ANIMAL WELFARE

Tuesday, 6 October 2020

जीव जंतु कल्याण अधिकारी मदनलाल पटियाल ने हिमाचल की गौसेवा संबंधी चुनौतियों से अवगत कराया राष्ट्रीय कामधेनु आयोग को - कहा इस बार दिवाली में गोबर से बने दीए ही जलेंगे


6 अक्टूबर 2020 , मंडी (हिमाचल प्रदेश) : डॉ. आर. बी. चौधरी 

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग  इस समय आत्मनिर्भर भारत  अभियान के तहत गौशालाओं तथा पंजरापोलों के  स्वाबलंबन के लिए  जन जागृति कर रहा है। आयोग आगामी दीपावली के  शुभ अवसर पर  गोबर से बनाए गए  दीए जलाने का  अनुरोध कर रहा है। अभियान को सफल बनाने के लिए आयोग के अध्यक्ष  डॉक्टर वल्लभभाई कथीरिया ने बेबनार  बैठक में  हिमाचल प्रदेश के  गौशाला प्रतिनिधियों एवं पशु प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि  गोबर से बनाए गए दीए  उपयोग करने से  गाय तथा गोबर  का बेहतर उपयोग होगा  और इससे  गौशालाओं की आमदनी बढ़ेगी।  साथ ही साथ  युवा उद्यमियों को  काम का अवसर मिलेगा।  इस अवसर पर  भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद  जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी  मदनलाल पटियाल  ने हिमाचल प्रदेश की ओर से  आयोग अध्यक्ष डॉक्टर कथीरिया का  अभिनंदन किया  और हिमाचल प्रदेश की गौशालाओं द्वारा दिवाली के शुभ अवसर पर गोबर से दीए बनाने की  मुहिम को  आगे बढ़ाने का वादा किया। 

आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर कथीरिया अपने संबोधन में  गोबर के उपयोगिता  के कई वैज्ञानिक एवं आर्थिक  पहलू पर   कई रोचक जानकारियां दी।  उन्होंने कहा कि  अभी पिछले महीने में गणेश चतुर्थी के अवसर पर पूरे देश भर में गोबर से गणेश मूर्ति बनाकर  पर्यावरण को सुरक्षित रखने  तथा गौशालाओं की आमदनी  बढ़ाने की  एक मुहिम चलाई गई थी जो अत्यंत सफल रही है।  इस बार दिवाली में गोबर से बने दीए  बनाकर  भारत के  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  आवाहन  आत्मनिर्भर भारत को   घर घर तक पहुंचाया जाएगा।  आयोग यह चाहता है कि  गाय और गोबर का महत्व बड़े ताकि किसानों की आमदनी के साथ-साथ  स्वास्थ्य, पौष्टिक एवं  जहर से मुक्त  खाद्यान्न प्राप्त किया जा सके।  उन्होंने बताया कि इस बार दिवाली में  11 करोड़ दिए बनाने का  लक्ष्य रखा गया है  जबकि विभिन्न प्रदेशों मैं काम कर रहे  पशु प्रेमियों की जोश से ऐसा लगता है कि  यह संख्या कई गुने तक पहुंच जाएगा। 

हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ गौशाला प्रतिनिधि एवं भारत सरकार के मानद  अधिकारी मदनलाल पटियाल ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश की गौ पशुओं की स्थानीय नस्लें आज भी अत्यंत लोकप्रिय हैं और उनके दूध में औषधीय गुण पाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश की गौशालाओं को प्रदेश सरकार द्वारा प्रति पशु चारे के भुगतान की बात कही गई है लेकिन अभी भरण पोषण संबंधी सुविधा गौशालाओं तक नहीं पहुंच पाई हैं। सभी लोग बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह वर्तमान में मंडी एचपीसीएसए जुड़े हुए दो गौशालाओं की व्यवस्था देख रहे हैं जिसकी व्यवस्था प्रबंधन एवं देखभाल में जिलाधिकारी एवं पशुपालन विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है। पटियाल ने आयोग अध्यक्ष से हिमाचल प्रदेश के गौ संरक्षण- संवर्धन की व्यवस्था मैं सहयोग करने की अपील की और आयोग द्वारा किसी भी जिम्मेदारी दिए जाने पर उसके बेहतर निर्वाहन का वादा किया। साथ ही साथ पटियाल ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष को

हिमाचल प्रदेश आने का कई बार आग्रह किया है और भरोसा है हिमाचल प्रदेश में गौ संरक्षण नीति निर्धारण और कुशल संचालन में अपना मार्गदर्शन देंगे। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गौ सेवा आयोग हिमाचल प्रदेश के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा भी उपस्थित हुए और उन्होंने आयोग से अपील किया कि गोबर से लट्ठा बनाने की मैया कराने में मदद करनी चाहिए ताकि गोबर के उपयोग संबंधी नई उपलब्धियां हासिल की जा सके। उन्होंने माना कि गौशालाओं के स्वाबलंबन के लिए स्वयं सामने आना होगा और स्वयं स्वावलंबी बनने के लिए हर चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

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