ANIMAL WELFARE

Tuesday 28 April 2020

करोना महामारी से उत्पन्न भूख से लड़ने के लिए समस्त महाजन का एक अनूठा प्रयोग -"समस्त महाजन रोटी बैंक" इस कार्यक्रम से अब 3,000 से अधिक परिवार जुड़े-6 ,000 से अधिक जरूरतमंदों को राहत

सेवा में संकोच क्या, आइए हाथ बढ़ाइए : गिरीश जयंतीलाल शाह

रिपोर्ट: डॉ.आर. बी. चौधरी

मुंबई (महाराष्ट्र) 28 अप्रैल, 2020

कोविड - 19 महामारी की वजह से खाद्य सामग्री की कमी और भूख की समस्या से निपटने में वैश्विक संस्थाएं  तन मन से जुट गई हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अभी से संसाधन जुटाने के लिए आगे आने को कहा है। वहीं भारत में  सरकार की कोशिशों को सफल बनाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोगसे से गरीबों की भूख मिटाने के  नए-नए अभियान अभियान के माध्यम से जुट गए हैं । मुंबई की  प्रख्यात स्वयंसेवी संस्था - "समस्त महाजन"  के मैनेजिंग ट्रस्टी  गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि  उनके संस्था केवॉलिंटियर्स के साथ  प्रतिदिन  अनेक लोग जुड़ते जा रहे  हैं  जो घर घर से रोटी एकत्र करने तथा लोगों के घर जाकर  रोटी देने का अभियान- "रोटी बैंक" अभियान को बड़े शिद्दत के साथ चला रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत  मुंबई के मलिन बस्ती, झुग्गी - झोपड़ियों रहने वाले  और तिहाडी  पर काम करने वाले बेसहारा लोगों को रोटी बांटा जा रहा है। 

शाह ने बताया कि समस्त महाजन के  इस कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर हीरा भाई जैन इस समय विशेष वर्दी पहने हुए 150  से अधिक वॉलिंटियर्स  को लेकर रात- दिन इस कार्य में जूटे  हुए हैं।  रोटी बैंक अभियान के तहत  अब तक 3,000 से अधिक दानवीर परिवारों के द्वारा  एकत्र 30,000  रोटी रोजाना  एकत्र कर तकरीबन 6,000  जरूरतमंद  परिवारों को भोजन देने का कार्य किया जा रहा है।  जिन लोगों को  भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं  उनमें अधिकांश लोग मलिन बस्ती के गरीब परिवार, फुटपाथ पर बसर करने वाले बेसहारा लोग और लॉक डाउन होने के कारण ऑटो ड्राइवर पिया तिहारी पर काम करने वाले मजदूर इसमें शामिल है।  रोटी बैंक  कार्यक्रम के तहत  दस्ताने, मास्क, सैनिटाइजर ,साबुन इत्यादि  आवश्यक सामान भी दिए जा रहे हैं। 

समस्त महाजन के ट्रस्टी ने अभी बताया कि  रोटी बैंक कार्यक्रम के माध्यम से भोजन प्रदान करने के समय  सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।  साथ ही साथ जो वालंटियर काम में लगे हुए हैं , वह  सरकार के निर्देशानुसार दस्ताने पहने तथा मास्क लगाकर काम करते हैं।  संस्था की ओर से यह आग्रह किया गया है कि जो लोग रोटी बैंक कार्यक्रम से जुड़ना चाहते हैं , वह बिना संकोच  हीरालाल जैन (9821232818) या समस्त महाजन कार्यालय (9820020976) से सीधे संपर्क कर सकते हैं।  इस अवसर पर संस्था की ओर से इस सेवा कार्य का अत्यंत प्रेरक प्रपत्र भी जारी किया गया है। 

*************

























Sunday 26 April 2020

करुणा इंटरनेशनल के संस्थापक   दुलीचंद जैन अब नहीं रहे- श्रद्धांजलि कर्यक्रम संपन्न


चेन्नई की अग्रणीय  पशु कल्याण संस्था - "करुणा इंटरनेशनल" के संस्थापक दुली चंद जैन इस दुनिया में अब नहीं रहे।संस्था की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि 22 अप्रैल 2020 को 11 बजे उनका स्वर्गवास हो गया। इस समाचार को सुनते ही  देशभर के पशु प्रेमियों  में शोक की लहर  फैल गई।  सभी ने  दिवंगत आत्मा की शांति के लिए  प्रार्थना की  और शोक संतप्त परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को  सहने की शक्ति प्रदान करने की  कामना की। सभी लोगों ने कहा कि दुलीचंद जैन जी के कर्म योग और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। 
शोक सभा आयोजित की गई
चेन्नई की पशु कल्याण संस्था "करुणा इंटरनेशनल" ने 26 अप्रैल 2020 को सायंकाल 3 बजे एक शोक सभा का आयोजन किया जिसमें चेन्नई शहर के साथ-साथ गूगल प के जरिये देश भर के जीवदया समर्थकों/अनुयाईयों और संस्था के सदस्यों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की । 






Wednesday 22 April 2020

कोरोना वायरस की महामारी के दौर में पशु चिकित्सकों की ड्यूटी अब चेक पोस्ट एवं थानों पर

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने गैर-विभागीय कार्यों पर ड्यूटी न लगाने का अनुरोध किया

रांची (झारखंड)

विश्व भर में पशु चिकित्सा सेवा  को  जन स्वास्थ्य सेवा के  नजरिए से जोड़ कर के देखा रहा है  किंतु  एशिया केतमाम देश , खासकर के भारत में  पशु चिकित्सकों की  प्रोफेशनल ड्यूटी से  अलग जिम्मेदारियां देने की बड़ी पुरानी  परंपरा चली आ रही है।  हालांकि,केंद्र ने यूनाइटेड नेशन की सहयोगी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन के सिफारिश के अनुसार पशु चिकित्सकों को "वन हेल्थ अप्रोच" के जरिए जन स्वास्थ्य सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय अभियान शामिल होने की सिफारिश की है। भारत सरकार इस दिशा में खास करके कोविड-19 महामारी के सुरक्षा एवं बचाव अभियान में देश के पशु चिकित्सकों को इस मुहिम में जोड़ने का आदेश दिया है। लेकिन, झारखंड में कुछ और चल रहा है। इस सिलसिले में झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघने  प्रदेश सरकार से यह अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार के मार्गदर्शन के अनुसार पशु चिकित्सकों की ड्यूटी गैर संबंधित जगह जैसे चेक पोस्ट या थाने आदि जगहों पर न लगाएं।


झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ.विमल कुमार हेंब्रम ने बताया कि एक और देश भर में  पशु चिकित्सा सेवा के लिए  डॉक्टरों की कमी बताई जाती है जिसके लिए  केंद्र सरकार चिंतित है, दूसरी तरफ  देश के तमाम राज्यों में विशेषकर झारखंड में किसी भी पशु चिकित्सक  के योग्यता  और मूल जिम्मेदारी से अलग कर  दूसरी जिम्मेदारियां सौंप  दी जाती है। ऐसी परिस्थिति में पशु चिकित्सक के योग्यता का सरेआम दुरुपयोग होता है। आज नहीं तो कल पशु चिकित्साव्यवस्था को कमजोर करने का अवसर पशुपालन और ग्रामीणों अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ेगा। अब यह दुनिया भर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि उत्पादन क्षमता अपनी सीमा पर पहुंच चुकी है। इसलिए भारत ही नहीं समूची दुनिया की भोजन व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए पशुपालन काही अब एक मात्र सहारा बचा है। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार उसे इस बात का स्मरण रखते हुए योजनाओं का संचालन और नीतियों का निर्माण करना चाहिए। 

इस सिलसिले में झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के महासचिव डॉ. डीआर विद्यार्थी ने पत्र लिखकर के निदेशक पशुपालन झारखण्ड सरकार को पशुचिकित्सकों के गैर विभागीय कार्यों में प्रतिनियुक्ति के कारण पशुचिकित्सा और अन्य  पशु चिकित्सा संबंधित विभागीय कार्यों के निस्तारण में हो रही कठिनाई अवगत कराया है और अनुरोध किया है कि  प्रदेश के पशु चिकित्सकों को पशु चिकित्सा संबंधी जिम्मेदारी ही दिया जाए क्योंकि उनका काम गैर संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी देने से मुख्य जिम्मेदारी  की भूमिका निभाने में  अनेक बाधाएं आ रही है और इस सिलसिले में पशु चिकित्सा सेवा और वर्तमान में उत्पन्न जन स्वास्थ्य संबंधी समस्या को प्रभावित होने से बचाया जाना चाहिए।डॉ विद्यार्थी ने यह भी कहा किपशु चिकित्सकों की सेवाओं का भरपूर लाभ न लेने सेग्रामीण अर्थव्यवस्था परसीधा असर पड़ेगा। इसलिए इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल विचार कर कार्यवाही की जानी चाहिए। 

पशु चिकित्सा सेवा संघ, झारखंड  के प्रचार मंत्री , डॉ. शिवानंद काशी के अनुसार इस संबंध में  झारखंड राज्य के मुख्य सचिवद्वारा जारी  पत्र : पत्रांक -350 (अनु. ) दिनांक 15/ 04 / 2020 संदर्भ गृह मंत्रालय भारत सरकार का आदेश सं। 40-3 / 2020-डीएम -1 (ए), दिनांक -15 / 04/ 2020 के संदर्भ का जिक्र करते हुए कहा गया  है कि कोविड-19  जैसी घातक महामारी की भयावह  स्थिति में गृह मंत्रालय भारत सरकार का आदेश सं-40-3 / 2020-डीएम-1 (ए), दिनांक- 15 / 04 / 2020 के क्रम में जारी दिशा निर्देश और तत्संबंधी मुख्य सचिव झारखण्ड सरकार के पत्रांक -350 (अनु.) दिनांक 15/04/2020  तक इस मामले में कड़ाई से  के साथ अनुपालन किया जाना चाहिए।

डॉ. शिवानंद ने आगे यह भी बताया कि  इस समय यह बात  बिल्कुल स्पष्ट  हो चुकी है कि भारत सरकार (गृह मंत्रालय) के दिशा निर्देशों की कंडिका -5 (वी) पशु चिकित्सा अस्पताल, औषधालय, क्लीनिक, पैथोलॉजी लैब की बिक्री और वैक्सीन और दवा की आपूर्ति की उपकुंडिका (IX) सभी चिकित्सा और पशु चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिकों, नर्सों, पैरा-मेडिकल स्टाफ, लैब तकनीशियनों, और अन्य अस्पताल सहायता सेवाओं सहित एम्बुलेंस द्वारा पशुचिकित्सा कार्यों को आवश्यक और आकस्मिक सेवाओं के लिए (अंतर और अंतर राज्य) की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, वर्तमान में पशुपालन विभाग के ज्यादातर पशुचिकित्सा राज्य भर के जिलों में बनाए गए चेकपोस्टों, थानों इत्यादि स्थानों पर विधि व्यवस्था  जैसे गैर-तकनीकी  एवं असंबंधित कार्यों में तैनात किए गए है। ऐसे जिम्मेदारियों से  एक पशु चिकित्सक का क्या लेना देना है। 

झारखंड  पशु चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डॉ. डी आर विद्यार्थी ने बताया कि ऐसी परिस्थिति में पशुचिकित्सा सहित अन्य विभागीय कार्यों के सम्पादन में कठिनाई उत्पन्न हो रही है जिससे राज्य के गरीब पशुपालक पशुचिकित्सा से बंचित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि संघ ने अपने पत्रांक -11 दिनांक -24 / 03 / 2020 द्वारा पशुपालन एवं पशुचिकित्सा सेवाओं के लिए आवश्यक सलाह जारी करने का अनुरोध किया है।संघ पुनः निवेदन करना चाहता है कि उपर्युक्त भारत सरकार (गृह मंत्रालय) के सदर्भाहीन आदेश एवं मुख्य सचिव झारखण्ड के संदर्भ गंगा पत्र के आलोक में विभागीय तकनिक कार्यों के सम्पादन हेतु स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करेंगे। साथ ही सभी उपायुक्त झारखण्ड को निदेशित करना करेंगे की पशुचिकित्सकों को विधिव्यवस्था / गैर विभागीय कार्यों से विमुक्त करें जिससे पशुचिकित्सा एवं विभगीय करियों का सम्पादन हो सके।

***************

Wednesday 8 April 2020

केंद्र सरकार के आदेश के बाद एनिमल फीडिंग पास न मिलने पर संपर्क करें , तुरंत व्यवस्था की जाएगी..

.
भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी एडवाइजरी  का पालन  अति आवश्यक - वर्तमान संक्रमण के बीच भूख से पशु मृत्यु रोकना जरूरी - लॉक डाउन की हालात में पशु- पक्षियों को दाना -पानी देते रहें : गिरीश जयंतीलाल शाह

8 अप्रैल 2020 ; मुंबई महाराष्ट्र

करोना वायरस के तहत जारी लॉक डाउन के स्थिति में भारत सरकार ने सिर्फ मनुष्य के ही दुख - दर्द की ही
चिंता नहीं की है बल्कि , पशु - पक्षियों से संबंधित सभी जन स्वास्थ्य के मामले में सतर्कता बरतने के लिए  दिशा - निर्देश जारी किए हैं।  केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय द्वारा  बड़े पशुओं से लेकर छोटे पशुओं को  भोजन - पानी प्रबंधन  उपलब्ध कराने  के मामले में सभी राज्य सरकारों को जारी एक अत्यंत महत्वपूर्ण एडवाइजरी  को भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश जयंतीलाल शाह ने देश भर के जिलाधिकारियों  एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दोबारा प्रेषित कर आग्रह किया है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी पालतू एवं गैर पालतू सभी प्रकार के पशु- पक्षियों के भोजन - पानी की सुविधा मुहैया कराने के लिए सुविधा अवश्य प्रदान की जाए क्योंकि चारे दाने या स्वास्थ्य संबंधी असुविधाओं के नाते पशुओं के मरने से कोरोनावायरस के नियंत्रण की स्थिति और गंभीर हो जाएगी। जिन लोगों को केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी एनिमल फीडिंग के लिए पास या कार्ड नहीं मिल पा रहा है, वह कृपया तुरंत संपर्क करें .

इस संबंध में शाह ने  केंद्र सरकार द्वारा जारी दिनांक 23 मार्च 2020 के उस एडवाइजरी के महत्व को बताते हुए
देशभर के सभी राज्यों से अनुरोध किया है कि इस समय देश में पशुओं के कल्याण से संबंधित मामले को देखने वाले भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के चेयरमैन द्वारा प्रेषित सभी मुख्य सचिवों के पत्र/एडवाइजरी के परिपालन में संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिशा निर्देश देना और उसका प्रति पालनकिया जानाअत्यंत आवश्यक है ताकि  पालतू अथवा गैर पालतू पशु पक्षियों के भोजन पानी अथवा स्वास्थ्य संबंधित देखभाल का प्रबंध निरंतर जारी रहे , क्योंकिसुविधाओं के कारणपशुओं के मृत्यु के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।मरे हुए पशुओं के द्वारा बीमारियों को फैलने कीसमस्याएं और विकराल हो जाएंगी। इसलिए ,इस कार्य के लिए जिम्मेदार विभाग- पशुपालन , नगर  निगम/पालिकाएं  या पंचायतें  अपने अपने क्षेत्रों में पशु पक्षियों को दाना-पानी देने में पशु प्रेमियों एवं किसानों को नियमानुसार सहूलियत प्रदान करें।

शाह  के अनुसार भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के चेयरमैन द्वारा राज्य सरकारों को  प्रेषित दिशा निर्देशन का संबंधित विभाग द्वारा गंभीरता से पालन अति आवश्यक है ।उन्होंने यह भी कहा है कि जिन पशु प्रेमियों को एनिमल फीडिंग और आवश्यक प्रबंधन की सुविधा हेतु  स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्ड या पास नहीं मिल पा रहा है उन्हें सीधे भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड से संपर्क करना चाहिए ताकि बोर्ड सेसंबंधित विभाग से सीधे संपर्क किया जा सके औरएनिमल फीडिंग कार्ड दिलाया जा सके।उन्होंने यह भी कहा कि  भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के चेयरमैन  द्वारा जारी दिशा निर्देशन कब हर जगह प्रति पालन हो रहा है बशर्ते पशु कल्याण के उद्देश्य से काम कर रहे व्यक्ति उचित जगह पर यदि संपर्क करें तो उन्हें एनिमल फीडिंग के लिए सुविधा अवश्य प्रदान की जाएगी। 

******

Sunday 5 April 2020

आहार शास्त्र से लेकर आदर्श जीवनशैली अपनाने के लिए भगवान महावीर का दर्शन शास्त्र -"आहार मीमांसा" पढ़ें



भगवान महावीर ने "अहिंसा परमो धर्मः" के संदेश से जीवन जीने की कला सिखाई

@ गिरीश जयंतीलाल शाह

आज समूचा विश्व कोरोना वायरस की जानलेवा भय से जूझ रहा है। चाइना जैसे वन्य जंतुओं को विनाश की कगार पर ले जाने वाला देश को समूची दुनिया कोस रही है। ऐसे परिपेक्ष में भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं जीवन शैली "अहिंसा परमो धर्म:" का संदेश बताने वाले भगवान महावीर की वाणी से दुनिया भर में सीख ली जाती है। इस महान संदेश को याद कर इस साल तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी । दरअसल, जन्म-जयंती जेसे शब्द हमारी परंपरामें प्रयोग नहीं किए जाते है। भगवान का जन्म पूरे विश्व के कल्याण के लिए हुआ था।  पहला  कल्याणक माता की कोख में अवतरण हुआ इसलिए च्यवन कल्याणक कहते है।  भगवान के जनम को दूसरा कल्याणक अथवा जनम कल्याणक कहते है जब भगवान दीक्षा लेते है सब कुछ त्याग करके इसे तीसरा कल्याणक कहते है।  चौथा है जब उन्हें सम्पूर्ण ज्ञान होता है उसे केवलज्ञान कल्याणक कहते है और पांचवा है जब भगवान का निर्वाण होता है इसे निर्वाण या मोक्ष कल्याणक कहते है।  इस प्रकार भगवान के जीवन में एसे पांच कल्याणक होते है। 

जैन धर्म परंपरा यह अनादि से चली आ रही है।  उस परंपरा में परमात्मा आदेश्वर भगवान जो हमारे चोवीस तीर्थंकर में से प्रथम थे, इन्होने क्षेत्रकाल के प्रथम धर्म की स्थापना की।  हम उसे शासन स्थापना कहते है, जैसे महाराष्ट्र शासन , गुजरात शासन, केन्द्र शासन वैसे ही शासन का मतलब व्यवस्था। व्यवस्था का स्थापन भगवान महावीर ने किया।  अक्षय तृतीया के सात दिन के बाद वैशाख शुक्ल ग्यारस को इस समय के 21 हजार साल की शासन की स्थापना महावीर भगवान ने की। कोई चीज उत्पन्न होती है, स्थिर होती है ओर फिर नाश होती है।  यह सनातन सत्य है।  सनातन सत्य के आधार पर परमात्मा फिर जो केवल ज्ञान है, प्रकाश होता है, इसके माध्यम से प्रवचन करते है  और प्रवचन के माध्यम से वह पूरे विश्व को, प्रजा को, समाज को जीवन जीने की कला सिखाते है।  मतलब कम से कम पाप करके जीवन कैसे जिया जाये उसकी सारी कलाए भगवान सिखाते है।  मै यह मानता हु कि जैन धर्म जीवन जीने की पद्धति है। 

आजकल लोग मजाक मजाक में कहते है कि क्या है ये, ये नहीं खाना, वह नहीं खाना, रात को नहीं खाना,कंदमूल नहीं खाना, ये नहीं करना,वो नहीं करना  लेकिन अब कोरोना वायरस से सब संकट में आ गए है तब उन्हें समझ में आ रहा है कि  नियमों का पालन एवं परहेज करना कितना जरुरी है | अब लोग हमारी सनातन परंपरा को स्वीकार कर रहे है और हाथ मिलाने के बजाये नमस्ते कह कर अभिनंदन कर रहे है। हमारे यहाँ तो बहुत पहले से ही यह परंपरा अस्तित्व में है हमें सर्व प्रथम प्रणाम सिखाया गया था।  आज डर कर मास्क लगा रहे है। हम तो पहले से ही मास्क लगाते आ रहे है।  हम मंदिर में भी भगवान की पूजा के लिए जाते है तो मास्क अष्टपड़ - रुमाल लगा कर जाते है।  भगवान तो प्रतिमा रूप में है बावजूद इसके मुँह और नाक ढंके बिना भगवान की पूजा की मनाही है। इतना ही नहीं किसी से बात भी करोगे तो उस समय अष्टकोण रुमाल (मुह्प्त्ती) मुह पर रखकर ही बात करोगे।  हमारी परंपरा में स्थानकवासी जो परंपरा है वह तो मुह पर कपडे बांधकर ही रखते है।  कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में मास्क का बिजनेस बढ़ गया है।  लेकिन हमारे यहाँ तो पहले से ही है। 
  
हमारे यहाँ मुह या खाँसी – छींक से निकलने वाला वायरस किसी अन्य तक न पहुंचे, किसी को कोई नुकसान न पहुंचाए, उसका भी ख्याल रखने की बात भगवान महावीर ने बताई थी। महावीर ने यही संदेश दिया था की दुसरो को तकलीफ न दो, ऐसा जीवन जियो।  और “जियो  और जीने दो” . भगवान महावीर से बड़ा कोई पर्यावरणप्रेमी कोई हो ही नहीं सकता।  इन्होंने सभी जीवमात्र के कल्याण की बात कही। आहार शास्त्र से लेकर जीवनशैली कैसी होनी चाहिए, इस बारे में भगवान महावीर ने संपूर्ण मार्गदर्शन दिया है। आहार मीमांसा नामक ग्रंथ में बहुत ही विस्तारपूर्वक इसका वर्णन किया गया है।  इसके अलावा हमारा व्यवहार माता पिता के साथ,भाई बहन, मित्र, पड़ोसी आदि के साथ कैसा होना चाहिए इस सबंध में भी बताया गया है।

भगवान महावीर ने बहुत ही सुंदर तरीके से सामाजिक बंधुत्व के लिए अपनी भावना एवं विचार प्रस्तुत किया है। कहा कि  विश्व के संपूर्ण जीव हमारा कुटुंब है हमें  हमें मैत्रीभाव रखना चाहिए।  केवल अपने परिवार के साथ ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को अपना मानने की बात भगवान महावीर ने हमें सिखाई है।  भगवान ने कहा है की किसी भी जीव के प्रति मन में किसी प्रकार की दुर्भावना न रखे।  किसी भी प्राणी के प्रति अपना मन मुटाव हुआ हो तो “मिच्छामी दुक्कड़म”कह कर हमें उनसे क्षमा मांगनी चाहिए।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लोक सभा सदन में “मिच्छामी दुक्कड़म” कह कर क्षमा याचना कर अपनी भावनाए सभी के बीच जाहिर की है।  यदि रात के समय भी हम से कोई गलती हो जाये या किसीके प्रति मन मे ख्याल भी आ जाए तो सुबह उठकर “मिच्छामी दुक्कड़म” कह कर हम मांफी मागते है और पश्चाताप करते है।  जीवन मात्र के प्रति करुणा का भाव रखने का विश्व संदेश सामाजिक बंधुत्व के तहत भगवान महावीर ने दिया है। 

समस्त महाजन संस्था भगवान महावीर भगवान के किन आदेशो पर चलते हुए ग्रामविकास के सपने को साकार करने के लिए कार्यरत है ? भगवान महावीर ने ग्रामविकास के लिए क्या उपदेश दिया है ? मैंने पहले ही कहा था की भगवान महावीर सबसे बड़े पर्यावरण प्रेमी थे, वह पेड़ के पत्ते तक नहीं तोड़ते थे, वह पेड़ के पत्ते में भी जीव है ऐसा सोचते थे।  क्योंकि उन्हें परमात्मा को जो संपूर्ण सत्य प्रकाश ज्ञान हुआ वह वृक्ष के निचे हुआ और वह भी नदी किनारे हुआ।  नदी और वृक्ष सबसे समीप भगवान रहते है, यूँ  कह सकते है की उनसे जुड़ गए है।  यदि ऐसा नहीं होता तो बड़े बड़े राजभवन में भी परमात्मा का सत्य ज्ञान प्रकाशित होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।  इसका अर्थ है परमात्मा नदी-वृक्ष प्रकृति से गहरे जुड़ गए है।  अभी यह कह सकते है की परमात्मा से संपर्क स्थापित करने का एन्टीना तो यही है।  भारत एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था, भारत सोने की चिड़िया तभी रहेगी जब हम पशु कल्याण,वृक्ष कल्याण,जल कल्याण इन तीनो को संरक्षित एवं संवर्धित कर पायेगे।  ग्रामविकास के संदर्भ में भगवान महावीर ने यह सारी बातो का उपदेश दिया है और समस्त महाजन संस्था भगवान के विचारों की पूर्ती के लिए ही ग्रामविकास के लिए पूरी तन्मयता से जूडी हुई है। 

भगवान महावीर के विचार कालजयी है, वे सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे मै मानता हु की आज भी वह 100  प्रतिशत प्रासंगिक है।  जीवन जीनेका जो संदेश भगवान महावीर ने संसार को दिया है यही इस तरह से अखिल विश्व जीवन जीना शुरू करदे तो शांति, सदाचार, सौहार्द, संपन्नता और चारो ओर आनंद ही आनंद हो जायेगा।  कोई किसी का दुश्मन नहीं रहेंगा।  विश्व में कही भी युध्ध नहीं होगा।  सभी मिलजुल कर रहेंगे।  दुनिया आज पैसो के पीछे भाग रही है।  संवेदनहीन हो चले है, तनावभर जीवन लोग जी रहे है।  भगवान महावीर ने इस समय ही कह दिया था की परिग्रही बनो अर्थात एक मर्यादा में रह कर ही पूण्य एवं पुरुषार्थ के बल पर प्राप्त मात्रा में जो धन आपको मिले, उससे ही ख़ुशी ख़ुशी अपने जीवन का निर्वाह करो।  इससे आप सदा आनंदित भी रहोगे और तनाव भी नहीं होगा।  भगवान महावीर ने विषयुक्त आहार का सेवन करने की मनाही  की है।  ऑर्गेनिक खेती का ही अन्न सेवन करने के योग्य है। सर्व प्रथम अहिंसा का संदेश इन्होंने ही दिया।  किसी जीव के साथ हिंसा मत करो।  एसी अनेकाअनेक सुंदर व्यवस्थाए इन्होंने बताई।  इसीलिए भगवान महावीर जन्मकल्याणक के शुभ अवसर पर मेरा यही संदेश है की स्वस्थ, निरोगी, सहस्तित्व के साथ प्रेमपूर्वक जीना चाहते हो तो भगवान महावीर के बताए रास्तो पर चलो। उससे सभी का भला होगा।  भगवान महावीर के विचारो को अमल में लाने पर ही जीवन का कल्याण निहित है।  

मेरे गुरुदेव परम तारक पन्यास चंद्रशेखरविजय महाराज की प्रेरणा ओर आशीर्वाद से वर्ष 1994 -1996 से मैंने सामाजिक कार्य की शरुआत की और इसके बाद 2002 में समस्त महाजन संस्था की स्थापना की।  हमने केवल जैन समाज के नामसे इस ट्रस्ट की शरुआत नहीं की क्योंकि हमारे भगवान तो सब के है। इसीलिए सभी के लिए हमने समस्त महाजन अर्थात अच्छे लोगो का समूह, इस “समस्त महाजन” संस्था नामसे ट्रस्ट की शरुआत की।  आज विश्वमे सज्जनों की संख्या बढे तो दुर्जनोका प्रभाव कम हो जाएगा।  सज्जनों की निष्क्रियता से ही सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। यदि सज्जन शक्ति सक्रिय हो जाये तो विश्व का कल्याण हो जायेगा।  हमने भारत या मुंबई महाजन नाम नहीं दिया बल्कि सपूर्ण सृष्टि के कल्याण के पवित्र भावना के साथ समस्त महाजन संस्था नाम दिया।  

विश्व के सभी अच्छे लोग एक अच्छी विचारधारा के साथ जुड़े।  इस भावना के साथ भगवान महावीर का संदेश है “सवी जीव करू शाशन रती” अर्थात सभी जीवों को जीने का अधिकार है भगवान महावीर के उपदेशो के अनुरूप हमने सभी प्राणियों एवं पंच महाभूतों जिनमे पृथ्वी , आकाश, वायु , जल, अग्नि, तथा प्रकृति यानी पर्यावरण की रक्षा ,सर्वधन को अपना ध्येय मानकर कार्य कर रहे है ; ताकि परमेश्वर प्रदत इस सृष्टि को अधिक सुंदर बनाया जा सके मेरा सभी अच्छे लोगो से यही आग्रह है कि वह एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत से इस इश्वरी कार्य में सम्मिलित हो जाये और दुष्ट तामसिक पाशविक शक्तिओं को परास्त करे।  तभी यह संसार फिर से मंगल ग्राम बन पायेगा और यह दायित्व अच्छे सज्जन लोगो पर ही है।   

जैसे महावीरजी ने जल तत्व की बात की तो हमने गाँव – गाँव में तालाब, कुए, नदी- नाले आदि की पुनः व्यवस्था कर गाँववासियों को पानी के मामले में आत्म निर्भर बनाया। हमने यह अभियान चलाया की गाँव के प्रत्येक व्यक्ति 16  वृक्ष लगाए।  मान लो किसी गाँव ने 1 ,000  लोग रहते है  और वे सभी सोलह सोलह वृक्ष लगाते है।  तो कुल 16 ,000  वृक्ष गाँव में लग जायेगे।  ओर गाँव नंदनवन बन जायेगा।  इससे किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।  हर गाँव हर व्यक्ति स्वावलंबी बने।  पैसे कमाने के लिए कही बाहर जाने की जरूरत नहीं है।  पहले हर गाँव में पशुपालन और कृषि व्यवस्था थी।  इससे उनकी आमदनी होती थी।  दूध, दही, धी, मख्खन एवं अनाज आदि के व्यापर से ग्रामीण लोग समृद्ध थे।  हम फिर से पुरानी ग्रामीण व्यवस्था को जीवंत करने के लिए काम कर रहे है और भगवान महावीर के विचारो को अपने सामाजिक कार्यो के माध्यम से जन – जन तक पहुंचा रहे है। 

देखिए , ऐसा है की भगवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि संकट के समय पीडितो की सेवा सहायता करनी चाहिए।  अभी भी हमें कोई पीड़ित व्यक्ति मिले तो हमसे जो भी यथायोग्य सेवा हो सकती है, वह करनी चाहिए।  प्राकृतिक आपदा की बात करे तो उस समय पशुपक्षी और मानव आदि सभी संकट में पड़ जाते है।  उनको बचाना तो सर्वश्रेष्ठ धर्म है।  हमने कश्मीर में बाढ़ आने पर वहा भी काम किया था।  हमने तब यह सोचा की वह कोई भी हो वह मानव है और प्राकृतिक आपदा के समय हमे  उनकी सहायता करनी चाहिए, यही हमारा धर्म हमें सिखाता है।  इसी भावना के साथ हमने केरल से लेकर नेपाल आदि सभी जगहों पर राहत कार्यो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ओर पीडितो को यथा संभव सहायता प्रदान की।  भगवान महावीर ने भी हमें यही सन्देश दिया है कि संकट के समय पीडित लोगो की मदद व सेवा करो.  हम उनकी ही प्रेरणा से यह सारे कार्य कर रहे है। 

हर लोग जो अध्ययन-मनन कर विवेकशील बनते है वह सभी महाजन ही है। सभी को अपनी परंपरा से जुड़ कर अपने – अपने क्षेत्र में अच्छे कार्य करने चहिये।  केवल बातो से ही नहीं काम  चलेगा।  हमें अब प्रेक्टिकल बनना पड़ेगा।  ग्राउंड लेवल पर हम छोटे छोटे कार्य करना चाहिए  जैसे 16 – 16  वृक्ष लगाकर अच्छे कार्य से जोड़  सकते है।  हम छोटा सा गढ्ढा खोद कर पानी रिसर्व कर सकते है।  हम गौचर, गौवंश की सेवा कर सकते है।  किसी  दीनहीन  जरूरियातमंद की सहायता कर सकते है।  ये सब अच्छे कार्य है।  सभी को करने चाहिए यह सब कार्य करके हम अपने जीवन में भी सुधार ला सकते है।  हम अपने आहार में भी सुधार ला सकते है।  हम क्यों होटल का खाना खाते है ? नहीं खाना चाहिए।  हम क्यों गन्दा खाना खाते है ? नहीं खाना चाहिए।  हमें सर्व प्रथम अपना कल्याण स्वयं करना चाहिए। हमें  पहले अपनी व्यवस्था सुधार कर अपने आस-पास के लोगो की सेवा करना चाहिए।   अगर आप बहुत ताकतवर बन जाये तो पूरे देश सहित विश्व कल्याण की भावना लेकर व्यापक काम करना चाहिए।  इसी से सभी का कल्याण होगा और भगवान महावीर के विचारो को हम साकार कर पाएंगे। ( @ लेखक भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड,भारत सरकार के सदस्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त संस्था-"समस्त महाजन" के मैनेजिंग ट्रस्टी है )

*****

महावीर जयंती के अवसर पर देशभर के वधशालाओं को बंद रखा जाय : गिरीश जयंतीलाल शाह

भगवान महावीर के "अहिंसा परमो धर्मः" का संदेश आज कितना जरूरी

5 अप्रैल, 2020 ; मुंबई (महाराष्ट्र) 5, 2020 • डॉ.आर. बी. चौधरी
आज समूचा विश्व कोरोना वायरस की जानलेवा भय से जूझ रहा है। चाइना जैसे वन्य जंतुओं को विनाश की कगार पर ले जाने वाला देश को समूची दुनिया कोस रही है। ऐसे परिपेक्ष में भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं जीवन शैली "अहिंसा परमो धर्म:" का संदेश बताने वाले भगवान महावीर की वाणी से दुनिया भर में सीख ली जाती है। इस महान संदेश को याद कर इस साल तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी  किंतु आज के परिपेक्ष में भगवान महावीर के संदेश की पृथ्वी से मानवता बचाने के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इस बार का अंदाज लगाया जा सकता है।  भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य  एवं समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी ,गिरीश जयंतीलाल शाह  ने कहा कि हमारा देश  अपने सांस्कृतिक विरासत , ऋषि मुनियों के अहिंसा वादी संदेश , मर्यादाओं एवं संयम पर आधारित जीवन पद्धति सदैव समूची दुनिया को आकृष्ट करती रही है।  

उन्होंने  महावीर जयंती के अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी किए गए एडवाइजरी का  हवाला देते हुए बताया कि देश के महापुरुषों के जन्म दिवस के अवसर पर पशुओं का वध नहीं होना चाहिए और सभी राज्यों को इस एडवाइजरी का तत्काल प्रति पालन करना चाहिए। गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सचिव डॉ एस के दत्ता के  द्वारा जारी  एक अनुरोध/ सर्कुलर के माध्यम से  देश के सभी जिलाधिकारियों  से यह अनुरोध किया गया है कि  महावीर जयंती या अन्य राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर देश के सभी वधशालाओं बंद रखा जाए. पत्र में यह भी अनुरोध किया गया है कि जिलाधिकारी/ राज्य सरकार स्थानीय निकायों  अथवा  प्राइवेट  निकाय द्वारा संचालित वधशालाओं को इस अवसर पर बंद रखा जाए।  पत्र में इस संबंध में तत्काल कार्यवाही करने की बात कही गई है और कहा गया है कि इस संबंध में किए गए कार्यवाही से अवगत कराया जाए। 

महावीर जयंती के अवसर पर उन्होंने अपने संदेश में देशभर के सभी पशु प्रेमियों,जीव दया के क्षेत्र में काम कर रहे कार्यकर्ताओं तथा सरकारी - गैर सरकारी प्रतिभागियों से अनुरोध किया है कि विश्व के सभी अच्छे लोग एक अच्छी विचारधारा के साथ जुड़े।  इस भावना के साथ भगवान महावीर का संदेश है “सवी जीव करू शाशन रती” अर्थात सभी जीवों को जीने का अधिकार है भगवान महावीर के उपदेशो के अनुरूप हमने सभी प्राणियों एवं पंच महाभूतों जिनमे पृथ्वी , आकाश, वायु , जल, अग्नि, तथा प्रकृति यानी पर्यावरण की रक्षा ,सर्वधन को अपना ध्येय मानकर कार्य कर रहे है ; ताकि परमेश्वर प्रदत इस सृष्टि को अधिक सुंदर बनाया जा सके मेरा सभी अच्छे लोगो से यही आग्रह है कि वह एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत से इस इश्वरी कार्य में सम्मिलित हो जाये और दुष्ट तामसिक पाशविक शक्तिओं को परास्त करे।  तभी यह संसार फिर से मंगल ग्राम बन पायेगा और यह दायित्व अच्छे सज्जन लोगो पर ही है।  

उन्होंने भगवान महावीर के संदेश को याद दिलाते हुए कहा किजैसे महावीरजी ने जल तत्व की बात की तो हमने गाँव – गाँव में तालाब, कुए, नदी- नाले आदि की पुनः व्यवस्था कर गाँववासियों को पानी के मामले में आत्म निर्भर बनाया। हमने यह अभियान चलाया की गाँव के प्रत्येक व्यक्ति 16  वृक्ष लगाए।  मान लो किसी गाँव ने 1 ,000  लोग रहते है  और वे सभी सोलह सोलह वृक्ष लगाते है।  तो कुल 16 ,000  वृक्ष गाँव में लग जायेगे।  ओर गाँव नंदनवन बन जायेगा।  इससे किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।  हर गाँव हर व्यक्ति स्वावलंबी बने।  पैसे कमाने के लिए कही बाहर जाने की जरूरत नहीं है।  पहले हर गाँव में पशुपालन और कृषि व्यवस्था थी।  इससे उनकी आमदनी होती थी।  दूध, दही, धी, मख्खन एवं अनाज आदि के व्यापर से ग्रामीण लोग समृद्ध थे।  हम फिर से पुरानी ग्रामीण व्यवस्था को जीवंत करने के लिए काम कर रहे है और भगवान महावीर के विचारो को अपने सामाजिक कार्यो के माध्यम से जन – जन तक पहुंचा रहे है। सभी को अपनी परंपरा से जुड़ कर अपने – अपने क्षेत्र में अच्छे कार्य करने चहिये।  केवल बातो से ही नहीं काम  चलेगा।  

हमें अब प्रेक्टिकल बनना पड़ेगा।  ग्राउंड लेवल पर हम छोटे छोटे कार्य करना चाहिए  जैसे 16 – 16  वृक्ष लगाकर अच्छे कार्य से जोड़  सकते है।  हम छोटा सा गढ्ढा खोद कर पानी रिसर्व कर सकते है।  हम गौचर, गौवंश की सेवा कर सकते है।  किसी  दीनहीन  जरूरियातमंद की सहायता कर सकते है।  ये सब अच्छे कार्य है।  सभी को करने चाहिए यह सब कार्य करके हम अपने जीवन में भी सुधार ला सकते है।  हम अपने आहार में भी सुधार ला सकते है।  हम क्यों होटल का खाना खाते है ? नहीं खाना चाहिए।  हम क्यों गन्दा खाना खाते है ? नहीं खाना चाहिए ।  भगवान  महावीर के सन्देश के अनुसार  हमें सर्व प्रथम अपना  कल्याण स्वयं करना चाहिए। हमें  पहले अपनी व्यवस्था सुधार कर अपने आसपास के लोगो की सेवा करना चाहिए।   अगर आप बहुत ताकतवर बन जाये तो पूरे देश सहित विश्व कल्याण की भावना लेकर व्यापक काम करना चाहिए ।  इसी से सभी का कल्याण होगा और भगवान महावीर के विचारो को हम साकार कर पाएंगे। 

*********************

Saturday 4 April 2020

फरीदाबाद की प्रीति दुबे कोरोनावायरस "कोविड-19" के दौरान बेसहारा जानवरों की बनी मसीहा , कहा-" बेसहारा पशुओं की प्राणरक्षा को भी लोग रोकते हैं"


फरीदाबाद (हरियाणा): डॉ.आर.बी.चौधरी    

फरीदाबाद की  युवा पशु प्रेमी  प्रीति दुबे कोरोनावायरस  कोविड-19 के नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा बंद केआवाहन के बाद नियमानुसार सड़क और गली कूचे के बेसहारा पशुओं को भोजन- पानी देने में जुटी हैं औरलोगों से अपील कर रही हैं कि लोग अपने पास पड़ोस के पशु पक्षियों को चारा - दाना देते देते रहें. उन्होंने  यह भी अनुरोध किया कि इस कार्य को कदापि बंद नहीं किया जाना चाहिए.  

प्रीति का कहना है कि इस पुण्य काम में तमाम लोग बाधा डालते हैं और उन्हें न तो जीव दया से कुछ लेना-देनाहै और ना ही धरती पर मौजूद पशु- पक्षियों, पेड़-पौधों और पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए मानव अस्तित्व को बनाए रखने  रखने में  सभी का बराबर का योगदान है , ऐसे लोगों को इसका तनिक भी एहसास नहीं है. इस बारे में उनका कहना है कि लोगों में जागरूकता का अभाव है. सरकार द्वाराजन जागृति कार्यक्रम चलाने से लेकर इस दिशा में काम करने वाले लोगों को उत्साहित करने की अत्यंत आवश्यकता है. प्रीति पिछले एक दशक से जीव दया एवं पशु कल्याण के क्षेत्र में काम कर रही हैं . अपने निस्वार्थ  सेवा  और पशु प्रेम के वजह से  कैरियर बनाने के लिए सिविल सर्विस की तैयारी को छोड़कर पशु कल्याण को  जीवन का उद्देश्य बना लिया  है.

वर्तमान में  पीपल फॉर एनिमल्स नामक संस्था की एक इकाई चला रही हैं. इसके लिए उन्होंने अपने संघर्ष पूर्ण दिनचर्या से कई लोगों का दिल जीत लिया और लोगों से दान प्राप्त कर आज पशुओं के देखरेख, चिकित्सा एवं आकस्मिक सेवा की सुविधा के लिए एक शेल्टर भी बना लिया है. जहां पर एक क्लीनिक के साथ  एंबुलेंस की व्यवस्था करने में सफल  हो गई है .प्रीति अपने रोजाना के कार्यों का जिक्र करते हुए बताया कि हमारे देश में महिलाओं की एक तरफ बहुत इज्जत होती है. वेदों और पुराणों में भी मैं देवी - देवताओं के रूप में सम्मानित किया गया है. किंतु बेहद शिक्षित और पढ़े-लिखे आज के समाज में भी लोग महिलाओं की इज्जत नहीं करते और उनके द्वारा किए गए कार्यों में बाधा डालते- कई जगहों पर उन्हें पशुओं की प्राण रक्षा करने से  भी रोकते हैं, जो निहायत निंदनीय है और अमानवीय है.

पीपल फॉर एनिमल्स, फरीदाबाद  इकाई की संचालक प्रीति दुबे राज्य और केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि  जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960  के अनुसार पशु सेवा में लगे लोगों के कार्य में बाधा डालने वालों के प्रति सख्त कार्यवाही होनी चाहिए  और पशु कल्याण की दिशा में कार्यरत महिलाओं की आवाज  राज्य  एवं केंद्र सरकार द्वारा तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए अन्यथा  "पशु सुरक्षा - पर्यावरण सुरक्षा" का वास्तविक उद्देश्य अपने लक्ष्य से भटक जाएगा. उन्होंने कोविड-19 से बचाव के दिशा में सरकार द्वारा जारी नियमों का प्रतिपादन करने एवं भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशन को मद्देनजर रखते हुए बेसहारा पशुओं को भोजन पानी देने की अपील की और कहा कि जितना संभव हो हर घर- हर परिवार अपने पास - पड़ोस के पशु पक्षियों को दाना -पानी देते रहें, यही हमारी धर्म और संस्कृति है जहां पग-पग पर इंसानियत का एक से एक बड़ा उदाहरण मिलेगा जिसकी समूची दुनिया कायल है.

प्रीति के उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए  भारत सरकार की ओर से उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से  सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ साथ अब तक जीव दया एवं जीव रक्षा  दर्जनों सम्मान एवं प्रमाण पत्र के लिए प्रदान किया गया है. 

***************

कोरोना महामारी के पीडितों की सहायता के लिये आगे आइए : गिरीश जयंतीलाल शाह

समस्त महाजन का जैन समाज से विशेष आग्रह

2 अप्रैल 2020 ; मुंबई(महाराष्ट्र)

जैन समाज के लोग अधिकांशत  लोग विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में जुड़े हुए हैं और साथ ही दया और करुणा के क्षेत्र  में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड,भारत सरकार के सदस्य एवं समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह ने जैन समाज से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस सेउत्पन्न संकट की परिस्तिथि में जैन समाज के दानवीर आगे आए और अपने देश की इस विपत्तिजनक स्थिति में अपने तन मन धन से किसी भी प्रकार की करोना महामारी के पीड़ितों की सहायता करें।

इस सिलसिले में  शाह ने बताया कि जैन समुदाय के मार्गदर्शको एवं आध्यात्मिक गुरुओ द्वारा  लगातार अनुरोध किया जा रहा है कि जैन समाज के सभी उद्योगपति ,श्रीसंघ एवं दानवीर अपना किसी न किसी रूप में मानवता दिखते हुए योगदान दे एवं देश की ,समाज की इस आकस्मिक चिंताजनक स्तिथि में सहायता करे। शाह यह भी बताया कि वर्तमान महामारी के इस विकट स्तिथि में जैन संघो , संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा जो भी प्राथमिक आवश्यकता और जीवन संसाधन के  किट्स की जरूरत है उसका वितरण शुरु कर दिया गया गया है और यह कार्य तब तक चलाया जाएगा जब तक इस विपदा पर नियंत्रण नहीं पा लिया जाता। 

ऐसी हालात में कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों के लिए भोजन -पानी, सैनिटाइजर,मास्क,साबुन आदि का प्रबंध करने का आग्रह किया है। साथ ही साथ काम करने वाले कर्मचारियों को ऐसी परिस्थिति में  सभी से तनख्वाह आदि की व्यवस्था नियमित जारी रखने का अनुरोध किया जा रहा है। शाह ने जैन समाज से आग्रह किया है कि  सभी शहरों और गांवो में जो परिवारों की संघो, संस्थाओं, फाऊंडेशन, समाज द्वारा जो साधर्मिक भक्ति की जाती थी उसे चालू रखा जाय और ऐसी कठिन परिस्थिति में इन परिवारों का विशेष ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी अच्छी तरह से निभायी जानी चाहिए।

जीवदया एवं पशु कल्याण के क्षेत्र में शाह ने अनुरोध करते हुए बताया कि गौशालाओं एवं पांजरापोल जैसी सभी संस्थाओं का भी ऐसी परिस्थिति  में विशेष ध्यान रखना अत्यंत जरुरी है ताकि जीव जंतुओं की सभी आवश्यक जरूरतों को पूरा किया जा सके । उन्होंने कहा सभी मानवतावादी लोगों को अपनी जन्मभूमि या कर्मभूमि पर दान के लिए विशेष ध्यान रखना चाहिये। जीवदया कार्य  में किए गए सभी कार्यों से हमारी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है जिससे समाजमें सुख- शांति आती है। इसलिए व्यक्तिगत से लेकर सरकार के प्रयास को सफल बनाने की परम आवश्यकता है।

शाह ने सभी मानवता वादियों से निवेदन किया कि दान दाताओं  द्वारा जो भी दान ईकट्ठा करें उसे विभाजित कर दान दें ताकि उसका उपयोग करके कोरोना वायरस से पीड़ितों की सहायता में ठीक ढंग से लगाया जा सके ।इस समय हमें अपना दान स्थान पर देने की बजाय उसे प्रधान मंत्री राहत फंड, मुख्य मंत्री राहत फंड एवं स्वयं सेवा कार्य में संलग्न संस्थाओं के माध्यम से दान देना चाहिए। हमें आज जीव दया ,गौ संरक्षण - संवर्धन के लिए गौशालाओं तथा पांजरापोलों अथवा अन्य जीव-जंतुओं के प्राण रक्षा के लिए दान देने की परम आवश्यकता है।

****