉक्टरल  रिसर्च से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड  द्वारा ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया के सामने रखा गया और ऑक्सीटोसिन के बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। [3] [4 ]।

डॉ चौधरी वर्ष 1994 में देश में पशु कल्याण के बेहतर प्रचार प्रसार हेतु रॉयल सोसाइटी फॉर क्रुएल्टी टू एनिमल्स, यूके (1994 -1996) द्वारा प्रायोजित पशु कल्याण पर प्रशिक्षण शिविर के आयोजन के लिए बतौर  पशु कल्याण शिक्षा अधिकारी के रूप में कार्य किया और वर्ष 1994 में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड में अधिकारी नियुक्त किये गए । इसी प्रकार भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के पत्रिकाओं के सम्पादन कार्य (1997-2020) किया। इस बीच सरकार की नीति के अनुसार डॉ. चौधरी मिडिया हेड के रुप में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में भी योगदान दिया।  सहायक सचिव (2007-2010) और संकाय प्रभारी- राष्ट्रीय पशु कल्याण संस्थान (2012) के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई।  डॉ चौधरी वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग द्वारा  सलाहकार नियुक्त किया उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग  के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता एनजीओ - प्रशिक्षण, मीडिया और शिक्षा के लिए "समस्त महाजन" के सलाहकार का भी सम्मान प्रदान किया गया [1][2][3]।

पशु कल्याण अनुसंधान, शिक्षा और संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. चौधरी को कृषि विज्ञान परिषद पुरस्कार (1982), ऋषभ पुरस्कार (2001), पशु कल्याण फैलोशिप पुरस्कार (2004) और वर्ष 2013 में न्यूज पेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा सम्मानित किया गया। पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान पर प्रकाशित होने वाली  पत्रिका पशुधन प्रहरी ने  वर्ष 2020 में  डॉ चौधरी को  पशु कल्याण के दिशा में  शिक्षा , प्रचार प्रसार एवं अनुसंधान  के उल्लेखनीय योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया है। पशु कल्याण  के नवीनतम जानकारियों के  प्रचार- प्रसार के लिए "एनिमल वेलफेयर" नामक  भारत की अग्रणी हिंदी मासिक पत्रिका का  प्रकाशन एवं संपादन कर रहे हैं।

संदर्भ:

https://hi.wikipedia.org/s/igt7 

Monday 10 August 2020

समस्त महाजन अयोध्या में जीव- दया केंद्र स्थापित करेगा -अयोध्या की पवित्र भूमि अब भारत की एक नई इतिहास बन गई : गिरीश जयंतीलाल शाह

10  अगस्त 2020; मुंबई (महाराष्ट्र) : डॉक्टर आर बी चौधरी

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए ऐतिहासिक भूमि पूजन सम्पन्न होते ही  सिर्फ  भारत नहीं समूचे विश्व में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। समूची दुनिया में यह माना जाता है कि रामायण की कथा में  वर्णित  भगवान  श्रीराम और सीता  की भूमिका  दुनिया को एक ऐसे आदर्शमय  जीवन की सीख देता है  जहां  सियाराम की  भूमिका  एक ऐसे आदर्श  पुरुष के रूप में है जिसके जीवन में  राजधर्म से बड़ा कुछ नहीं  है।  समस्त महाजन के  मैनेजिंग ट्रस्टी  गिरीश  जयंतीलाल  शाह  ने बताया कि अयोध्या की पवित्र  सभी धर्मों के लिए एक इतिहास बन गई  जहां से लोग अब  सामाजिक समरसता एवं  सर्व धर्म की  सीख प्राप्त करेंगे। समस्त महाजन इस आयोजन के बाद यह निर्णय लिया है की  अयोध्या में  यात्री निवास एवं जीव  दया केंद्र  स्थापित करेगा।

उन्होंने बताया कि  अयोध्या व नगरी है जहां  जैन धर्म के प्रथम जिनेश्वर आदेश्वर दादा के ३ कल्याणक , द्वितीय जिनेश्वर अजितनाथ दादा के 4  कल्याणक ,चतुर्थ जिनेश्वर अभिनंदनस्वामी दादा के 4 कल्याणक ,पाँचवे जिनेश्वर सुमतिनाथ स्वामी के 4 कल्याणक,चौदावे जिनेश्वर अनंतनाथ स्वामी के 4 कल्याणक अर्थात ऐसे कुल 19 कल्याणक इस भूमि पर पैदा हुए  और राजा ऋषभ ने हसी मसी- कृषि की संस्कृति का ज्ञान यहीं से विश्व को दिया। साथ ही पुरुषोंकी 72 कला , स्त्री की 64 कला , 100 शिल्प , गणित ,लिपि  का उद्भव हुआ। इस सब का ज्ञान राजा ऋषभ ने इसी अयोध्या नगरी से विश्व कल्याण की भावना के साथ प्रकाशित किया  था। ऋषभदेव के सुपुत्र भरत चक्रवर्ती ने पूरे विश्व के विजेता बनकर अयोध्या में राजधानी बसायी  और सत्यवादी राजा हरीश चंद की यह जन्मभूमि है।  राजा * राम * ने रामराज्य की स्थापना यही की।  सरयू नदी में समाधि लेते वक्त हनुमानजी  को अयोध्या सोंप के गए।

आज राम मंदिर निर्माण के पावन अवसर पर विश्व के सभी सज्जनो को शुभ कामना।  जैन समाज के लिए इस भूमि का ऐतिहासिक महत्व है। अयोध्या में 10 से 20 एकर भूमि ख़रीदकर तमाम यात्री के लिए व्यवस्था का आयोजन,सभी के लिए स्वास्थ्य भोजनशाला, अबोल जीवों के लिए पांजरापोल स्थापित करेगा।  साथ ही साथ अयोध्या के  बंदरों के लिए हनुमान वाटिका बनाएगा।  शाह ने बताया कि इस तरह के क्रियाकलाप अयोध्या ही नहीं  सभी धार्मिक स्थलों  पर  एक बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है।  इसलिए  समस्त महाजन  की आकांक्षा है कि इकाइयों की स्थापना कर जीव - जंतुओं की सेवा करेगा। 



समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी
 शाह ने यह भी बताया कि  इस तरह की कार्य योजना पर पहले से विचार किया जा रहा था  और इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किया जा चुका था।  गत वर्ष  जुलाई महीने में  जीव जंतु कल्याण पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।  इस विषय पर आत्ममंथन की शुरुआत वाराणसी से से हुई थी जहां पर  एक प्रांतीय सम्मेलन सम्मेलन आयोजित हुआ और  उत्तर प्रदेश में जीव दया के कार्यों को प्रसारित करने के लिए विचार विमर्श किया गया था।

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