ANIMAL WELFARE

Tuesday 30 June 2020

करेंद गाँव को ऐसा मॉडल गाँव बनाना है, जिसे देश दुनिया के लोग देखने आएं: गोसेवा आयोग





करेंद गांव को ऐसा मॉडल गांव बनाना है, जिसका नाम प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो और लोग देखने आएं। हमारी इच्छा है कि इस गांव में एक बार मुख्यमंत्री भी आएं

करेंद,लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ; 1 जुलाई 2020 :  डॉ.  पी. के. त्रिपाठी 

करेंद गांव को ऐसा मॉडल गांव  बनाना है, जिसका नाम प्रदेश  में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो और लोग देखने आएं। हमारी इच्छा है कि इस गांव में एक बार मुख्यमंत्री  भी आएं। यही नहीं, अगले महीने प्रधानमंत्री 'मन की बात' कार्यक्रम में इस गांव की चार महिलाओं का नाम अवश्य लें, क्योंकि प्रधानमंत्री हर बार 'मन की बात'  में किसी न किसी महिला, पुरुष या बच्चे का नाम अवश्य लेते हैं। यह विचार सोमवार को राजधानी के विकास खण्ड माल की ग्राम पंचायत अहमदपुर  में आयोजित एक किसान गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन सिंह  ने व्यक्त किए।


इस गोष्ठी का आयोजन गोसेवा आयोग और यूनाइट फाउण्डेशन की संयुक्त पहल के अन्तर्गत किया गया था। गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन सिंह ने कहा कि इजराइल हमसे एक साल पहले स्वतंत्र राष्ट्र बना था, जिसकी आबादी दिल्ली से भी कम है, लेकिन उसकी टेक्नॉलाजी का उपयोग पूरी दुनिया कर रही है। इसके अलावा 12 देशों से घिरे होने के बावजूद इजराइल की ओर कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता है। 

उन्होंने कहा कि हमें गोबर से उपले और गमले बनाने की मशीनों का प्रयोग करना चाहिए और गोबर से खाद एवं गोमूत्र से कीटनाशक बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी जी कहते हैं कि आत्मनिर्भर बनो और यह तभी सम्भव है, जब गांव के लोग एकजुट होकर रोजगार से जुड़ जाएं। उन्होंने इस दौरान गौशाला का निरीक्षण किया और सागौन का पेड़ लगाकर वृक्षारोपण की शुरुआत की। उनके साथ कई लोगों ने भी पौधे लगाए।

इससे पूर्व जिला कृषि अधिकारी आकाश मिश्रा ने कहा कि उनके विभाग के पास किसानों के लिए कई योजनाएं हैं, जिनसे किसान भाई लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस गांव में जिन किसानों को अभी तक किसान सम्मान निधि का पैसा नहीं मिल रहा है, वह लोग अतिशीघ्र अपने-अपने अभिलेख जमा कर दें। अगले महीने उनके खाते में पैसा आ जाएगा और जिनके अभिलेखों में त्रुटियां होंगी उन्हें दूर करा दिया जाएगा। 

इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए भी सहायक विकास अधिकारी बैंक के साथ मिलकर शत प्रतिशत कार्ड बनवाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कस्टम हायर सेन्टर के माध्यम से किसानों को पचास प्रतिशत छूट मिलती है और महिला समूहों को 75 प्रतिशत छूट मिलती है। ऐसी ही अनेक योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।

जिला उपायुक्त ग्रामीण आजीविका मिशन सुखराज बंधु ने कहा कि उनका विभाग समूहों की महिलाओं को हर प्रकार का प्रशिक्षण नि:शुल्क दिलाता है। इसके अलावा हर प्रकार के रोजगार से जोड़ने के लिए विभाग प्रयत्नशील है। कई योजनाओं में उनको प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि गांवों में ग्राम संगठनों का गठन कर बैंकों में खाते खुलवाए जा रहे हैं, जिससे महिला समूह अधिक पैसे वाले रोजगार भी एक साथ मिलकर शुरू कर सकें।

सहायक जिला पंचायतराज अधिकारी ए.पी. मौर्य ने कहा कि गांव के विकास में पंचायत की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत के सचिव की जिम्मेदारी होती है कि वह गांव के हर व्यक्ति की समस्या का समाधान कराए और सरकार की अधिकांश योजनाओं का लाभ सभी को मिले। उन्होंने कहा कि यहां के प्रधान और सचिव ऐसा प्रयास करेंगे कि अगले कुछ ही दिनों में गांव के हर पात्र व्यक्ति किसी न किसी योजना से जोड़ा जाए।

इससे पूर्व ग्रामीणों ने शिकायत की कि बैंक आफ इंडिया गहदौं शाखा में कोई भी काम दलाल संतोष के ​बिना नहीं हो सकता। यह सुनकर आयोग के अध्यक्ष ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए शाखा प्रबन्धक आर.एस.गौतम को मौके पर तलब कर कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में बैंक के आसपास कोई भी दलाल दिखाई पड़ा और जनता ने ​इसकी शिकायत की तो दलाल के साथ-साथ आपके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद शाखा प्रबन्धक ने कहा कि किसी का भी कोई काम न हो तो वह उनसे सम्पर्क करे, किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। 

यूनाइट फाउण्डेशन के अध्यक्ष डा.पी.के.त्रिपाठी ने कहा कि हमारी संस्था गांव के विकास में हरसम्भव मदद करेगी। उन्होंने अपने अनुभव किसानों के साथ साझा किए। इस दौरान देवशरन तिवारी, नरेन्द्र मोहन ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी में सोशल ​डिस्टेंसिंग का पालन करने के अलावा सीएचसी के आशिफ खान ने सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की।

इस अवसर पर गो सेवा आयोग के सचिव डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. संजय यादव, एडीओ कृषि रामऔतार गुप्ता, एडीओ पंचायत अनिल कुमार मिश्रा, एडीओ आईएसबी प्रदीप यादव, एनआरएलएम से ऋषभ शुक्ला, सचिव ग्राम पंचायत सत्य प्रकाश सहित अनेक नागरिक एवं समूह की महिलाएं, किसान उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन यूनाइट फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष एवं न्यूज टाइम्स नेटवर्क के स्थानीय सम्पादक राधेश्याम दीक्षित ने किया। गोष्ठी का समापन ग्राम प्रधान राजेन्द्र मौर्य ने किया। ( साभार : न्यूज़ टाइम्स ,लखनऊ )




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झारखंड में पशु चिकित्सकों का आंदोलन कल से आरंभ होगा - झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने समस्याओं को लगातार नजरअंदाज करने का सरकार पर आरोप लगाया



रांची (झारखंड);1 जुलाई 2020  रिपोर्ट:डॉ. आर. बी. चौधरी

झारखंड में पशु चिकित्सकों की अनदेखी निरंतर जारी है।झारखंड जैसे विकासशील राज्य में कृषि के साथ में पशुपालन का बहुत बड़ा महत्व है लेकिन शासन- प्रशासन के मन में खोट होने की वजह से प्रदेश भर के पशु चिकित्सा अधिकारी एक सदमे की हालत में है। हर बारअनुरोध पत्र लिखते हैं लेकिनउस पर कोई कार्यवाही नहीं होती।पत्थरों को नजरअंदाज करने का सिलसिलानिरंतर जारी है।  

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक -सह- संयुक्त सचिव, अंजनी कुमार के पत्र के आलोक में उपायुक्त पलामू ने जिला के रिक्त पशुपालन विभाग के पदों का प्रभार जिला मत्स्य पदाधिकारी, पलामू को ग्रहण करने का आदेश निर्गत किया है जो नियम विरुद्ध है।  जिसका संघ ने विरोध करते हुए नियमों के उल्लंघन होने का दस्तावेज संलग्न कर आदेश वापस लेने का पत्र दिया है, परन्तु हम पशु चिकित्सकों की भावनाओं को दरकिनार करते हुए 27 जून.2020 को जिला मत्स्य पदाधिकारी, पलामू ने पशु शल्य चिकित्सालय के पद पशु शल्य चिकित्सक का प्रभार ग्रहण किया है।यह नियम के सिर्फ विरुद्ध ही नहीं है बल्कि निहायत अपमानजनक है।

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के पदाधिकारीनिरंतर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं.प्रदेश भर केपशु चिकित्सकों में असंतोष छाया हुआ है। झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघने इन परिस्थितियों का जिक्र करते हुए बताया कि  संघ के समक्ष अपने वैधानिक हितों की रक्षा के लिए आन्दोलन करने की परिस्थितियां पैदा हो गई है और सभी पशु चिकित्सकसकते में है। संघ ने यह भी कहा कि पशुचिकित्सकों के समक्ष अब कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है और अगली रणनीति के रूप में संघ सदस्यों से आन्दोलन करने की तैयारी में है। 
 आन्दोलन के कार्यक्रम की रुपरेखा निम्न प्रकार है।

संघ ने बताया कियह आंदोलन 02 जुलाई 20 से 04 जुलाई 20 तक काला फीता/बिल्ला लगा कर कार्यालय में कार्य सम्पादन करेंगे।इसी बीच, कार्यकारिणी और कठोर कदम उठाने पर सदस्यों के साथ विमर्श भी करती रहेगी।अपने जिलों में पूरे आन्दोलन का स्थानीय समाचार पत्रों में दैनिक। प्रकाशन की व्यवस्था करेंगे। सदस्य गण आन्दोलन कार्यक्रम का फोटो/ सेल्फी (विवरण के साथ) संघ की आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप जेबीएसए-1 /जेबीएसए-2 में  अधिकतम संख्या में रोजाना पोस्ट करेंगे।


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Saturday 20 June 2020

झारखंड राज्य में सरकार स्तर से पशुपालन सेवा संवर्ग के पदाधिकारियों के लिए अराजपत्रित पदाधिकारी को राजपत्रित पदाधिकारियों के वेतन देने का आदेश दिया - राजपत्रित पशुपालन पदाधिकारियों ने इसे गैर कानूनी बताया

झारखंड राज्य में सरकार स्तर से पशुपालन सेवा संवर्ग के  पदाधिकारियों के लिए अराजपत्रित पदाधिकारी को  राजपत्रित पदाधिकारियों के  वेतन देने का आदेश दिया - 
राजपत्रित पशुपालन पदाधिकारियों  ने इसे  गैर कानूनी बताया - 
सरकार अगर तत्काल इस आदेश को रद्द नहीं करता है  तो संघ  आंदोलनात्मक रवैया अपनाने को मजबूर होगा:झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ 


रांची (झारखंड)

उपायुक्त पलामू ने पशुपालन विभाग अंतर्गत क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन,पलामू,जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू, पशु शल्य चिकित्सक,पलामू,आदर्श ग्राम पदाधिकारी, पलामू के कार्यलयों में पदस्थापित पशु चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य विभागीय कर्मियों के वेतनादि निकासी के लिए गैर संवर्गीय को पशुपालन सेवा संवर्ग के राजपत्रित कैडर पदों के पदाधिकारियों के वेतनादि निकासी का अवैधानिक आदेश ज्ञापांक 291, दि०- 16/06/2020 निर्गत किया है।पशु चिकित्सा पदाधिकारियों का इंट्री स्केल 9300- 34800, ग्रेड पे-5400 है, जबकि मत्स्य सेवा के पदाधिकारियों का इंट्री स्केल 9300- 34800, ग्रेड पे-4800 है।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने जारी अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि यह आदेश सेवा नियमों के विरुद्ध है। 

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष ने इस आदेश पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उपायुक्त पलामू द्वारा उच्चतर वेतनमान के पदाधिकारियों के वेतनादि की निकासी उनसे निम्न वेतनमान के पदाधिकारी द्वारा कराने का आदेश दिया है, यह राजपत्रित पशुपालन कैडर के सम्मान के विरुद्ध है।इस आदेश को वापस लेना चाहिए और अगर वापस नहीं लिया जाता है तो राजपत्रित अधिकारियों में इसका असंतोष फैलेगा और समूचे प्रदेश मेंपशुपालन के कार्यों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।उन्होंने आगे यह भी कहा किइस तरह के निर्णयप्रदेश के हित में नहीं हैक्योंकि वर्तमान में जहां प्रदेशकोविड-19 के लॉक डाउन की वजह से तमाम आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। वहीं पर पशुपालन जैसी रोजगार परक व्यवस्था के ऐसे निर्णयनई समस्या का जन्म देंगे। 

विज्ञप्ति में आ गए यह भी बताया गया है कि योजना-सह-वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक वित्त- 20/को०संहिता-07/2016  1111/वि०, दि० 08-04-16 की कंडिका 1 में अंकित है कि "विभागीय प्रधान या विभागाध्यक्ष अधीनस्थ किसी पदाधिकारी को झारखंड कोषागार संहिता -2016 के नियम 87 के तहत् निकासी.एवं व्ययन.पदाधिकारी की शक्ति प्रत्यायोजित कर सकते हैं।झारखंड सेवा संहिता के नियम 21 के आलोक में निदेशक पशुपालन को विभागाध्यक्ष घोषित किया गया है, इसी प्रदत्त शक्ति का प्रयोग कर निदेशक पशुपालन विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मियों के वेतनादि मद की राशि का आवंटनादेश निर्गत करते हैं  एवं पूर्व  में निदेशक द्वारा वित्तीय शक्ति प्रत्यायोजित की गई है।

पशु चिकित्सा सेवा संघ का मानना है कि कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार का पत्र संख्या -1स्था० अतिरिक्त प्रभार 01/2017 प०पा०/431, दि०- 02-06-2020 द्वारा पशुपालन कैडर के विभिन्न जिलों के रिक्त निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के पदों के प्रभार हेतू अधिकृत किया जाना, योजना-सह-वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक वित्त- 20/को०संहिता-07/2016  1111/वि०, दि० 08-04-16 की मूल अवधारणा के विपरीत है।सरकारी कर्मी की सेवानिवृत्ति सुनिश्चित है, जिसका सारा ब्योरा सरकार के पास संधारित होता है, फिर भी विभागीय सचिवालय 7 महीने से भी अधिक अवधि व्यतीत हो जाने पर निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों के सेवानिवृत्ति उपरान्त प्रतिस्थानी पदाघिकारी की पदस्थापना में किस मंशा से विलंब करता है, स्पष्ट है।

संघ के अध्यक्ष के अनुसार "प्रोन्नति के पदों के रिक्त रहने एवं कालावधि शिथिलन के नियम के बावजूद प्रोन्नति प्रदान करने में विलंब किया जाता है, वर्ष 2002 को तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पदवर्ग समीति की बैठक में लिए गये सयुक्त निदेशक स्तर के तीन पदों, उप निदेशक स्तर के दो पदों की स्वीकृति के  निर्णय पर अब तक पदस्थापन नहीं किया जाना, संदेह पैदा करता है, कि पशुपालन कैडर को क्षीण-भीन्न करने की साजिश तो नहीं है। संघ दोषियों पर कड़ी कारवाई की माँग करता है।पशुपालन विभाग पशुओं की चिकित्सा एवं उनके कल्याण से संबंधित विभाग है, जिसमें पशु चिकित्सक 5 वर्ष की अनिवार्य पशु चिकित्सा विज्ञान एव़ पशुपालन की स्नातक डिग्री हासिल करते हैं, उन्हें ही सरकार पदस्थापित करती है।" 

विज्ञप्ति में आगे अभी लिखा गया है कि पशु  चिकित्सा एक तकनीकी विषय है एवं पशु औषधियों के साथ ही साथ पशुओं से संबंधित कई प्रकार की वैधानिक शक्तियों का उपयोग पशु चिकित्सा परिषद (वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया अथवा वेटरनरी काउंसिल ऑफ स्टेट) से रजिस्टर्ड पशु चिकित्सक ही कर सकते हैं। इंडियन वेटरनरी काउंसिल एक्ट 1984 के अध्याय 4 धारा 30 के तहत् पशु चिकित्सक को विशेष अधिकार प्राप्त हैं,उपायुक्त पलामू ने इस नियम का उल्लंघन करते हुए क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन,पलामू,जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू, पशुशलय चिकित्सक,पलामू,आदर्श ग्राम पदाधिकारी पलामू के पद पर जिला मत्स्य पदाधिकारी को  प्रभार दिया गया है। पूर्व मे भी उपायुक्त रांची द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी को जिला पशुपालन पदाधिकारी का प्रभार दिया गया था संघ के विरोध दर्ज करने पर तत्काल रद्द किया गया था।

झारखंड सरकार पशु चिकित्सकों को न तो समय पर प्रमोशन दे रही है नहीं एमएससीपी का लाभ साथ ही साथ रिक्त पड़े पदों पर मनमाने तरीके से पोस्टिंग किया जा रहा है। इस तरह से विभाग की क्षति के साथ साथ पशुचिकित्सकों के मनोबल को कुंठित करना है।इस तरह के हतोत्साहित करने वाले कृत्य से राज्य के किसानों के आर्थिक आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सरकार की ओर से घोर उदासीनता को दिखाता है।रूल ऑफ़ लॉ को दरकिनार करते हुए मैनेजमेंट की अक्षमता को भी दर्शाया जा रहा है ।ऐसा प्रतीत होता है कि एक अतिमहत्वपूर्ण तकनीकी विभाग को जानबूझकर समाप्त किया जा रहा है ।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ,  उपायुक्त महोदय, पलामू के इस विसंगतिपूर्ण आदेश का घोर विरोध करता है।सरकार अगर तत्काल इस आदेश को रद्द नहीं करता है , तो संघ  आंदोलनात्मक रवैया अपनाने को मजबूर होगा।

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झारखंड राज्य में सरकार स्तर से पशुपालन सेवा संवर्ग के पदाधिकारियों के लिए अराजपत्रित पदाधिकारी को राजपत्रित पदाधिकारियों के वेतन देने का आदेश दिया - राजपत्रित पशुपालन पदाधिकारियों ने इसे गैर कानूनी बताया -

झारखंड राज्य में सरकार स्तर से पशुपालन सेवा संवर्ग के  पदाधिकारियों के लिए अराजपत्रित पदाधिकारी को  राजपत्रित पदाधिकारियों के  वेतन देने का आदेश दिया - 
राजपत्रित पशुपालन पदाधिकारियों  ने इसे  गैर कानूनी बताया - 
सरकार अगर तत्काल इस आदेश को रद्द नहीं करता है  तो संघ  आंदोलनात्मक रवैया अपनाने को मजबूर होगा:झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ 


रांची (झारखंड)

उपायुक्त पलामू ने पशुपालन विभाग अंतर्गत क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन,पलामू,जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू, पशु शल्य चिकित्सक,पलामू,आदर्श ग्राम पदाधिकारी, पलामू के कार्यलयों में पदस्थापित पशु चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य विभागीय कर्मियों के वेतनादि निकासी के लिए गैर संवर्गीय को पशुपालन सेवा संवर्ग के राजपत्रित कैडर पदों के पदाधिकारियों के वेतनादि निकासी का अवैधानिक आदेश ज्ञापांक 291, दि०- 16/06/2020 निर्गत किया है।पशु चिकित्सा पदाधिकारियों का इंट्री स्केल 9300- 34800, ग्रेड पे-5400 है, जबकि मत्स्य सेवा के पदाधिकारियों का इंट्री स्केल 9300- 34800, ग्रेड पे-4800 है।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने जारी अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि यह आदेश सेवा नियमों के विरुद्ध है। 

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष ने इस आदेश पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उपायुक्त पलामू द्वारा उच्चतर वेतनमान के पदाधिकारियों के वेतनादि की निकासी उनसे निम्न वेतनमान के पदाधिकारी द्वारा कराने का आदेश दिया है, यह राजपत्रित पशुपालन कैडर के सम्मान के विरुद्ध है।इस आदेश को वापस लेना चाहिए और अगर वापस नहीं लिया जाता है तो राजपत्रित अधिकारियों में इसका असंतोष फैलेगा और समूचे प्रदेश मेंपशुपालन के कार्यों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।उन्होंने आगे यह भी कहा किइस तरह के निर्णयप्रदेश के हित में नहीं हैक्योंकि वर्तमान में जहां प्रदेशकोविड-19 के लॉक डाउन की वजह से तमाम आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। वहीं पर पशुपालन जैसी रोजगार परक व्यवस्था के ऐसे निर्णयनई समस्या का जन्म देंगे। 

विज्ञप्ति में आ गए यह भी बताया गया है कि योजना-सह-वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक वित्त- 20/को०संहिता-07/2016  1111/वि०, दि० 08-04-16 की कंडिका 1 में अंकित है कि "विभागीय प्रधान या विभागाध्यक्ष अधीनस्थ किसी पदाधिकारी को झारखंड कोषागार संहिता -2016 के नियम 87 के तहत् निकासी.एवं व्ययन.पदाधिकारी की शक्ति प्रत्यायोजित कर सकते हैं।झारखंड सेवा संहिता के नियम 21 के आलोक में निदेशक पशुपालन को विभागाध्यक्ष घोषित किया गया है, इसी प्रदत्त शक्ति का प्रयोग कर निदेशक पशुपालन विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मियों के वेतनादि मद की राशि का आवंटनादेश निर्गत करते हैं  एवं पूर्व  में निदेशक द्वारा वित्तीय शक्ति प्रत्यायोजित की गई है।

पशु चिकित्सा सेवा संघ का मानना है कि कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार का पत्र संख्या -1स्था० अतिरिक्त प्रभार 01/2017 प०पा०/431, दि०- 02-06-2020 द्वारा पशुपालन कैडर के विभिन्न जिलों के रिक्त निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के पदों के प्रभार हेतू अधिकृत किया जाना, योजना-सह-वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक वित्त- 20/को०संहिता-07/2016  1111/वि०, दि० 08-04-16 की मूल अवधारणा के विपरीत है।सरकारी कर्मी की सेवानिवृत्ति सुनिश्चित है, जिसका सारा ब्योरा सरकार के पास संधारित होता है, फिर भी विभागीय सचिवालय 7 महीने से भी अधिक अवधि व्यतीत हो जाने पर निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों के सेवानिवृत्ति उपरान्त प्रतिस्थानी पदाघिकारी की पदस्थापना में किस मंशा से विलंब करता है, स्पष्ट है।

संघ के अध्यक्ष के अनुसार "प्रोन्नति के पदों के रिक्त रहने एवं कालावधि शिथिलन के नियम के बावजूद प्रोन्नति प्रदान करने में विलंब किया जाता है, वर्ष 2002 को तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पदवर्ग समीति की बैठक में लिए गये सयुक्त निदेशक स्तर के तीन पदों, उप निदेशक स्तर के दो पदों की स्वीकृति के  निर्णय पर अब तक पदस्थापन नहीं किया जाना, संदेह पैदा करता है, कि पशुपालन कैडर को क्षीण-भीन्न करने की साजिश तो नहीं है। संघ दोषियों पर कड़ी कारवाई की माँग करता है।पशुपालन विभाग पशुओं की चिकित्सा एवं उनके कल्याण से संबंधित विभाग है, जिसमें पशु चिकित्सक 5 वर्ष की अनिवार्य पशु चिकित्सा विज्ञान एव़ पशुपालन की स्नातक डिग्री हासिल करते हैं, उन्हें ही सरकार पदस्थापित करती है।" 

विज्ञप्ति में आगे अभी लिखा गया है कि पशु  चिकित्सा एक तकनीकी विषय है एवं पशु औषधियों के साथ ही साथ पशुओं से संबंधित कई प्रकार की वैधानिक शक्तियों का उपयोग पशु चिकित्सा परिषद (वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया अथवा वेटरनरी काउंसिल ऑफ स्टेट) से रजिस्टर्ड पशु चिकित्सक ही कर सकते हैं। इंडियन वेटरनरी काउंसिल एक्ट 1984 के अध्याय 4 धारा 30 के तहत् पशु चिकित्सक को विशेष अधिकार प्राप्त हैं,उपायुक्त पलामू ने इस नियम का उल्लंघन करते हुए क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन,पलामू,जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू, पशुशलय चिकित्सक,पलामू,आदर्श ग्राम पदाधिकारी पलामू के पद पर जिला मत्स्य पदाधिकारी को  प्रभार दिया गया है। पूर्व मे भी उपायुक्त रांची द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी को जिला पशुपालन पदाधिकारी का प्रभार दिया गया था संघ के विरोध दर्ज करने पर तत्काल रद्द किया गया था।

झारखंड सरकार पशु चिकित्सकों को न तो समय पर प्रमोशन दे रही है नहीं एमएससीपी का लाभ साथ ही साथ रिक्त पड़े पदों पर मनमाने तरीके से पोस्टिंग किया जा रहा है। इस तरह से विभाग की क्षति के साथ साथ पशुचिकित्सकों के मनोबल को कुंठित करना है।इस तरह के हतोत्साहित करने वाले कृत्य से राज्य के किसानों के आर्थिक आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सरकार की ओर से घोर उदासीनता को दिखाता है।रूल ऑफ़ लॉ को दरकिनार करते हुए मैनेजमेंट की अक्षमता को भी दर्शाया जा रहा है ।ऐसा प्रतीत होता है कि एक अतिमहत्वपूर्ण तकनीकी विभाग को जानबूझकर समाप्त किया जा रहा है ।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ,  उपायुक्त महोदय, पलामू के इस विसंगतिपूर्ण आदेश का घोर विरोध करता है।सरकार अगर तत्काल इस आदेश को रद्द नहीं करता है , तो संघ  आंदोलनात्मक रवैया अपनाने को मजबूर होगा।

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समस्त महाजन ने पशु कल्याण संस्थाओं को दान देने के लिए आवेदन पत्र माँगा -कहा पहले आओ, पहले पाओ



मुंबई (महाराष्ट्र); 20 जून 2020 ;  डॉ. आर. बी. चौधरी 

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगठन, समस्त महाजन ने महाराष्ट्र के सभी पशु कल्याण संस्थाओं से अनुरोध किया हैकि वे लावारिस पशु पक्षियों के लिए चारा-दाना और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए आ रही आर्थिक अड़चनों के लिए सहायता प्राप्त कर सकते हैं, खास करके वह जीव जंतु कल्याण संस्थाओं ,गोशाला एवं पंजरापोल  जो अपने  संस्था के पशुओं के लिए चारा दाना  प्रबंधन करने में असमर्थ हैं। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के  सदस्य एवं समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह ने  महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध किया है कि महाराष्ट्र राज्य के पशु कल्याण संस्थाओं को  लॉकडाउन से उपस्थित  परिस्थिति में  यथोचित  अनुदान देकर  पशुओं की रक्षा करें।  अभी तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई है।  इस संबंध में उन्होंने बताया कि उनकी संस्था समस्त महाजन अनुदान सहायता के लिए इच्छुक  संस्थाएं  अपना आवेदन पत्र प्रेषित करें ताकि  सारे दाने के संकट को दूर कर  पशुओं की प्राण रक्षा की जा सके। 

समस्त महाजन की ओर से जारी शाह ने बताया कहा कि कोविद -19 के कारण  किए गए  लगातार लॉकडाउन  के वजह से जानवर बुरी तरह प्रभावित  हुए हैं और कई जीव जंतु कल्याण संस्थान अपने आश्रय या गोशाला गौशाला में पाले जाने वाले पशु पक्षियों  के लिए चारा दाना प्रबंधन करने में असमर्थ हैं।  कुछ जगहों पर ऐसी स्थिति है कि  आहार एवं स्वास्थ्य सुविधा न मिल पाने की वजह से उनकी जान खतरे में पड़ गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में  सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र राज्य  है जहां कई स्थानों पर सबसे ज्यादा पशुओं को चारे दाने के अभाव से संकट की स्थिति पैदा हो गई है। दूरदराज  या शहर तथा कस्बों में काम कर रही संस्थाओं के पास चारा और दाना खरीदने के लिए कोई फंड नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को  इस संबंध में पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि  पशु पक्षियों  खास करके गौशाला पशुओं के  जीवन निर्वाह के लिए यथोचित अनुदान  रिलीज करें।  हालांकि इस संबंध में अभी तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई है। 

समस्त महाजन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में  इच्छुक संस्थाओं से अनुरोध किया गया है कि वह  अनुदान सहायता प्राप्त करने के लिए "आवेदन पत्र" प्रेषित करें।  अनुदान का आवेदन संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से संस्था को प्रेषित किया जाना चाहिए अथवा  जिला अधिकारी के  संस्तुति के साथ  आवेदन पत्र प्रेषित की जाए। संस्थाओं द्वारा  उचित ढंग से प्रेषित आवेदन प्राप्त होने के बाद समस्त महाजन बिना किसी देरी किए तत्काल अनुदान राशि  आवेदक संस्था को प्रेषित  कर दी जाएगी। शाह ने यह भी बताया कि दस्तावेज़ीकरण से संबंधित कोई  संशय  होने पर समस्त महाजन के कार्यालय तत्काल संपर्क करना चाहिए ताकि उसका समाधान किया जा सके। वर्तमान में प्रत्येक संगठन को  जानवरों की संख्या के अनुसार रु 25.000  से लेकर 2,00 .000  तक की  अनुदान राशि दी जाएगी। 

उन्होंने महाराष्ट्र राज्य के सभी पशु कल्याण संस्थाओं से अपील की है कि जिला कलेक्टर द्वारा अनुशंसित आवेदन को  तत्काल अग्रेषित करें और जैसे ही उचित  ढंग से प्रेषित आवेदन प्राप्त होता है तो सहायता राशि उसी दिन जारी कर दिया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए संपर्क सूत्र है -मोबाइल।: +91 98200 20976 +91 98251 29111 ईमेल: samastmahajan9@gmail.com; वेबसाइट: यह वेबसाइट: https: //www.samastmahajan.org/)

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Friday 19 June 2020

पशुओं में भी हमें हमेशा ही मानवता की झलक देखने को मिल जाती है जो कि इंसानों के वश की बात नहीं रही...



प्रस्तुत आलेख में  रचनाकार ने  
मनुष्य और पशु के संबंधों के मर्म को समझाने का अभिनव प्रयास किया है।  
लेख में  चमड़ा उद्योग  के पीछे छुपे हुए  तमाम कारनामों को लोग नहीं जानते हैं  कि प्राप्त होने वाला
चमड़ा जिसे हम प्रयोग करते हैं उसकी उत्पत्ति कितनी पीड़ादाई है। उसे प्राप्त करने के लिए पशुओं के ऊपर कितनी क्रूरता,प्रताड़ना और  जघन्य अपराध किए जाते हैं। यहां स्मरण करना जरूरी है कि 2010 के दशक  में जब सरकार  पशुओं के क्रूरता की बात पर सरकार विशेष ध्यान नहीं दे रही थी  तो देश के कई संस्थाओं ने मिलकर के  तत्कालीन प्रधानमंत्री  को चमड़ा उद्योग के काले कारनामे  और उसकी गणित को समझाया। सरकार तुरंत मामले को संज्ञान में लेते हुए  पहली बार देश के प्रधानमंत्री ने सभी प्रदेशों को पत्र लिखकर  चमड़े से जुड़ी हुई  वारदातों को रोकने की बात कही। पशुओं के अपराध से  जुड़े मामले में  चमड़ा उद्योग  कहीं न कहीं  पशु अपराध  के दुनिया से काफी हद तक ताल्लुक रखता है। इस विषय में एनिमल केयर टाइम्स की एसोसिएट एडिटर , चंद्रिका योलमो लामा  आजकल बड़े ही शांतिपूर्ण  ढंग से चमड़े की वस्तुओं प्रयोग में न  लाने की एक मुहिम छेड़ी है जो अत्यंत प्रशंसनीय है। इसी श्रृंखला में इस मुहिम के मूल उद्देश्यों को  अत्यंत प्रतिभाशाली युवा शिक्षिका एवं  सामाजिक कार्यकर्ता  वंदना वर्मा ने बड़े बखूबी से  अपने सृजनशील लेखनी से  चमड़ा उद्योग के भीतर छुपे हुए बेजुबान पशुओं के पीड़ा को बताने की कोशिश की है। प्रस्तुत है वंदना वर्मा की  विचारोत्तेजक आलेख  जो एक तरफ  पशु प्रेम के गहराई को बयां करता है तो दूसरी तरफ  चमड़ा उद्योग के असहनीय पीड़ा और क्रूरता कोएहसाकरानका कोशिश भी...  -संपादक  

आलेख : वन्दना  वर्मा  

               
आज हमारे देश में, हमारे समाज में हर जगह प्रतिपल कुछ ऐसी हृदय विदारक घटनाएं घटित हो रही हैं जिनको देखते हुए मैं स्वयं को लिखने से रोक नहीं पा रही हूँ ।अरे भाई हम तो इंसान हैं और इंसानों को ईश्वर ने हर प्रकार से श्रेष्ठ बनाया है, पूरी पृथ्वी पर इंसान ही है जिसे सोचने, समझने, तर्क-वितर्क करने जैसी सारी स्वतन्त्रता ईश्वर ने प्रदान की है जो कि हमें बाकी जीवों से भिन्न बनाती है। इसी भिन्नता के कारण ही हम इंसान कहलाते हैं किन्तु मैंने बचपन में एक श्लोक पढ़ा था -

येषां न विद्या न तपो न दानम् न शीलं न गुणो न धर्म:।
ये मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति।।

अर्थात् - जिन मनुष्यों के पास विद्या, तप, दान की भावना, ज्ञान, शील(सत्स्वभाव) मानवीय गुण, धर्म में संलग्नता का अभाव हो वे इस मरणशील संसार में धरती पर बोझ बने हुए इंसानों के रूप में विचरण कर रहे हैं। मैं सिर्फ़ यह कहना चाहती हूं कि इंसानों को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना माना जाता रहा है और जिस इंसान में दान, दया, क्षमा जैसा कोई भी गुण न हो उसे बिना पूंछ वाले पशु की संज्ञा दी जाती रही है पर आज के मानव को तो इन शब्दों का मतलब तक नहीं पता। अगर सच कहूं तो ऐसे इंसानों को पशु तक कहना पशुओं का अपमान करना होगा।

पशुओं में भी हमें हमेशा ही मानवता की झलक देखने को मिल  जाती है जो कि इंसानों के वश की बात नहीं रही।अब हाल ही की केरल की घटना को देखिए कि हाथी और उसके पेट में पल रहे बच्चे के साथ वहां के स्थानीय लोगों ने कितना गलत किया फिर भी उस हाथी ने पलट कर कोई उत्पात नहीं मचाया,किसी को भी किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई किन्तु हम इंसान अच्छे में, बुरे में सिर्फ बदला लेने की व अपने फायदे तथा दूसरे के नुक़सान के बारे में सोचते रहते हैं।

किंतु ,आज मैं बात कर रही हूं चमड़े के उपयोग को रोकने के बारे में अर्थात् मैं "नो लेदर कैंपेन" के जरिए आप तक अपनी आवाज़ पहुंचाना चाहती हूं। आप सबका ध्यान इस ओर इंगित करवाना चाहती हूं कि जो चमड़े की वस्तुएं आप सबको बहुत भाती हैं बैग, जूते, बेल्ट, जैकेट, सजावट एवं अन्य बहुत सारी वस्तुएं। पर क्या हम सबने कभी भी सोचा कि ये सब जो हमें इतना पसंद आ रहा है उसको बनाने के लिए हम कितने ही बेजुबान जानवरों की बलि चढ़ा देते हैं चाहे वह शेर, चीता हो या फिर सांप मतलब बड़ा या छोटा कोई भी जानवर हो वह हमारी लालसाओं की पूर्ति के लिए अपनी जान से हाथ धो देता है।

हमें थोड़ी सी भी ग्लानि नहीं होती है कि हम आखिर प्रकृति के साथ पशुओं के साथ कर करते आ रहे हैं ? तो मेरी
आप सभी इंसानों से प्रार्थना है कि अब तो जागिए इंसानियत के पथ पर अग्रसर हो जाइए। वैसे भी हम इंसान प्रकृति का बहुत नुकसान कर चुके हैं और मत करिए नहीं तो हम मनुष्य जाति को हमारे कर्मों का दण्ड मिलना निश्चित है।साथ ही आप सबसे यही प्रार्थना करना चाहती हूं कि चमड़े की कोई भी वस्तु उपयोग में ना लायें क्योंकि अगर हम चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग ही बन्द कर देंगे तो वस्तुएं ‌बननी भी बन्द हो जायेंगी और इस तरह हम पशु-पक्षियों की मदद कर पायेंगे और उनके जान की रक्षा भी कर पायेंगे।

साथ ही हमारे आस-पास यदि कोई भी पशु या पक्षी जिसको खाने की, इलाज की जरूरत हो तो उनकी मदद करें। अगर आप इतना नहीं कर सकते तो पास के ही किसी "स्वयं सेवक संघ" में फोन करके  स्थिति की जानकारी दे सकते हैं ऐसा करके आप एक अच्छे कार्य के साथ ही अपने इंसान होने को प्रमाणित भी कर पायेंगे।
(संकलन  : चंद्रिका योलमो लामा, एसोसिएट एडिटर- एनिमल केयर टाइम्स)

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Wednesday 17 June 2020

गौ सेवा आयोग उत्तर प्रदेश ने गौशालाओ के माध्यम से गांव को आत्म निर्भर बनाने के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों और गांव-वालों के साथ आज बैठक हुई



राजधानी लखनऊ के परिक्षेत्र ग्राम पंचायत करेंद की गोशाला को मॉडल गौशाला बनाने  के लिए कवायद चालू


लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ; 17 जून 2020 :डॉ. आर. बी. चौधरी

राजधानी की ग्राम पंचायत करेंद की गोशाला को आत्म निर्भर बनाने की संभावनाओं और गांव के किसानों तथा गो पालकों को गाय से प्राप्त पंचगव्य आधारित उत्पादों की उपयोगिता को प्रभावी बनाने के लिए गांव में बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में गोवंश से लाभ और गांव को आत्म निर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया गया।

गोसेवा आयोग के सचिव डॉ.अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि गाय हमारे जीवन में बहुत उपयोगी है। गाय से हमें जो गोबर मिलता है उससे कई प्रकार के उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं जैसे उपले, गमले, धूपबत्ती,मूर्तियां आदि बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर वन और उद्यान विभाग को बेच कर आमदनी को बढ़ाया जा सकता है उन्होंने कहा कि गोमूत्र से कीड़े मारने की दवा तैयार कर सकते हैं। सचिव गोसेवा आयोग ने सरकार द्वारा गायों के भरण— पोषण के ​लिए किसानों को मिलने वाली सुविधाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग ने पैरावेट के माध्यम से सैकड़ों युवकों को रोजगार से जोड़ा  गया है। इसके अलावा पशुपालन विभाग नि:शुल्क टीकाकरण भी करता है।

जिला उद्यान अधिकारी मीना देवी ने किसानों को अवगत कराया कि सरकार पॉली हाउस, नर्सरी तैयार करने, प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए अनुदान दे रही है। इसके अलावा सब्जी, फल,फूल, आदि के लिए भी कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को अनुदान प्रदान किया जाता है। इसके लिए कृषि अथवा उद्यान विभाग में पंजीकरण अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आम,अमरूद, केला और पपीता पर अनुदान दिया जा रहा है कोई भी किसान इसका लाभ उठा सकता है। उन्होंने मधुमक्खी पालन,पौधरोपण बागवानी आदि पर प्रकाश डालते हुए लोगों को आत्म निर्भर बनने के उपाय बताए। बैठक को सम्बोधित करते हुए सहायक विकास अधिकारी कृषि राम औतार गुप्ता ने कहा कि किसानों को ​कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। तभी किसानों को बीज,उपकरण,आदि पर सब्सिडी दी जाती है।

बैठक को सम्बोधित करते हुए अमरेन्द्र मोहन ने कहा कि किसान की मेहनत पर सभी निर्भर हैं फिर भी किसानों को धनवानों द्वारा किस तरह तिरस्कृत किया गया है, यह तो इस लॉकडाउन ने उद्योगपतियों और पूॅंजी पतियों को इस बार दिखा दिया। पूंजी-पति मेहनत करने वालों को गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं। जबकि वह यह भूल जाते हैं कि मजदूरों के बिना उनके कारखाने में कुछ हो नहीं सकता। दूसरी ओर इनमें एकता न होने का फायदा उठाकर यह मजदूरों को मनमाने तरीके से इस्तेमाल करते हैं। बैठक को सम्बोधित करते हुए वन विभाग के राजेन्द्र यादव ने कहा कि उनका विभाग नि:शुल्क वृक्षारोपण करा रहा है। यूनाइट फाउण्डेशन के अध्यक्ष डॉ. पी.के त्रिपाठी, उपाध्यक्ष राधेश्याम दीक्षित, प्रदीप कुमार ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर डॉ. सुरेश चन्द, डॉ.  मुकेश कुमार, उद्यान निरीक्षक आरती वर्मा, ग्राम प्रधान राजेन्द्र मौर्य, सचिव सत्य प्रकाश, डॉ. संजय यादव, आदि उपस्थित थे।

Tuesday 16 June 2020

हिमाचल में पशुओं का टैगिंग तथा टीकाकरण अभियान गांव -गांव चलेगा : मदन लाल पटियाल



गौ सदन मैगल - मंडी में गौ पशुओं का टीकाकरण एवं टैगिंग किया  गया 

मंडी (हिमाचल प्रदेश); 17 जून 2020

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद  जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी मदन लाल पटियाल , सीताराम वर्मा तथा गौ सेवक राजेंद्र कुमार शर्मा  के संयुक्त प्रयास से पशुपालन विभाग के तत्वावधान में  टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।  भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानव अधिकारी  मदन लाल पटियाल ने बताया कि गौ सदन मैगल  मंडी में पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ विशाल शर्मा के दिशा निर्देशन के अनुसार पशुओं की टैगिंग भी की गई। 

बोर्ड के अधिकारियों ने यह भी बताया गया कि टैगिंग कार्यक्रम के साथ -साथ में  फुट एंड माउथ डिजीज(एफएमडी) का टीकाकरण भी किया गया। उन्होंने बताया कि इस टीकाकरण के विशेष अवसर पर मूंक  पशुओं का अधिकार अधिकार दिलाया जाएगा।  साथ ही साथ टीकाकरण की पूरी जानकारी पशुपालन विभाग के पोर्टल पर लोड किया जाएगा।  रिकॉर्ड  रखने की भूमिका के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि  सभी पशुओं  स्वास्थ्य संबंधी जानकारी  तुरंत उपलब्ध होने वाले रिकॉर्ड  में मौजूद होना चाहिए  ताकि  किसी भी प्रकार की सूचना को आवश्यकतानुसार किसी भी क्षण प्राप्त किया जा सके।  

भारत सरकार के अधिकारी पटियाल ने  आगे  यह भी बताया कि इस  टीकाकरण के विशेष अभियान का पहल श्रेय  प्रदेश गोवंश आयोग के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा  जी  को जाता है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया किसानों के पशुओं के लिए मुखिया होता है जिसका वह अपनी खेती - बाड़ी के प्रयोग के लिए करते हैं।  टीकाकरण कार्यक्रम का  लाभ अन्य पशुओं को भी  मिलेगा। यह कार्य तभी पूर्ण हो पाएगा जब उन पर भी यह प्रक्रिया नियमानुसार लागू लागू होगी ताकि , पशु मालिक की पहचान हो सके।  

गौ सेवा प्रकोष्ठ के सह प्रमुख राजेश शर्मा ने बताया कि यह प्रक्रिया शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश में लागू की की जाएगी।  इस समय सड़कों पर जितने भी छुट्टा पशु घूमते नजर आ रहे हैं वह इन सभी छुट्टा पशुओं को हिमाचल प्रदेश के विभिन्न गौशालाओं एवं पशु-शालाओं में में रखा जाएगा। इस अवसर पर उपस्थित पशु प्रेमियों द्वारा सरकार हर महीने बजट का प्रावधान करने की अपील की गई। उन्होंने बताया कि पशु चारे की बहुत बड़ी समस्या है। अतः पशु सुरक्षा तब तक सुनिश्चित नहीं किया जा सकता जब तक पशुओं के लिए पर्याप्त चारा दाना उपलब्ध है। मानद  जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी, मदन  लाल पटियाल एवं सीताराम वर्मा ने इस कार्य के लिए पशुपालन मंत्री कुंवर वीरेंद्र जी का विशेष आभार व्यक्त किया। 


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Sunday 14 June 2020

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग अब गौशालाओं को आदर्श संस्था बनाने के लिए गोद लेगा- लखनऊ शहर के पास की एक गौशाला के बारे में विचार विमर्श जारी :अध्यक्ष -उ. प्र. गौ सेवा आयोग


"गोसेवा आयोग उ.प्र के अध्यक्ष प्रोफेसर श्यामनंदन सिंह राजधानी के किसी एक गांव की गोशाला को गोद लेकर  आदर्श केंद्र बनाना चाहते हैं  ताकि इस मॉडल को पूरे प्रदेश में और जगहों पर प्रसारित किया जा सके। इस सम्बन्ध में आयोग के मुख्यालय पर एक बैठक आयोजित की गई।"


लखनऊ (उत्तर प्रदेश)  : डॉक्टर पी. के. त्रिपाठी एवं डॉक्टर आर. बी. चौधरी


गोसेवा आयोग उ.प्र के अध्यक्ष राजधानी के किसी एक गांव की गोशाला को गोद लेना चाह रहे हैं। इस सम्बन्ध में 
गोशाला आयोग के कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गयी जिसमें गोशाला को गांव वालों के लिए कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है और गोशाला से आमदनी के उपायों पर भी चर्चा की गयी। बैठक में यह बात उभर कर आई थी  गौ संरक्षण संवर्धन में  धन एवं संसाधनों की अत्यंत जरूरत होती है जिसे पूरा करने के लिए  गौशाला के उत्पाद अतिरिक्त आमदनी  एवं रोजगार के बेहतरीन उपाय है।  उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग इन उपायों का फायदा लेने के लिए  अग्रसर है।  आयोग के अध्यक्ष का  विश्वास है कि आने वाले दिनों में  गौशाला के उत्पाद  एक लघु कुटीर उद्योग के रूप में विकसित होंगे  जिससे गोवंश की  रक्षा की जा सकेगी। 

राजधानी की माडल गोशाला बनाया जाएगा:

गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नंदन सिंह ने कहा कि गोशाला को आत्म निर्भर बनाने के लिए आयोग हर सम्भव मदद करेगा। उन्होंने कहा कि मलिहाबाद क्षेत्र में आम का व्यवसाय अधिक होता है लेकिन बाकी समय लोगों को काम चाहिए। इसके लिए गोशाला के गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर बेची जा सकती है और उस खाद का प्रयोग चारागाह की खाली पड़ी जमीन पर चारा उगाने के अलावा औषधीय एवं फलदार पौधे लगाने के लिए उनमें उपयोग की जा सकती है। 


फॉरेस्ट, हॉर्टिकल्चर, फिशरीज सहित वन  एवं अन्य विभाग भी जुड़ेंगे:

उन्होंने कहा कि तालाब में मत्स्य पालन के लिए विभाग का सहयोग लिया जाएगा। गांव वालों की सुविधा के लिए विधायक निधि से सामुदायिक मिलन केन्द्र बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि गोशाला में गोपालकों की संख्या बढ़ाकर दो से चार कर दीजिए। गांव के लड़कों एवं लड़कियों के लिए खेल के मैदान बनने चाहिए और स्किल डेवलपमेंट के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इसके लिए गांव की महिला समूहों को जोड़ा जाएगा। गांव की शिक्षित लड़कियों को अचार, मुरब्बा, जेली बनाने के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।

प्रधान ने गोशाला को विकसित करने के लिए दिये कई सुझाव:

इस अवसर पर मौजूद ग्राम प्रधान राजेन्द्र कुमार मौर्य ने बताया कि उनके गांव में विकास की काफी सम्भावनाएं हैं। लेकिन सरकारी तंत्र की खींचतान के चलते उनके गांव में विकास की अपार सम्भावनाएं हैं। इसके लिए प्रधान राजेन्द्र कुमार मौर्य, आयोग के सचिव अनिल कुमार शर्मा, डॉ. सुरेश चन्द , एसडीओ वन, आलोक पाण्डेय, उद्यान निरीक्षक आरती वर्मा,डा.पी.के. त्रिपाठी, राधेश्याम दीक्षित उपस्थ्ति थे। सभी ने अपने—अपने सुझाव दिये।

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Saturday 13 June 2020

उत्तर प्रदेश में गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा:प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह





13 जून 2020 ; लखनऊ (उत्तर प्रदेश :  रिपोर्ट :डॉ. आर. बी.  चौधरी

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग ने प्रदेश के पंजीकृत गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य आरंभ कर
दिया है ताकि गौशालाओं में पाले  जा रहे निराश्रित गोवंश के भरण-पोषण के लिए गौशालायें  सरकार पर आश्रित न रहे और छोटी से बड़ी सभी गौशालायें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े।

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर श्यामनंदन सिंह ने आयोग की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को स्वावलंबी बनाने का आवाहन एक अत्यंत प्रशंसनीय कदम है। इससे निश्चित ही  एक नए भारत का निर्माण होगा। उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग इस आवाहन से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है कि प्रदेश की कुछ चुनी हुई  बड़ी गौशालाओं को पंचगव्य उत्पाद (दूध, दही, घी, गोबर, गो-मूत्र) उपयोग के लिए मॉडल  संस्था के रूप में  विकसित किया जाएगा  ताकि इन गौशालाओं पर पंचगव्य औषधियों से लेकर जैविक खाद, गोबर के गमले,  जालौनी के लिए गोबर के लट्ठे , और  गोनाइल( गोमूत्र से बनाया हुआ फिनायल)  तैयार किया जा सके ताकि उसकी बिक्री कर गौशालाओं की आमदनी बढ़ाई जा सके। 


प्रोफेसर सिंह ने आगे यह भी बताया कि हर साल हमारे देश में कई ऐसे पर्व मनाए जाते हैं  जिसमें देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती है।  इस संबंध में आयोग लोगों से अनुरोध किया जाएगा कि वह विदेशी खासकर चाइना से बने मूर्तियों या वस्तुओं के जगह स्वदेशी एवं प्राकृतिक अर्थात पूरी तरह से इको-फ्रेंडली है, उस प्रकार के साज सामान को खरीदें।  इससे न  केवल  क्रेता और विक्रेता को सिर्फ लाभ होगा बल्कि  पर्यावरण को संरक्षित सुरक्षित रखने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस अभियान से  गोबर का प्रयोग बढ़ेगा जिससे कई जगहों पर प्लास्टिक के उपयोग को रोका जाएगा।  


प्रोफेसर सिंह ने बताया कि देश के कई जगहों पर गोबर के साथ अन्य रेशेदार सामग्री मिलाकर प्लाईवुड भी बनाया जा रहा है जो  किफायती भी है और मजबूत भी। साथ ही साथ आकर्षक एवं सुंदर भी। ऐसी वस्तुएं  हमारे  पर्यावरण तथा  हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा असर डालती हैं जिसका मुख्य कारण है कि गोबर से बने मटेरियल उस्मा शोषक एवं विकिरण अवरोधी होते हैं। गोबर की गुणवत्ता बताते हुए बताया कि गोबर से लीपी हुई दीवाल  सुपरकंडक्टर  मटेरियल जैसा कार्य करती है। एक समय था जब घर में फर्स से लेकर कच्ची दीवारों को गोबर से लिपाई करते थे। इससे ऊर्जा की खपत को कम कर  प्राकृतिक जीवन पद्धति को अपनाने के लिए अब तो गोबर मिश्रितदीवार वाली  वैदिक घरें  भी बनाई जा रही है। 

गोसेवा अध्यक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग गोबर से निर्मित  लट्ठों  का प्रयोग श्मशान घाट और गमलों के निर्माण में  तकनीक को बढ़ावा देगा।  गोबर से निर्मित गमलों की खरीदारीबढ़ाने के लिए  प्रदेश के हॉर्टिकल्चर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की नर्सरी सहित  तथा अन्य विभागों को  क्रय करने के लिए कहा जाएगा।  इस कार्यक्रम से  कई प्रकार के फायदे होंगे जिसमें  गौशाला में काम कर रहे कर्मचारियों को  अतिरिक्त रोजगार मिलेगा।  इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय आजीविका मिशन के महिला समूह से जोड़कर उन्हें अतिरिक्त  आमदनी प्राप्त करने नया विकल्प दिया जाएगा। 

इस संबंध में गौ सेवा आयोग उत्तर प्रदेश प्रदेश ने निर्णय लिया है कि सभी जिला अधिकारियों एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों से विशेष अनुरोध कर उनके संबंधित जनपद में बने स्थाई एवं मान्यता प्राप्त गौ संरक्षण केंद्र को इस अभियान जोड़ा जाएगा ताकि प्रदेश की गौशालायें आत्म निर्भर बने।गौ सेवा आयोग ने इस कार्यक्रम को मनरेगा से भी जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

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