ANIMAL WELFARE

Saturday 30 May 2020

"समस्त महाजन" ने जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए "रोटी बैंक" का नया फॉर्मूला अपनाया





 एक परिवार से शुरू समस्त महाजन का रोटी बैंक कार्यक्रम अब 3,800 से अधिक परिवारों का विशाल समूह बन गया - इसमें  जरूरतमंदों के लिए रोटी है तो  मुंबई के कबूतरों के लिए दाना भी-गिरीश जयंतीलाल शाह

मुंबई (महाराष्ट्र) , 30 मई 2020 : रिपोर्ट:डॉ.आर.बी.चौधरी

करोना लॉक  डाउन के पहले से  रोटी बैंक का संचालन एक आम बात बन गया है।  हर शहर में रोटी या भोजन
एकत्र कर जरूरतमंदों को खिलाने का काम लोग  करते रहे हैं। वैसे रोटी बैंक की शुरुआत   आज से तकरीबन 2 साल पहले मुंबई  के रिटायर्ड डीजीपी, डी शिवानंदन मुंबई के प्रसिद्ध टिफिन वाहक 'डब्बावालों' के साथ मिलकर के होटलों और ढाबों से बचे हुए  भोजन  को एकत्र कर  भूखे प्यासे  लोगों में बांटने की  मंशा से  शुरू की गई जो धीरे-धीरे आज देश के कई शहरों में संचालित किया का रहा है । लेकिन सवाल यह है कि  भोजन के सबसे बड़े स्त्रोत  होटल और ढाबे  अगर बंद हो तो फिर क्या किया जाए।  इस कार्य में एक अनोखी पहल  समस्त महाजन के  स्वयंसेवी  हीरालाल जैन ने पिछले चार अप्रैल से  रोटी संकलन एवं वितरण का कार्य को नया आयाम दे दिया है। इस कार्य कोशुरू में उन्होंने अपने घर से चालू किया। फिर क्या, इससे प्रभावित होकर उनके पास -पड़ोस के चंद लोग जुड़े और एक कारवां बन गए। सफलता से उत्साहित हीरालाल ने अपनी संस्था समस्त महाजन के मुखिया से बात कर इसे सुनियोजित अभियान का रूप देने का  निश्चय कर लिया और आज कुल 3,800 से अधिक परिवार इस अभियान में शामिल हो चुके हैं। 

संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी  गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि  उनके संस्था के स्वयंसेवक अर्थात वॉलिंटियर



हीरालाल जैन जरूरतमंदों के लिए एक ऐसा सफल अभियान लेकर आए हैं तो शाह ने  तत्काल इस कार्यक्रम
संचालन का सहमति दे दी। हालांकि ,हीरालाल जैन ने रोटी बैंक की शुरुआत  रोटी के साथ गुड बांटने की की थी किंतु समस्त महाजन के सहयोग से गुड एवं रोटी की जगह सब्जी -दाल और खीर का भी वितरण आरंभ हो गया।  उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के संचालक हीरालाल जैन का सेवा भाव अद्भुत है। वह अत्यंत उत्साही एवं कर्मठ कार्यकर्ता है जो पिछले कई वर्षों के दौरान समस्त महाजन कि अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत नेपाल में पशु बलि को रोकने के लिए संचालित अभियान के कोऑर्डिनेटर रूप मेंकई महत्वपूर्ण कार्य कर चुके हैं। उनके उत्साह का ही नतीजा है कि कोरोना वायरस के लॉकडाउन के दौरान होटलों और ढाबों को बंद होने के बावजूद  हीरालाल जैन द्वारा समस्त महाजन का अभिनव रोटी बैंक कार्यक्रम लांच कर 3,800 से अधिक परिवारों के सहयोग से तकरीबन 30,000 रोटियां जरूरतमंदों को बांटी जा रही हैं। संस्था के सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन एकत्रित रोटियां 2 घंटे के अंदर संस्था के 300 नए स्वयंसेवक एवं  17 समस्त महाजन के नियमित वर्दीधारी स्वयंसेवकों के माध्यम से वितरित कर दिया जाता है।रोटी बैंक के कार्यक्रम से प्रतिदिन 6-7 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं।अब तक कुल 2 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं ।

शाह ने आगे बताया कि  रोटी बैंक के इस कार्यक्रम का श्रेय हीरालाल जैन को जाता है।  पिछले तकरीबन 3
पखवारे से उन्होंने ठीक से सोया नहीं है। दिन रात  रोटी बैंक के चिंतन मनन में लगे रहते हैं।रोटी वितरण का कार्य समय सबसे प्रभावित क्षेत्र मलाड,कांदिवली और मीरा रोड के जरूरतमंदों तक रोजाना पहुंचाया जा रहा है। समस्त महाजन के कार्यकर्ता लॉक डाउन के नियमानुसार सोशल डिस्पेटेंसिंग,मास्क लगाने और सैनिटाइजर के प्रयोग का पूरा ध्यान रखते हैं। भोजन वितरण के समय में इच्छुक प्रतिभागियों को कबूतरों का दाना प्रदान किया जाता है और उनसे आग्रह किया जाता है कि वह घर जाकर कबूतरों को दाना देना ना भूलें और उन्हें पानी भी पिलाते रहें। भोजन वितरण कार्यक्रम के दौरान इस कार्य को सुनिश्चित करने के लिए 2 वालंटियर माइक लेकर  जीव दया का प्रचार भी करते हैं। समस्त महाजन का मानना है कि घर से रोटियां प्रदान करने वाली माताएं और बहने सचमुच अन्नपूर्णा है। उनकी दयाशीलता और करुणा के  संबल का ही नतीजा है कि रोटी बैंक कार्यक्रम सफल हो सका है। शाह ने बताया कि हीरालाल के दिमाग की उपज है कि हम भोजन वितरण में प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करते हैं। सभी जरूरतमंद अपने घर से बर्तन (थाली- लोटा) लेकर के आते हैं और अपना भोजन ले जाते हैं। इसलिए भोजन वितरण में ना तो प्रदूषण है और न हीं गंदगी फैलने की कोई गुंजाइश। समस्त महाजन का उद्देश्य है शाकाहार के प्रति जागृति लाना, पशुबलि और पशु कुर्बानी जैसी जघन्य हिंसा को रोकना और लोगों को बताना कि यह धर्म नहीं बल्कि मानवता के लिए कलंक है।

रोटी बैंक के कार्यक्रम के इस सफलता का सूत्र पूछने पर बताया गया कि जैन धर्म के आचार्य अभय शेखरसुरेश्वर जी के शिष्य मुनीराज आर्य शेखर विजय जी के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से चलाया जा रहा है। अतिरिक्त खर्चों की व्यवस्था के बारे में पूछने पर बताया कि रोटी के प्रबंधन के अलावा अन्य खर्च भी आता है , वह समस्त महाजनके द्वारा वहन किया जाता है। वैसे प्रतिदिन 25 से 30 हजार रुपए का खर्चा आ रहा है जिसे समस्त महाजन पूरा करता है। आपातकाल परिस्थितियों से निपटने के लिए संस्था इस कार्यक्रम को भविष्य में योजनाबद्ध ढंग से रोटी बैंक या भोजन प्रबंधनन के लिए विचार कर रही है। 
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Sunday 24 May 2020

गुजरात के एक बहुचर्चित पशु प्रेमी देवेंद्र जैन का देश के मानवतावादियों से आग्रह

वापी (गुजरात) :
देवेंद्र जैन  गुजरात , राजस्थान  एवं महाराष्ट्र  के जैन समाज का एक जाना माना नाम है।  पिछले दो दशकों से दर्जन भर  सामाजिक संस्थाओं से  जुड़े हुए हैं।  देवेंद्र जी कहीं पर संस्था के अध्यक्ष हैं तो कहीं
पर उपाध्यक्ष और सदस्य। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड में मानद अधिकारी भी रह चुके हैं  और देश के  राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संस्था समस्त महाजन के  ट्रस्टी भी हैं।  अभी हाल में देवेंद्र जी श्री अजित सेवा ट्रस्ट वापी संचालित  राता  पांजरपोल  के नए कार्यक्रमों की शुरुआत से अपने को जोड़ा है  जो गुजरात में जीव दया दया, पशु पक्षियों के लिए करुणा तथा गौशाला पशुओं के लिए  एक नया आश्रय  स्थापित किया गया है।  जहां देवेंद्र जी के सहयोग से कई  कार्यक्रम फल फूल रहे हैं  और नव स्थापित संस्था  पशु सेवा ही नहीं लोगों को पशु सेवा के लिए  ज्ञानार्जन  एवं  पारिवारिक - संस्कार  के संदेश  देने वाले मनोरंजन का  केंद्र होगा।  लोग छुट्टियों में जाकर वहां  अपने परिवार के साथ जीव दया के  महत्व को समझेंगे।  इसी मनोकामना को लिए हुए  देवेंद्र जी  ने देश भर के मानवतावादी  महानुभाव से  आग्रह किया और  अपने संदेश में लिखा है -

सभी पशु प्रेमी बंधुओं को सादर 🙏🏻 नमस्कार - लॉकडाउन में आपके  स्वस्थ एवं प्रसन्न दिनचर्या की कामना। कोरोना  बनाम  करुणा : महा भयंकर  कोरोना की वैश्विक महामारी ने सिर्फ मानव - जाति के लिए ही नहीं पर निर्दोष व अबोल जीवो को भी  महा संकट में डाल दिया है।  मानवजात तो बोलकर भी अपना काम कर सकता है , पर , अबोलजीवो का क्या ? वह तो अपनी व्यथा भी व्यक्त नहीं कर सकते हैं।  जब मनुष्य लोक डाउन की परिस्थिति मे  घरो में बंद है।  तब निःसहाय ओर बेबस अबोलजीव गली नुक्कड़ या रास्ते में  भूखे  घूम रहे है।  भूखे - प्यासे असहाय पशु की विकट परिस्थिति देख परम आदरणीय  श्री अजित सेवा ट्रस्ट वापी संचालित  राता  पांजरपोल ने टेम्पो द्वारा  ढेर सारा  हरा चारा वितरण किया  गया और पक्षियो के चबूतरे पर जाकर जुवार-बाजरी आदि गाना दिया जा रहा है।  लॉकडाउन में आप घर से बहार नही निकल सकते हो तो कोई बात नही , संस्था के कार्यकर्ता सेवा में लगे है।  आपके आर्थिक सहयोग एवं समर्थन  की अपेक्षा करते हुए.......

आपका,

देवेंद्र जैन वापी ,
मोबाइल: 982512999 
बेस्ता 🐂 महीना
अबोलजीवो की दुआ के साथ
🙏🏻 मनाओ शुभ 🌹 कामना

समस्त महाजन ने राता पंजरापोल को परियोजना संचालन के लिए 11 लाख रुपए का दान दिया - देवेंद्र जैन ने राता पंजरापोल के चारा उत्पादन एवं परिसर को विकसित करने के लिए सहयोग की अपील की






वापी के देवेंद्र जैन ने राता पंजरापोल के चारा उत्पादन  परिसर को विकसित करने के लिए सहयोग की अपील की - समस्त महाजन ने  परियोजना संचालन के लिए 11 लाख  रुपए का दान दिया - संस्था के ट्रस्टी  रमेश भाई शाह ने 28 एकड़ जमीन चारा उगाने के लिए दिया


वापी (गुजरात) ;  25  मई 2020 : एनिमल वेलफेयर ब्यूरो 

गुजरात में अजीत सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित राता पंजरापोल (बापी) ने हाल ही में लॉक डाउन के विकट परिस्थिति में  पंजरापोल के नए परिसर का शुभारंभ किया गया है जिससे गुजरात के गौ सेवा अभियान में  एक  कड़ी जुड़ गई। संस्था के  ट्रस्टी देवेंद्र जैन ने बताया कि  पंजरापोल के इस परिसर का स्थापना इस नाते हो सका है कि संस्था के  ट्रस्टी रमेश भाई शाह ने  पंजरापोल के नाम 28 एकड़ जमीन  चारा उत्पादन हेतु प्रदान किया।  जैन ने यह भी बताया कि सहायता समस्त महाजन की ओर से  विशेष योजना संचालन  हेतु राता पंजरापोल को  11 लाख रुपए का दान  दिया  गया ताकि दान दी गई  राशि से जमीन को समतल करके उस पर चारा उत्पादन के लायक बनाया जा सके।  इस पंजरापोल में  एक प्रदर्शनी केंद्र - घासीबो  बनाया जा रहा है जहां पर लोग आकर के गाय को चारा भी डालेंगे और अपने परिवार तथा बच्चों के साथ के साथ मनोरंजन करेंगे। 

इस काम को करने के लिए उन्होंने जेसीबी , ट्रैक्टर और लेवलर की व्यवस्था किया। जिसका नतीजा है कि आज उबड़ खाबड़ जमीन पंजरापोल के पशुओं के लिए चारा उत्पादन एक एक बेहतरीन चारा उत्पादन केंद्र के किया जा सके। सिंचाई की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए ट्यूबवेल , कुआं  और टैंक का निर्माण कराया गया है।  इतने ही नहीं जल प्रबंधन व्यवस्था को  सुनिश्चित करने तथा  सिंचाई की सुविधा  हो उन्नत बनाने के लिए  ड्रिप  और स्प्रिंकलर सिंचाई की सुविधा प्रदान की।  जिसका नतीजा है कि आज  पंजरापोल में पाले जाने वाले पशुओं के लिए बेहतरीन चारा -जैसे सामण, जीजुआ  और धामण  घास उगाया जा रहा है।  इस नए परिसर के विकास में तकरीबन 11-12  लाख रुपए खर्च  पंजरापोले  खर्च किया है। भावी कार्यक्रमों को मध्य नजर रखते हुए आगामी 5 वर्षों के अंदर इस परिसर को और विकसित कर लिया जाएगा  जिस पर 10 से ₹15 लाख का  और अतिरिक्त खर्च आएगा। इस पंजरापोल में  एक प्रदर्शनी केंद्र - घासीबो  बनाया जा रहा है जहां पर लोग आकर के गाय को चारा भी डालेंगे और अपने परिवार तथा बच्चों के साथ के साथ मनोरंजन करेंगे। 

जैन ने बताया कि  इस पांजरा पोल के परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र - कसीबों बनाया जा रहा है जहां पर लोग आकर के गाय को हरा चारा भी डालेंगे और अपने परिवार तथा बच्चों के साथ के साथ मनोरंजन करेंगे।  आने वाले आगंतुकों  के लिए सिर्फ न केवल गौ संरक्षण संवर्धन का ज्ञान प्राप्त होगा  या प्रेरणा मिलेगी , बल्कि लोगों को भरपूर मनोरंजन मिलेगा।  उन्होंने बताया कि  प्रबंधन द्वारा  यह व्यवस्था की जा रही है कि कोई भी विजिटर जब आएगा तो उसे ऐसी सुविधा प्राप्त हो जहां चाहे तो मनोरंजन करें ,शादी की सालगिरह मनाए, कोई धार्मिक- संस्कृतिक- शैक्षिक-साहित्यिक संगोष्ठी/ सेमिनार अन्य  ज्ञान विज्ञान से संबंधित क्रियाकलाप कर शक है और उसे आनंद प्राप्त हो।  जब वह जाने लगे तो उसे कुछ सकारात्मक सोच या चिंतन या विचारधारा लेकर जाएं और गौ सेवा में  शुद्ध मन से सहायता करे । प्रबंध कार्यकारिणी का यह  भी योजना है कि इस पंजरापोल के परिसर में गौ संरक्षण से संबंधित फिल्म प्रदर्शनी, पंचगव्य की औषधियां, गौशाला पर बनाई हुई कलात्मक वस्तुएं इत्यादि प्रदर्शित की जाए। आगंतुकों को साथ साथ में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट भी उपलब्ध हो सके। 

अजीत सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित राता पंजरापोल (बापी) की ओर से  गुजरात के प्रख्यात समाजसेवी  तथा गौ भक्त , देवेंद्र जैन ने  अनुरोध किया है कि राता पंजरापोल (बापी) को विकसित करने के लिए  गौ सेवक , पशु प्रेमी तथा अन्य दयावान दानवीर अपना सहयोग प्रदान कर  लाभार्थी बने।  देवेंद्र जैन ने बताया है कि इच्छुक महानुभाव 9825129111  संपर्क कर सकते हैं।  उन्होंने यह भी कहा है कि इस  पर एक  वीडियो फिल्म बनाई गई है जिसको निम्नलिखित लिंक पर देखा जा सकता है : https://youtu.be/dwTGRednjZ8 

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झारखंड सरकार ने कहा कि केंद्र द्वारा जारी आदेशों के अनुसार गैर कानूनी ढंग से पशु-पक्षी की बिक्री करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी


केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार  झारखंड सरकार ने जीव जंतु क्रूरता निवारण (डॉग ब्रीडिंग एवं  मार्केटिंग ) नियम, 2017 एवं जीव जंतु क्रूरता निवारण(पेट शॉप) नियम, 2018  को राज्य में लागू करने का आदेश जारी किया है  -झारखंड सरकार ने कहा कि नियमों का प्रतिपाल न करने वालों  के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.......


रांची (झारखंड) 25 मई, 2020 : एनिमल वेलफेयर ब्यूरो

इस महीने की शुरुआत में भारत सरकार की ओर से भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर के यह अवगत कराया कि केंद्र सरकार ने जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत जीव जंतु क्रूरता निवारण (डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग ) नियम, 2017 एवं जीव जंतु क्रूरता निवारण(पेटशॉप) नियम 2018 पास कराया है ताकि पालतू पशुओं पर होने वाले अपराध को रोका जा सके। पत्र में यह भी दर्शाया गया है कि राज्य सरकारों कोइस संबंध में मार्च महीने में पत्र लिखकरयह अवगत कराया गया था किलाफ डाउन के दौरानपशु पक्षियों के विक्रेताओं द्वाराउनकी देखभाल न कर पानेऔर बंदी बनाए रखने के कारण तमामजूनोटिक बीमारियां होने की संभावना है।

साथ साथ पशुओं कोलव डाउन के दौरान भोजन पानी की व्यवस्थाना करने से उनका जीवन सिर्फ यात्रा पूर्ण ही नहीं है बल्कि उनकी जान जोखिम में है। इसलि केंद्र ने इस माह के शुरुआत में राज्य सरकारों को पत्र लिखकर निर्देशित किया किउपरोक्त दोनों नियमों का प्रति पालन सुनिश्चित किया जाए। लव डाउन के नियमों को मद्दे नजर रखते हुए नियम के सारे निर्देशों का पालन किया जाए। पत्र में यह बड़े स्पष्ट तौर पर कहा गया है किपशु पक्षियों के बेचे जाने वाले दुकानदारों को खोलने की अनुमति पंजीकरण के बाद ही प्रदान किया जाए।

इस दिशा में झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने अधिसूचना जारी कर सभी पशु पक्षियों के दुकानदारों को आगाह किया है कि वह नियमों का अच्छा सा पालन करें। झारखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा जारी उपरोक्त दोनों नियमों के सारांश नीचे दिए जा रहे हैं -

अ)झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा जीव जंतु क्रूरता निवारण(पेट शॉप) नियम 2018 के तहत जारी प्रमुख आदेश -

1)प्रत्येक ‘‘पालतू पशु दुकान:- किसी भी परिसर, बाजार, दुकान, घर, स्थान अथवा आॅनलाइन प्लेटफर्म जहाँ पालतू पशुओं का खूदरा, थोक विक्रय किया जाता है का राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड अन्तर्गत पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

2)पालतू पशु दूकान द्वारा प्रत्येक ‘‘पालतू पशु:- जिसके अंतर्गत कुत्ता, बिल्ली, खरगोश, गिन्नी पिग, हैमस्टर, मूसक या चूहिया प्रवर्ग के कृतंक तथा पिंजरबंद पक्षी (वन्य जीव अधिनियम से मुक्त पक्षी) की आयु से संबंधित रिकाॅर्ड को पशुचिकित्सक से प्रमाणित कराकर सुरक्षित रखना एवं विक्रय करना है।

3)राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा निर्गत विहित प्रपत्र में आवेदनकरता द्वारा रू॰ 5,000/-(पाँच हजार रूपये) का डिमाण्ड ड्राफ्ट राज्य जीव जन्तु कल्याण  बोर्ड, झारखण्ड, राँची के नाम से अपना आवेदन कार्यालय पता पर देय होगा।
4)राज्य  जीव जन्तु कल्याण बोर्ड,झारखंड मे पंजीकरण के लिए आए आवेदन पर पालतू पशु दुकान के निरीक्षण के पश्चात् जो सारी नियमों एवं अपेक्षाओं को पुरा करते है, उन्हें ही पंजीकरण प्रमाण पत्र निदेशक, (निबंधन पदाधिकारी) राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा जारी की जाएगी साथ ही किसी भी व्यक्ति की असत्य सुचना पर एवं पशुओं के प्रति क्रूरता करते हुए दोशी  पाए जाने पर पंजीकरण रद्द की जाएगी।

5)पालतू पशु का विक्रय से पूर्व चिकित्सा के समस्त अभिलेखों जैसे, टीकाकरण, चिकित्सा, विकृमिकरण एवं बेचे गए प्रत्येक पालतू पशु से संबंधित सूचना जैसे प्रजाति, संख्या, कीमत, अरोग्य/पंजीकरण प्रमाण पत्र, पशुचिकित्सक का नाम पता तथा दुरभाष संख्या से संबंधी रिकार्ड को सुरक्षित रखते हुए दुकान पर प्रदर्शित भी करेंगे।

5)पंजीकृत पशुचिकित्सक द्वारा प्रत्येक माह पालतू पशु का जाँच कर अरोग्य प्रमाण पत्र संधारित करना एवं स्वस्थ घोषित पालतू पशु का विक्रय करना है।

6)स्तन्यपानी पशु या अप्राप्तव्य  पशुओं या पक्षियों, ग्याभीन पालतू पशु या तरूण की देखभाल करने वाले मादाओं का विक्रय नहीं करेंगे साथ ही किसी भी पशु या पक्षी को दुकानों पर या उनके बाहर या खिड़की में भी प्रदर्शित नहीं करेंगे।

7)पालतू पशुओं हेतु स्वच्छ पेयजल, आहार, साफ-सफाई, मल-मूत्र विस्तारण व्यवस्था, रात में देखभाल हेतु पर्याप्त परिचर एवं पालतू पशु जो एक दूसरे के प्रति विद्वेष रखते है को बाडो में प्रदर्शित/नहीं करेंगे साथ ही अग्नि दुर्घटना, अन्य पशुओं से आक्रमण से बचाव/संरक्षा के लिए सभी आवश्यक पूर्व सावधानी रखेंगे।

8)पालतू पशु दुकान में मानव उपभोग (भोजन, चमडी तथा उत्साधनों) के लिए प्रयुक्त किसी पशु का विक्रय नहीं करेंगे।

9)प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी-पशुओं को देखभाल/संभालने के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति एवं पर्याप्त मात्रा में रखना है।

10)पालतू पशु दुकान स्वामी किसी जुनोटिक या संसारगिरक  बिमारी या संर्कमक के प्रकोप की सूचना स्थानीय पशुचिकित्सक, जिला पशु क्रूरता निवारण समिति, राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड एवं कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (पशुपालन प्रभाग) को लिखित सूचना देगें।

11)प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी-बीमार पशु एवं नए लाए गए पालतू पशु को पृथक करने के लिए  संगरोध या एकांतवास केंद्र की व्यवस्था एवं उसमें प्रयोग किए गए उपस्कर और आद्यानों को पृथक और सुभिन्नतः करेंगे तथा बीमार पशु को हटाने पर उसे पूर्ण विसंक्रमित करना है।

12)पालतू पशु दुकान स्वामी असाध्य बीमार या घातक रूप से घायल पालतू पशु को पशुचिकित्सक द्व़ारा सुख मृत्यु दिलाएगा, मृत पशु के शव को अतिशीघ्र हटाना एवं उसका अभिलेख रखेगा तथा राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड को सूचित करेगा। 

13)पालतू पशु दुकान में अंग विच्छेदित पालतू पशुओं (यथा श्वान पशुओं की पूँछ काटना   कान काटने ,  धवनी अवरोध शल्य क्रिया, डीबीकिंग सर्जरी अथवा अन्य प्रकार के अंग विच्छेदन आदि) का विक्रय नहीं किया जाएगा तथापि आवश्यक उपचारात्मक शल्य चिकित्सा की पशुचिकित्सक के नुस्खे पर छूट होगी।

14)पालतू पशु दुकान में क्रियात्मक माइक्रोचिप रहना अनिवार्य है एवं पशुचिकित्सक द्वारा माइक्रोचिप लगे पिल्लो को ही विक्रय किया जाएगा.

15)सोलह सप्ताह से अधिक आयु के पिल्ले और पशुओं के विभिन्न प्रजातियो का आयु प्रमाण पत्र पशु चिकित्सा द्वारा हस्ताक्षरित, प्रमाणित एवं संधारित रखना है साथ ही विक्रय के लिए प्रदर्शित पशु के तीन माह बीत जाने के बाद  अविक्रीत पालतू पशु का रजिस्ट्रर में प्रविष्ट करना एवं उसको गली में या अन्यत्र कहीं त्याग नहीं करना है।

16)पशु दुकान स्वामी यदि ग्रूमिंग सर्विस  खरहरा सेवाओं प्रदान करने के लिए आवेदन में उल्लेख करेगा  एवं ग्रूमिंग एरिया - प्राथमिक पशु बाडों और पशुचारा भंडारण से अलग रखेगा।

17)पशु क्षेत्रों में पेट प्रोडक्ट  और साज सामान को खुदरा या थोक विक्रय के लिए कदापि नहीं रखना है साथ ही पशु दुकान स्वामी निःशुल्क पशु क्रेता को पेट केयर लीफलेट पशु का /  ट्रेट  एवं बिहेवियर पैटर्न की जानकारी देना है।

18)पालतू पशु का विक्रय केवल व्यस्क व्यक्ति के साथ किया जाएगा एवं विक्रय किए गए पशु का रसिद की प्रति दुकान में रखी जाएगी।

19)पालतू पशु दुकान स्वामी राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड से निबंधित प्रजनक से प्राप्त पालतू पशु का विक्रय करेगा ।

20)प्रत्येक तीन माह के अन्तराल में जिला पशुपालन पदाधिकारी/क्षेत्रीय निदेशक, पशुपालन अपने क्षेत्रान्तर्गत पदस्थापित पशुचिकित्सक के माध्यम से पालतू पशु दुकान का निरीक्षण कर सूचना विहित प्रपत्र में राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड को उपलब्ध कराये।


बी)जीव जंतु क्रूरता निवारण (डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग ) नियम, 2017 के तहत  महत्वपुर्ण दिशा निर्देश -

1)प्रत्येक डाॅग ब्रीडर्स द्वारा राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड अन्तर्गत पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य है।

2)राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा निर्गत विहित प्रपत्र में आवेदनकरता द्वारा अपना आवेदन कार्यालय पता पर देय होगा।

3)आवेदन के साथ आवेदक द्वारा रू 5,000/-(पाँच हजार रूपये) का डिमाण्ड ड्राफ्ट राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड, राँची के नाम से देय होगा।

4)राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड रजिस्ट्रीकरण के लिए किसी आवेदन की प्राप्ति पर प्रजणक के स्थान पर बोर्ड द्वारा गठित समिति के निरीक्षण के पश्चात प्राप्त आवेदन पर विचारोपरान्त समाधान  होने पर ही प्रजनक और स्थापन इन नियमों के अधीन विनिदृष्ट अपेक्षाओं को पूरा करते हैं तब हीं रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र निदेशक, पशुपालन-सह-सदस्य सचिव (निबंधन पदाधिकारी), राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा जारी की जाएगी।

5)पजीकरण प्रमाण पत्र को डाॅग ब्रीडिंग  सेन्टर पर प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य है।

6)कोई भी व्यक्ति असत्य सुचनाऐ देने अथवा पशुओं के प्रति क्रूरता के प्रकरण में सिद्धदोषी पाये जाने पर पंजीकरण हेतु अयोग्य होगा।

7)पंजीकृत पशुचिकित्सक द्वारा स्वस्थ घोषित श्वानपशु ही ब्रीडिंग के लिए उपयोग किया जाएगा ।

8)न्युनतम डेढ (1. 5) वर्ष तथा अधिकतम आठ (8) वर्ष आयु की मादा श्वानपशुओं को ही ब्रीडिंग के लिए उपयोग किया जायेगा। साथ ही न्युनतम डेढ (1. 5) वर्ष आयु के उपरान्त ही नर  श्वानपशु को प्रजनन हेतु उपयोग किया जाएगा।

9)डाॅग ब्रीडर्स द्वारा प्रत्येक श्वानपशु की आयु से संबंधित रिकार्ड को पशुचिकित्सक से प्रमाणित कराकर    सुरक्षित राखा जाएगा ।

10)मादा श्वानपशु से एक वर्ष में अधिकतम एक बार ही ब्रीडिंग करायी जाएगी।

11)मादा श्वानपशु से निरंतर दो ब्रीडिंग सीजन में ब्रीडिंग कराया जाना अवैध है।

12)मादा श्वानपशु से जीवन काल में अधिकतम पाँच बार ही ब्रीडिंग करायी जाएगी।

13)मादा श्वानपशुओं के गर्भाधान हेतु  Artificial Insemination  अथवा Rape Stand Technique का उपयोग कराया जाना अवैध है।

14)मादा श्वानपशु का अन्तः प्रजनन (Inbreeding) एवं सगोत्र प्रजनन (Incest  breeding) कराया जाना अवैध है।

15)श्वानपशुओं की पॅुछ काटने (Docking), कान काटने (Cropping), ध्वनि अवरोध शल्य क्रिया (Debarking, Surgery), अथवा अन्य प्रकार के अंग विच्छेदन (Declawing/Branding  /Dyeing) या श्वान पशुओं को अनोखा दिखाए जाने हेतु कृत्रिम संसाधनो/शल्यचिकित्सा अवैध हैं।

16)आठ (8) सप्ताह से कम आयु वर्ग के शिशु श्वानपशु विक्रय किया जाना अवैध है।

17)प्रत्येक शिशु श्वानपशु के विक्रय से पूर्व माईक्रोचिप लगाना, आवश्यक टीकाकरण तथा विकृमिकरण करना तथा चिकित्सा के समस्त अभिलेखों को पशु क्रेता को उपलब्ध कराना अनिवार्य है।

18)डाॅग ब्रीडर द्वारा बेचे गये प्रत्येक श्वानपशु से सम्बन्धित टीकाकरण, चिकित्सा, विकृमिकरण, पशुचिकित्सक का नाम, पता तथा दुरभाष संख्या से सम्बन्धित रिकार्ड सुरक्षित रखा जाना अनिवार्य
  हैं।

19)शिशुश्वानपशुओं के विक्रय हेतु जनसामान्य को प्रदर्शन (Public Display for Sale),  किया जाना अबैध हैं।

स ) कोरोना महामारी covid-19 की रोकथाम हेतु तालाबन्दी में छुट के उपरांत, वैधानिक रूप से अपंजीकृत डाग ब्रीडिंग सेन्टर तथा अपंजीकृत पेट शाप को खोले जाने की अनुमति न दिये जाने के संबंध में निर्देश जारी किया गया - 

1 )इस संबंध में उनहोने अवगत कराया है कि  Dog Breeders एवं Pet Shops  द्वारा बहुधा पशुओं के प्रति क्रूरता के निवारण से सम्बन्धित कानूनी प्रावधानों तथा उपभोक्तओं के संरक्षण से सम्बन्धित अनेकों कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है जैसे, विक्रय किये गये शिशुश्वान पशुआं के भुगतान की रसीद न देना, शिशुश्वान पशुओं को आठ हफ्ते की आयु से पहले ही बिना टीकाकरण कराये विक्रय कर देना, मादा श्वानपशुओं से वर्ष में दो बार गाभिन करवाना, आठ वर्ष से अधिक आयु वर्ग की मादा श्वानपशुओं को प्रजनन हेतु प्रयोग में लाना, स्वयं ही अवैध झोलाछाप डाक्टर के रूप में औषधियों का पशुओं पर दुरुपयोग करना, अनाधिकार टीकाकरण, अनेकों प्रकार की कास्मेटिक शल्य क्रियाएं करना एवं अवांछित तथा विक्रय न हो पाने वाले श्वानपशुओं/शिशुपशुओं को परित्यक्त करना, पशुओं की उचित चिकित्सा टीकाकरण न कराते हुए पशु रोगों तथा पशुजन्य मानव रोगों का प्रसार करना एवं अनेकों प्रकार की अवैध गतिविधियां आदि कार्य  सम्मिलित होता है।

2 ) Dog Breeding Centers तथा Pet Shops द्वारा विधिमान्य रीति से ही व्यवसाय सुनिश्चित किये जाने हेतु इनको Dog Breeding and Marketing Rules, 2017   एवं Pet Shops Rules, 2018 अन्तर्गत पंजीकृत कराया जाना अपेक्षित है। इस निमित विभागीय पत्रांक-89 दिनांक-12-09-2018 एवं पत्रांक-186 दिनांक-18-11-2019 द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से विज्ञापन प्रकाशन कर राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड से Dog Breeding Centers एवं Pet Shops का निबंधन कराना सुनिश्चित किये जाने की अपील की गई है अन्यथा नियमाकुल कार्रवाई का प्रावधान है।

3 )उल्लेखनीय है कि Dog Breeding and Marketing Rules, 2017  भारत सरकार के वेबसाइट “egazette.nic.in” पर दिनांक-23 मई 2017 के आसाधरण गजट (Issue no.-397) एवं Pet Shops Rules, 2018 दिनांक-6 सितम्बर 2018 के आसाधरण गजट (Issue no.-619) के रूप में उपलब्ध है। साथ ही कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, (पशुपालन प्रभाग) झारखण्ड, राँची के website “jharkhand.gov.in/animal-husbandry” पर भी उपलब्ध है जिससे उक्त अधिसूचना की प्रति download की जा सकती है।

4 ) विदित हो कि पशु क्रूरता निवारण Pet Shop Rule 2018 के नियम 4 (5)के प्रावधान के अनुसार राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड से निबंधन अनिवार्य है एवं प्रत्येक पालतू पशु दूकान का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना है तथा नियम-3 के तहत बिना निबंधन के पालतू पशु दूकान को बंद कराने का प्रावधान है। साथ ही पशु के क्रूरता (Dog Breeding and Marketing Rules, 2017) के नियम-3 के अनुसार राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड में बिना निबंधन के Dog Breeding Centre को बन्द कराने का प्रावधान है। उक्त नियमों के अनुपालन हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के द्वारा भी Pet Shop and Dog Breeding Establishment के लिए राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड से निबंधन कराने का निर्देश दिया गया है एवं वैधानिक रूप से अपंजीकृत डाग ब्रीडिंग सेन्टर तथा अपंजीकृत पेट शाप को खोले जाने की अनुमति न दी जाय निदेशित है।


5 ) सभी उपायुक्त झारखण्ड को निर्देशित है कि वैधानिक रूप से अपंजीकृत डाग ब्रीडिंग सेन्टर तथा अपंजीकृत पेट शाप को खोले जाने की अनुमति न दी जाय तथा पुलिस प्रशासन एवं पशुपालन विभाग के संयुक्त जांच दल के माध्यम से अपंजीकृत प्रतिष्ठानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

झारखंड सरकार द्वारा जारी विशेष दिशा निर्देश

झारखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने पशु विक्रेता दुकानदारों से अपीलकी है कि धोखाधड़ी एवं पशुओं के प्रति छेड़-छाड़ या क्रूरता पाई गई तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही साथ अनुरोध किया गया है कि पशुओं से होने वाली जूनोटिक बीमारी का ध्यान रखा जाए और उनकी रोकथाम हेतु पंजीकृत पालतू पशु दुकान/ट्रेडर्स से ही पशु पक्षियों को खरीदा जाए।इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए संपर्क सूत्र है :

निदेशक -पशुपालन , पशुपालन भवन, पशुपालन निदेशालय, झारखण्ड़, हेसाग, हटिया, राँची, पिन -834003 अथवा कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग,झारखण्ड सरकार , दुरभाष-0651.-2290033 E-mail: ahdJharkhand@gmail.com / awbJharkhand@gmail.com

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करोना लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा बेजुबानों के लिए 41 दिन तक सफल भोजन वितरण संपन्न- देश के तमाम पशु प्रेमियों ने उत्तराखंड को सभी राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत कहा

करोना लॉकडाउन  के दौरान उत्तराखंड  पशुपालन विभाग के तत्वाधान में बेजुबानों के लिए  41 दिन  तक सफल भोजन वितरण संपन्न-  देश के  तमाम पशु प्रेमियों ने उत्तराखंड को सभी राज्यों  लिए  प्रेरणा स्रोत कहा- झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रभारी डॉ शिवानंद ने उत्तराखंड  जीव जंतु कल्याण बोर्ड को मार्गदर्शक बताया - उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड के  प्रमुख डॉ. आशुतोष जोशी ने बताया कि हमारी छोटी-मोटी  पशु कल्याण की कोशिशें चलती रहती है....




हाइलाइट्स : 

@ उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा बेजुबानों हेतु रोटी वितरण किया गया  
@ विभाग 41 दिनों तक किया  बेजुबानों  की  अनुपम सेवा
@ देहरादून के हर इलाके में  योजनाबद्ध ढंग से पहुंचाई गयी  रोटियां
@ कोशिश रही है कोई भी बेजुबान  भूखा न रहे- भूख या प्यास से न मरे 
@ पशु चिकित्सा अधिकारियों सहित दर्जनों कर्मचारियों का योगदान 

देहरादून (उत्तराखंड); 24 मई 2020 :  डॉ. आर.बी. चौधरी , संपादक -एनिमल वेलफेयर 

लॉक डाउन के बाद  हर शहर के पशु -पक्षियों की हालत बड़ी ही दयनीय हो गई थी  किंतु  भारत के प्रधानमंत्री 
नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश में पशुओं को भोजन देने के अनुरोध के बाद सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों ने  इस  अनुरोध पर अभी विचार कर रहे थे किंतु  उत्तराखंड का पशुपालन विभाग सबसे पहले आगे आया  और  पशु चिकित्सा अधिकारियों को न  केवल पशु सेवा, स्वास्थ्य की देख-रेख  एवं पशु कल्याण में हाथ बटाने को कहा बल्कि, सरकार की ओर से एनिमल फीडिंग- "बेजुबानों  के लिए रोटी वितरण कार्यक्रम" चलाया गया जो पिछले 41 दिनों तक  लगातार  चलाया गया  ताकि छुट्टा पशुओं कब भूख प्यास से  प्राण बचाया जा सके।  देखते ही देखते यह कार्यक्रम  न  केवल सफल रहा बल्कि अत्यंत लोकप्रिय भी रहा है।  

यह बता दें कि  देशभर में अग्रणी भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड पशुपालन विभाग  कि पशु कल्याण में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां  जो राज्य को पहले पायदान पर ले जाती है। पशु कल्याण पर  केंद्रीय अधिसूचनाओ  के जारी होने से पहले  ही उत्तराखंड सरकार पशु कल्याण पर कार्यक्रम आरंभ कर चुका था। इतना ही नहीं आपदा प्रबंधन गाइडलाइंस में  जन स्वास्थ्य  मामले को सुनिश्चित करने के लिए पशु चिकित्सकों की भूमिका को जुड़वाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह देश के सभी राज्य के पशुपालन विभाग के लिए बहुत बड़ी सीख है।  इन कार्यों के सफल संचालन के लिए देश के पशु प्रेमियों ने   उत्तराखंड सरकार को अपना आभार प्रकट किया है। 

इस कार्यक्रम पर सम्बंधित वीडिओ देखें :


एनिमल वेलफेयर पत्रिका के  एक अध्ययन में पाया गया कि कोरोना लॉकडाउन के शुरू होते ही  जब लावारिस जानवरों के भोजन- पानी का संकट खड़ा हो गया था और प्रधानमंत्री मोदी के 21 मार्च को दिए गए भाषण के ठीक अगले दिन से उत्तराखंड के पशुपालन विभाग द्वारा  स्थानीय स्तर पर इनके भोजन प्रबन्ध के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर अपनी बात पहुंचाने का सिलसिला भी शुरू हो गया था। हालांकि, शासन की ओर से पहले से ही पशु सेवा के  कार्य योजना निर्माण  एवं संचालन अनुमति मिल चुकी थी। लेकिन पशु प्रेमियों के अगुवाई में देहरादून एवं अन्य शहरों में पशु प्रेमी व संस्थाएं अपने स्तर से  शहर में घूम-घूम कर बेजुबानों के भोजन पानी की व्यवस्था आरंभ कर दी गई थी। इसलिए,   इस मौके पर पशु प्रेमियों की गुहार सरकार को और उत्साहित किया जिसके परिणाम स्वरूप 7 अप्रैल से पशुपालन विभाग द्वारा देहरादून में बेजुबान  के लिए विशेष रसोई का संचालन आरंभ किया  गया।  प्राप्त जानकारी के अनुसार  बेजुबान रसोई  संचालन का कार्य 7 अप्रैल से 17 मई ( 41 दिन ) तक  संचालित किया गया जिसके तहत बेजुबानों के लिए रोटियां उपलब्ध कराई जा रही थी।


सूत्रों के अनुसार सहस्त्रधारा में विभागीय संगठन के भवन की रसोई में एक दिन में करीब 1,000 से 1100 अंडायुक्त परांठे दिए जा रहे थे जो किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद सुकून देने वाली खबर है।  यह बता दें कि  देहरादून क्या  देश के  सभी शहरों की हालत एक जैसी थी  क्योंकि लॉकडाउन में शहर के ढाबे-रेस्टॉरेन्ट में ताले लग हुए थे। हर शहर की भांति होटलों एवं ढाबों  के अवशेष एवं जूठन पर निर्भर  रहने वाले छुट्टा पशु खासकर, कुत्ते या अन्य मवेशी पशु  भी देहरादून में भी आश्रित थे। इस राष्ट्रव्यापी चुनौती में , खास करके देहरादून के सैकड़ों लावारिस कुत्ते लाचार एवं बेबस- भूखे- प्यासे घूम रहे थे। निरंतर मौत उनकी पीछा कर रही थी  किंतु इस कार्यक्रम के संचालन से  पशु प्रेमियों में प्रसन्नता की लहर  उठ गई। उत्तराखंड  जीव जंतु कल्याण बोर्ड के  प्रमुख डॉ आशुतोष जोशी ने बताया कि "बेसहारा कुत्तों के विभिन्न गैंग्स के बीच झड़प  की आवाज देर रात तक गलियों-कूंचों  मैं अक्सर सुनाई देती थी  जो बेहद  दुखद एवं दर्दनाक थी। लेकिन उत्तराखंड सरकार इस चुनौती से  डटकर मुकाबला किया  और हमें अच्छी सफलता मिली। "

उत्तराखंड पशुपालन विभाग  के अनुसार इस रसोई से बनी रोटियां विभाग के चिकित्सालय व डिस्पेंसरियों में भी भेजे जाने का कार्यक्रम चलाया गया जो  इस कार्यक्रम के  सफल संचालन में काफी  सहायक सिद्ध हुआ क्योंकि पशुपालन विभाग के चिकित्सालय एवं एवं डिस्पेंसरी के माध्यम से  देहरादून के पशु प्रेमी इन्हें लेकर अपने अपने मोहल्लों  के भूखे- प्यासे लावारिस कुत्तों को खिलाते थे। पशु प्रेमियों के सहयोग से  कुत्तों के भोजन वितरण में बहुत बड़ी सहायता मिली।  रोटी वितरण कार्यक्रम के संबंध में यह भी बताया गया कि चिकित्सालय आने वाला पशु  कोई प्रेमी 50  रोटियां तो  अपने आवश्यकतानुसार कोई 20 या 30 रोटी ले जाता था।  इस प्रकार  आवश्यकता के मुताबिक लगभग 1,000  रोटियां बनाने में प्रतिदिन 300 से 350 अंडे की  भी खपत होती थी।  इस समस्या को निपटाया  स्थानीय मुर्गीपलकों ने। यहां पर सबसे रोचक  एवं प्रेरक बात यह है कि पशुपालन विभाग  के इस मुहिम को अंडे मुफ्त में मिलते रहे  और इन अंडों की मुफ्त सप्लाई  देहरादून के आसपास के  मुर्गी पालकों द्वारा नियमित एवं निशुल्क की गई।


पशुपालन विभाग के कर्मचारियों  एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों का बहुत बड़ा योगदान था।  इस श्रृंखला में इस श्रृंखला में पशु प्रेमी ड्राइवर मनोज कुमार प्रतिदिन 9 बजे तक चिन्हित सभी 10 चिकित्सालय व डिस्पेंसरी में रोटियां पहुंचा पहुंचाने का कार्य  बड़े ही बखूबी  किया। इस प्रकार मनोज कुमार बेजुबानों की रोटियों वाला वाहन प्रेमनगर, राजपुर, मालसी, गढ़ी कैंट, सहस्त्रधारा, सर्वे चौक, पण्डितवाड़ी, अजबपुरकलां, सुभाषनगर व रायपुर स्थित विभागीय केंद्रों में रोटियां बांटने का  कार्य बड़े ही लगन से  किया।  विभागीय जिम्मेदारी के साथ साथ मनोज कुमार, सहयोगी कर्मचारियों एवं अधिकारियों  का यह जज्बा  देखने लायक था। बताया जा रहा है कि  पशु कल्याण से जुड़े अधिकारी पशु चिकित्सकों के बीच रहने से तमाम  कर्मचारियों का नजरिया पशु सेवा में बदल गया है। इस अभियान  केकरो ना वेरियर  के रूप में मनजीत ने रसोई की जिम्मेदारी ने संभाली हुई थी जहां  उनके साथ और पांच महिलाएं प्रतिदिन सिर्फ रोटियां बनाने में लगी रहती थी।  रोटी वितरण कार्यक्रम  का पूरा संचालन करोना वेरियर डॉक्टर कैलाश उनियाल समेत अन्य कई चिकित्सकों की एक बड़ी टीम पूरी लगी हुई थी जो पूरी व्यवस्था की निगरानी बड़े मुस्तैदी से की गई।

यह एक अत्यंत प्रेरक बात है कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर उत्तराखंड के पशुपालन विभाग, देहरादून द्वारा संचालित  बेजुबानों  को रोटी बांटने  के इस अत्यंत सफल अभियान में उत्तराखंड का हर कर्मचारी एवं अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर काफी संतुष्ट नजर आया।  विभाग बड़े ही  सूझबूझ के साथ  बेजुबान ओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया जिससे उनकी प्राण रक्षा करने में काफी सहायता मिली।  विभाग के द्वारा प्राप्त  जानकारी के अनुसार  हालांकि बीते 17 मई के बाद बेजुबानों की रसोई  कार्यक्रम को विराम दे दिया गया। लेकिन खुशहाली की बात यह है कि  इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय पशु प्रेमियों ने अपने हाथ में ले लिया है। स्थानीय पशु प्रेमियों सहित देश के  तमाम प्रांतों से पशु प्रेमी उत्तराखंड पशुपालन विभाग के प्रति आभार प्रकट किया है। देहरादून के पशु प्रेमियों ने देहरादून डी.एम. द्वारा प्रदत्त सहयोग के लिए भी आभार प्रकट किया है।  पशुपालन विभाग ने विभाग ने  इस कार्यक्रम में  सम्मिलित  सभी पशु प्रेमियों,  पशु कल्याण संस्थाओं तथा स्वयं सेवकों/ अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा  तन मन धन से सहयोग के लिए आभार प्रकट किया है। 

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Wednesday 13 May 2020

करोना से बचके रहना . रे...बाबा

लेखक : 
गिरीश जयंतीलाल शाह
पूर्व सदस्य-भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड,भारत सरकार  
एवं मैनेजिंग ट्रस्टी-राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता एनजीओ-"समस्त महाजन"


कोरोना लोकडाउन की अवधि बढ़ाकर 17 मई 2020 तक कर दी गई है और कब खत्म होगा , कुछ कहा नहीं
जा सकता है ?  यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जब तक कोई दवाई या कोई टीका नहीं तैयार हो जाता है,तब तक कोरोना का चक्र चालू रहेगा।

मान लो, लोकडाउन खुल भी गया तो भी हमें सावधानी तो रखनी ही पड़ेगी। वैसे तो अन्य बीमारी और एक्सिडेन्ट से ज्यादा लोग मरते है। इसलिए मेरा कहना है कि कुछ "करो....ना" क्योंकि , कोरोना से क्यों  डरना ? डरने की सिर्फ एक ही वजह है करोना रोग। अब सवाल है कि फिर क्या करे ? कब तक घर बैठे? विमलनाथ भगवन के स्तवन की कुछ सुंदर पंक्तिया इस प्रकार है -"अवसर पामी आलस करसे, ते मुरखमाँ पहेलोजी भूख्याने जेम घेबर देतां हाथ न मांडे घेलोजी "  अर्थात : सुंदर अवसर है,आलस करके गंवाए नहीं। जीवन अमुल्य है , आलस करके गवाए नहीं। हमारे प्यारे प्रधानमंत्रीने कहा है, योगासन, प्राणायाम, आयुर्वेद, घरेलु उपचार इन सबसे हमें  अपनी हमारी आंतरिक शक्ति बढ़ानी है।  इस संबंध में हमारे निम्नलिखित विचार है जिन्हें आप अपना कर  अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं -

कुछ  आवश्यक समय सारिणी :

• सुबह ब्रह्ममुहुर्त 4.30 बजे जागृत होकर स्वस्छता के पश्चात् ध्यान-प्रतिक्रमण सामायिक करना है।
• सूर्योदय से 48 मिनिट तक योगासन सूर्य के सामने करना है। सूर्य नमस्कार करना है। खुले में,घर के आँगनमें या छत पर जाकर सूर्य की सुबह की किरणों में योगासन करने से विटामिन
  बी-12 भी मिल जायेगा।
• नवकारशी के समय ब्रश करते वक्त एक चम्मच तिल का हल्का गरम तेल लेकर तीन मिनट मुँह में घुमाए और गरम पानी से कुल्ला करे
  काढ़ा-उकाला गर्म पानी में लेना है।  सुंठ मतलब (सुकी अद्रकका पावडर) पानीमें या गुड-घी के साथ ले शकते है।  उकालेमें तुलसी,दालचीनी, काली मिर्च एवं मुनक्का डालना है।
• उसके बाद स्नान-स्वच्छ होकर इष्टदेव-परमात्माकी पूजा भक्ति करे।
• गोल्डन दूध यानि हल्दी चूर्ण डालकर 150 मिली दूध पिए।
  च्यवनप्रकाश लेना है 10 ग्राम  और
  हल्का नास्ता घर का बनाया हुआ ही खाईए।
• फिर सुबह 9 बजे अपने अपने काम में लग जाए। जैसे विद्यार्थी अभ्यासमें, स्त्रियाँ घरकाममें और पुरुष वर्ग अपने अपने बिजनेसको घर बैठे कैसे कर सकते है उसका आयोजन करे। 
  11 बजे एक लिंबू गर्म पानी में नमक- साकर- जीरा- सूंठ- मरी डालके पिए।
• दोपहर 1 बजे परिवारके साथ आन्दोत्स्वसे भोजन करे।  घर बैठे है हल्का भोजन-घर का बनाया हुआ ही खाए, बाहरका कुछ भी न खाए।
• आयुर्वेदका एक बहोत अच्छा सूत्र है – अशाकभुका मतलब भोजन में हरी सब्जीका प्रयोग कम करे। 
  भोजन बनानेमें हल्दी,जीरा धनिया का प्रयोग करे।
• भोजन के पश्चात 15 मिनिट वामकुक्षी मतलव आराम करे।
• 2.30 मुह धोकर काम पर लग जाय, या वांचन करे – अच्छी पुस्तके पढ़े।
• 4 बजे काढ़ा-उकाला पिए।
  शाम 6 बजे भोजन हल्कासा करे
  और गोल्डन दूध पिए।
• सुबह शीरामण (मतलब शीरा), दोपहर भोजन, शामको दूध के साथ भोजन स्वस्थता की ओर ले जाता है।
• 7 बजे इष्टदेवकी परमात्माकी भक्ति करे।  बादमें कुछ मनोरंजनभी हो जाए।
• 10 बजे रात्रि विश्राम करे।
  शरीरके 9 द्वार
• दांत समुद्री नमकके पावडरसे साफ करे।
• आँखमें घी के दो बूंद सुबह शाम डाले।
• नस्य –नाक के दोनों छिद्रों में सुबह-शाम तिलका तेल लगाए।
• दोनों कानमें रातको सोते वक्त हल्का गर्म तिल तेल की दो बुंद डाले।
• नाभि-मलद्वार-मूत्रद्वार पर धी के दो दो बुंद रातको सोते वक्त लगाए।
• दिनमें एक बार गरम पानी में अजवाईन डालकर भाप लें।
• खांसी या गले में खाराश हो तो लोंगके चूर्णमें गुड मिलाकर दिनमें तिन बार ले।
• सुंठ पावडर जीभ पर रखकर रस मुंहमें उतारे।
• सुंठ पावडर थोडा सा लेकर नाक से सूंघे।
• पुरे दिनमें जितनी ज्यादा मात्रामें सूंठ ले सके वो जरुर ले।
• पथादीक्वाथ + दशमूलक्वाथ निम्बत्वक का प्रक्षेप त्रिकूट ले।
• तुलसी दो चम्मच रस + दो काले मरी का पावडर सुबह शाम लेना है।
• सुबह शाम घर में धूप करे।
• धूप में गोबरके कंडे + घोड़ावज – गूगल- सरसव- नीमके पत्ते + गाय का घी डाले।
• जंकफ़ूड - ठंडे कोल्डड्रिंकस ओर फ्रिजका पानी मत पीना। 
• फ्रिजमें रखी हुई कोई भी चीज नहीं खाना।
• मुंग, मसूर, चना, कलथी का सूप लेना।
• सब्जी में कारेला, परवर, दुधी, सरगवो, हल्दी, सुंठ, फुदिना लेना।
• फल सिर्फ देशी पपैया, दाडम और आमला लेना।
• फल, सब्ज़ी,अनाज,सभी ओर्गानिक धुँड़कर खाए
• मांस, मच्छी, अंडे का त्याग करना।
  सम्पूर्ण शाकाहार अन्नाहार अपनाए
• हल्दी, नमक के गर्म पानी से कुल्ला करना।
• आर्सेनिक अल्बम 30 पोटेन्सी 4 गोली सुबह शाम सात दिन ले शकते है। 

स्वस्थ रहे , स्वस्छ रहे , नितिनियमों का पालन करे। 


संदर्भ :

1) घरेलू  उपचार पध्धति
2) आयुष विभाग भारत सरकार की एडवायसरी
3) गुजरात सरकार नियामक आयुष का परिपत्र

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Saturday 9 May 2020

लाक-डाउन के दौरान भी झारखंड सरकार पशु चिकित्सा अधिकारियों को नजरअंदाज कर रही है - पशु चिकित्सकों का मनोबल टूट रहा है -राज्य प्रशासन मौन

झारखण्ड  पशु चिकित्सा  सेवा संघ ने   दोबारा अनुरोध पत्र भेजा - रिक्तपदों पर पदाधिकारियों को पदस्थापित करने की मांग की
रांची (झारखंड); 9 मई, 2020
भारत सरकार के नवीनतम  मवेशी जनगणना (2019)के अनुसार आदिवासी बाहुल्य झारखंड राज्य में प्रमुख तौर पर खेती और पशुपालन गाव में जनजीवन के प्रगति का माध्यम है।राज्य के आर्थिक विकास का अगर पुनरावलोकन किया जाए तो पता चलता है कि झारखंड राज्य वर्ष 2012 से 2019 के अंतराल में गोवंशीय पशुओं से लेकर बकरी तथा सुकर पालन में देश के टॉप-टेन राज्यों की सूची में पहले पायदान पर रहा है। इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूटआई एआरआईकेन्यानैरोबी द्वारा वर्ष 2011 में प्रकाशित एक अध्ययन -"पोटेंशियल फॉर लाइवलीहुड इंप्रूवमेंट फॉर लाइवस्टोक डेवलपमेंट इन झारखंड" राष्ट्रीय परिदृश्य के अनुसार मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़उड़ीसा के बाद झारखंड आदिवासी प्रधान राज्य है जहां कुल 21% से अधिक आबादी आदिवासियों की है। इसमें सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश झारखंड है जहां 78% आदिवासी लोग खेती और पशुपालन से आज भी सीधे तौर पर जुड़े हैं। देश के टॉप-टेन राज्यों में सबसे अधिक पशु आबादी वृद्धि के मामले में रिकॉर्ड बनाने वाले झारखंड राज्य के पशु चिकित्सक मारे -मारे फिर रहे हैं। आज सरकार इनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। 

पिछले कुछ महीनों का परिदृश्य काफी चौकाने वाला है क्योंकि झारखंड पशुचिकित्सा सेवा संघ के अनुसार राज्य के पशु चिकित्सकों की सेवा नियमावली के अनुसार पशु चिकित्सकों से बेहतर काम लेना और उन्हें उत्साहित कर राज्य  विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार का कोई रुचि नहीं है। तमाम ऐसे अधिकारी हैं जो जिस पद पर नियुक्त हुए वह उसी पद से रिटायर भी हो  रहे हैं अन्य राज्यों की भांति सेवा नियमावली के तहत या तो टाइम बाउंड अथवा रेगुलर एसेसमेंट प्रक्रिया के तहत उनकी पदोन्नति होनी चाहिए जो नहीं हो रहा है। पिछले दिनों ऐसा भी देखने को मिला है कि कई जिला के पशु चिकित्सा पदाधिकारियों को उनके प्रोफेशनल ड्यूटी से अलग जिम्मेदारी दी जा रही है और पशु चिकित्सा पदाधिकारियों की ड्यूटी थाने तथा चेक पोस्ट पर लगाई गई है। पिछले साल पशु चिकित्सा पदाधिकारी  के पद पर कृषि अधिकारी की नियुक्ति का मामला मीडिया में चर्चा का विषय रहा। जब यह मामला तूल पकड़ने लगा तो आनन-फानन में आदेश को वापस ले लिया गया। पूर्व मे भी  विभाग के समक्ष झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्षडॉक्टर बिमल कुमार हेमबरमडाँक्टर धरमरझित विधार्थी,महामंत्रीएवं सह प्रचार मंत्री झारखण्ड पशुचिकितसा सेवा संघ , डाँक्टर शिवानंद काशी , नोडल पदाधिकारी  झारखंड राज्य जीव जन्तु कलयाण बोड एवं सह मीडिया प्रभारी-पूरानीपेंशन हालीआंदोलन(झारखण्ड)केसाथ- समस्त कार्यकारिणी सदस्यों ने निम्न मांगें रखी है

1.लंबित प्रोन्नति को अविलंब दिया जाए अथवा प्रोन्नति की प्रत्याशा में रिक्त पदों को अभिलंब भरा जाए।
2.निदेशालय के पदों पर वरिष्ठ पशु चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रोन्नति की प्रत्याशा में पदस्थापित किया जाए।
3.केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के आलोक में झारखंड पशुपालन सेवा की पुनर्संरचना अथवा रिस्ट्रक्चरिंग यथाशीघ्र की जाए।
4.2017 बैच का वेतन वृद्धि की बाधा को शीघ्र समाप्त किया जाए।
5.लंबित प्रोन्नति/सुनिश्चित वित्तीय उन्नयन(एसीपी)/संशोधित ,सुनिश्चित  एवं वित्तीय उन्नयन क  (एमएसीपी) को तुरंत दिया जाए तथा भविष्य में इसे स-समय भुगतान किया जाए।
6.विभागीय सभी नीतिगत बैठकों / निर्णयों में संघ के प्रतिनिधि की अनिवार्य  करना।
7. पशुचिकितसको को केन्द्र सरकार की भाति  नान-प्रैक्टिस एलाउस एवं डीएसीपी (डायनेमिक एसयोरड कैरियर प्रोग्रेसन) देना।

करोना लॉक डाउन के वर्तमान परिस्थिति में  झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ फिर से  अपनी एक नई व्यथा ले कर के सरकार  के पास पहुंचा है और उम्मीद लगा रखा है कि प्रदेश के पशु चिकित्सकों की बातों पर सुनवाई होगी। इस संबंध में संघ की ओर से बताया गया कि पशुपालन निदेशालय अन्तर्गत विभिन्न कार्यालयों के निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों की उनकी सेवानिवृति के उपरांत महीनों से पद रिक्त पड़े हैं उन स्थानों को भरा जाना चाहिए।साथ ही साथ करोना लॉक डाउन की विषम स्थिति में कार्यरत पशुचिकित्सकों/कर्मचारियों का मासिक वेतन आदि का भुगतान विगत कई माह से बन्द हो गया है उन्हें नियमित तनख्वाह मिलनी चाहिए। इस परिस्थिति में विभागीय कार्य संपादन एवं योजनाओं के क्रियान्वयन  मे भारी गतिरोध आ गया है। राज्य में लगभग   18 निकासी एवं वययन पदाधिकारी के रिक्त पद है जिसका सीधा असर कार्यप्रणाली पर पड़ रहा है।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने अपने अपील में यह बात बड़े ही स्पष्ट ढंग से रखा है और अनुरोध किया है कि तत्काल इसका निराकरण किया जाना चाहिए। इस बीच संघ के  वरिष्ठ पदाधिकारी राज्य के पशुपालन मंत्री से मिलने गए थे लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।

संस्था की ओर से जारी विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि झारखण्ड सरकार योजना-सह-वित्त विभाग के पत्राक : 1111/वित्त दिनांक 8/4/2016 के कंडिका (1) मे वर्णित प्रावधान के अनुसार विभागीय प्रधान या विभागाध्यक्ष  अधीनस्थ किसी पदाधिकारी को झारखण्ड सेवा संहिता-2016 के नियम 87 के तहत निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की शक्ति प्रतयोजित ( डेलिगेट) कर सकते है। बिहार  (झारखण्ड) सेवा संहिता  के नियम 21 के अनुसार पशुपालन निदेशक पशुपालन विभाग के लिए विभागाध्यक्ष होते हैं इसलिए बतौर विभागाध्यक्ष अपनी शक्तियों का नियमानुसार संबंधित विभाग के अधिकारी को रोजमर्रा के कार्यों को गति प्रदान करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं। संघ ने अपने अनुरोध में यह अवगत कराया है कि जिला पशुपालन पदाधिकारीहजारीबाग तीन महीने के उपरांत दिनांक- 31.07.2020 को सेवानिवृत होने वाले हैं यह प्रकरण सरकार को संज्ञान में लेना चाहिएऔर तत्काल  उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अनुसार  झारखंड पशु चिकित्सा  सेवा संघ का तीन मूल मंत्र है : पहला- सरकार के आदेश को पालन करनादूसरा -पशु चिकित्सकों के देय मांग को स-समय दिलाना एवं तीसरा-पशु चिकित्सा एवं पशुपालन सेवाओं के माध्यम से पशुपालकों का उन्नयन कर प्रदेश की आर्थिक विकास में योगदान देना।

यह बता दें कि कोरोना महामारी के नियत्रंण के सिलसिले में लॉक डाउन की स्थिति में केन्द्र व राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुपालन में विभागीय-कर्मी एक तरफ संक्रमण के खतरों के बीच सौपे गये जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं और वहीं दूसरी तरफ उन्हें वेतनादि के अभाव में आर्थिक कठिनाईयों से जूझना पड़ रहा है। जिससे वे अपने परिवार की भरण- पोषण,बच्चों की पढ़ाई,रोजमर्रा की खर्च तथा स्वास्थ्य की देख-रेख के मूलभूत जरूरतों की पूर्ति के लिए संघर्ष भी कर रहे हैं। इसलिए संघ का अनुरोध है कि पशुपालन निदेशालय सेवा-मानकों को सुनिश्चित करते हुए रिक्तियों को शीघ्रातिशीघ्र पदस्थापन कराएं तथा पशु चिकित्सा पदाधिकारियों के कल्याण पर ध्यान दें ताकि प्रदेश के खेती-बाड़ी और पशुपालन से जुड़े किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में पशुपालन व्यवस्था का भरपूर लाभ प्राप्त हो।
झारखंड के ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है –
पशु पालन
पशु चिकित्सा सेवा को कैसे नकारा जा सकता है ?
विश्व भर में फसलों से किसानों की आमदनी कराने की व्यवस्था अपने अंति मपड़ाव पर है। फसलों को गैर कुदरती ढंग से बोने और उगाने की तरकीब के अलावा प्राकृतिक ढंग से पौष्टिक खाद्यान्न और सब्जियां उगा कर मुनाफा प्राप्त करना एक टेढ़ी लकीर बनती जा रही है।दूसरी तरफ कुदरत भी साथ नहीं दे रही। फसलों के लिए मौसम और जलवायुविश्व की सबसे बड़ी चुनौती बन करके खड़े हो रहे हैं।अब शेष सहारा पशुपालन व्यवस्था का बचा हुआ है जो भारत क्या सभी विकासशील देशों पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए शेष बची है।
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इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूटआई एआरआईकेन्यानैरोबी द्वारा वर्ष 2011 में प्रकाशित एक अध्ययन -"पोटेंशियल फॉर लाइवलीहुड इंप्रूवमेंट फॉर लाइवस्टोक डेवलपमेंट इन झारखंड" राष्ट्रीय परिदृश्य के अनुसार मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़उड़ीसा के बाद झारखंड आदिवासी प्रधान राज्य है जहां कुल 21% से अधिक आबादी आदिवासियों की है। इसमें सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश झारखंड है जहां 78% आदिवासी लोग खेती और पशुपालन से आज भी सीधे तौर पर जुड़े हैं।
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आज के समीक्षा का विषय है झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मूल मंत्र का और इस संदर्भ में यह चर्चा करना आवश्यक है कि झारखंड में खेती किसानी जल प्रबंधन पर निर्भर काफी हद तक निर्भर है। वर्षा आधारित कृषि और पशुधनसे जुड़े लोग आसपास के जंगलों में रहने वाले हैं और वह लोग अपनी आजीविका के लिए इन वन उत्पादों पर आंशिक रूप से निर्भर रहते हैं। अब समस्या क्या है कि वन क्षेत्र  तेजी से घट रहा है आदिवासी समुदाय के लोगो के लिए आजीविका एक महत्वपूर्ण स्रोत होती है वन संपदा किंतु वर्तमान परिस्थितियों में मौजूदा वन नीतियां के वजह से आदिवासी लोग तेजी से हाशिए पर आते जा रहे हैं।  लोगों को फसल उत्पादन और वानिकी के अलावा ग्रामीण परिवार पशुधन पर निर्भर रहता हैं। अधिकांश ग्रामीण परिवार मवेशी अधिक रखते हैं। साथ साथउ नके पास बकरियां , मुर्गी और सूअरों प्रमुख पशुधन है जो  न केवल नकद आमदनी देकर आजीविका में योगदान करते हैं।  वृद्ध लोगों के लिए पशुधन उनके आय का प्रमुख हिस्सा है। इसके लिए हर परिवार  प्रतिदिन 2 -4 घंटे पशुओं की देखभाल के लिए देता है। आदिवासी समुदायों के लिए  पशुधन महत्वपूर्ण परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है।वर्ष 2005–06 में कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद रुपये  1471 बिलियन वर्तमान मूल्य था।  प्रति व्यक्ति जीएसडीपी 16,163 रुपए। जीएसडीपी में कृषि और पशुपालन का योगदान लगभग 20% हैजो राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। सरकारी क्षेत्र में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान लगभग 33% है और जीएसडीपी के लगभग 14% खनन और उत्खनन का योगदान इन क्षेत्रों पर राज्य की अर्थव्यवस्था की बड़ी निर्भरता को दर्शाता है। 2000–01 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसारराष्ट्रीय औसत 16,555 रू  की तुलना में झारखंड में  8749 रू  प्रति व्यक्ति आय थी। झारखंड में लगभग 43% आबादी गरीबी रेखा से नीचे हैराष्ट्रीय औसत 26% से अधिक है और उड़ीसा (47%) (योजना आयोग का अनुमाननमूना पंजीकरण प्रणाली बुलेटिन 2002) को छोड़कर लगभग सभी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ग्रामीण भारत मेंपशुधन किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत हैजहाँ 15-20 प्रतिशत से अधिक परिवार भूमिहीन हैं और लगभग  80 प्रतिशत भूमि धारक लघु ( सीमांत)  किसानों की श्रेणी में आते हैं । देश भर में बिखरी हुई आदिवासी आबादी को देश में विद्यमान राजनीतिक-प्रशासनिक संरचनाओं के संबंध में अलग-अलग रखा गया है । भारत मेंझारखंड जनजातीय आबादी के मामले में 6 वें स्थान पर है और लगभग 32 आदिवासी जातीय समूहों कि लोग रहते हैं जो राज्य की आबादी का लगभग 26.34 प्रतिशत और देश की अनुसूचित जनजाति की 8.29 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों मेंआजीविकाप्रणालीमुख्यरूपसे षिवानिकीपशुपालन और श्रम के संयोजन पर निर्भर है। पशुधन  से प्राप्त होने वाला है जनजातियों के आजीविका का मुख्य साधन है।आंकड़ों के अनुसार झारखंड में पशुधनतकरीबन 27%  आर्थिक योगदान देता है। चूंकि जनजातियां मुख्य रूप से ग्रामीण हैं जो कुल आबादी के 91.7 प्रतिशत  लोग गांवों में निवास करती हैं। चूंकि,  झारखंड में पशुधन प्रणाली जनजातियों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।जनजातीय लोगों के परिवेश के अनुसार पशुपालन में गरीबी कम करने की  भरपूर क्षमता है।आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में गरीबी का उच्चतम स्तर 39.1% है जबकि अखिल भारतीय औसत 27.5% के मुकाबलेपशुधन पालन से आय सृजन के लिए प्रमुख भूमिका निभा सकता है। वर्तमान परिपेक्ष में आदिवासी जनजीवन के सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के अनुसार पशुपालन को महत्त्व दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
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Wednesday 6 May 2020

पशु कल्याण के मामले में हिमांचल के मदनलाल पटियाल को लोग खूब जानते हैं - कोरोनावायरस के लॉक डाउन के दौरान पशु सेवा की कहानी उन्हीं के जुबानी



मंडी (हिमाचल प्रदेश) ;6 मई 2020 :एनिमल वेलफेयर ब्यूरो

पहाड़ी प्रदेशों में समस्याएं मैदानी इलाकों से काफी हद तक अलग होती हैं । यही कारण है कि पहाड़ में पशुओंका प्रबंधन मैदानी इलाकों जैसा नहीं होता।  वहां कई प्रकार की परेशानियां होती हैं। अधिक पशुओं की देख-रेख के लिए चारे का प्रबंधन बाहर से करना पड़ता है। कोरोना वायरस के लॉक डाउन के दौरान हिमाचल प्रदेश में चलाई जा रही गौशालाओं के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के वर्ष 2018 में नामित जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी मदनलाल पटियाल इस समय छुट्टा एवं निराश्रित पशुओं के रख-रखाव के लिए दिन- रात उनके लिए चारे दाने,पानी और स्वास्थ्य के प्रबंध के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें पशुओं की प्राण रक्षा करने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदेश में सबसे बड़ी परेशानी चारे की  है जिसे स्थानीय शासन के सहयोग एवं समर्थन से फिलहाल सुलझा लिया गया है किंतु, वह स्थाई निदान की मांग कर रहे हैं।


एनिमल वेलफेयर के संवाददाता को उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा कि जनपद प्रशासन केभरपूर सहयोग से चारे की उत्पन्न हुई विकट स्थिति  अभी हल कर ली गई अन्यथा समस्या विकराल हो सकता था।  वैसे चारे के अलावा और भी कई चुनौतियां खड़ी है लेकिन गाड़ी चल रही है। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान सभी मंडियों से ढेर सारी सब्जियां और फल-फूल भी मिलते रहे हैं जिसको चारे के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। मंडी से कई बार फूलगोभी भारी मात्रा में पशुओं को खिलाने के लिए दान मिला  है। आमतौर पर गेहूं का भूसा और पुआल /तूड़ी बाहर से मगाना गया है। पहाड़ में घास मिल जाती हैं लेकिन भारी मात्रा में जानवरों के भरण पोषण के लिए सूखे चारे पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जीव जंतु कल्याण के कार्यक्रमों में मंडी परिषद का भारी सहयोग मिलता है। सरकार से कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की भांति  विलासिता से संबंधित सेल-टेक्स के हिस्से से 1 -2 %  धनराशि को पशु कल्याण में दिया जाना चाहिए।

मदनलाल पटियाल पिछले दो दशक से जीव जंतु कल्याण एवं गौ संरक्षण संवर्धन में समर्पित है। जिले से लेकर के
 प्रदेश के तमाम विभागीय अधिकारी न केवल  उन्हें जानते हैं बल्कि उनके हर अनुरोध को  तत्काल स्वीकार कर लेते हैं और उस पर तुरंत कार्यवाही हो जाती  है।  जिलाधिकारी मंडी और जनपद के अन्य अधिकारी जैसे जिला पशु चिकित्सा अधिकारी,नगर निगम तथा पुलिस विभाग के आला अफसरसब से मिलकर वह काम  बड़े आराम से निकाल लेते हैं। कोरोना वायरस के लॉक डाउन के दौरान में सबसे बड़ी उनकी समस्या थी चारे के प्रबंधन की जिसके लिए वह खुद 5,100 रुपए का दान देकर तमाम दानवीरों को अभी प्रेरित किया और जनपद प्रशासन के विशेष सहयोग से पंजाब से चारा मंगा लिया गया। पटियाल ने बताया कि इस दौरान उनका फोकस सिर्फ पशुओं की देखभाल ही नहीं था बल्कि जरूरतमंदों को राशन एवं रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं को भी मुहैया कराया ,खास करके वह लोग जो जीव जंतु कल्याण के दिशा में दिन रात उनके साथ काम कर रहे हैं और तिहाडी के मजदूर है।

इस अवधि में तकरीबन 100 छुट्टा पशुओं को नगर निगम तथा निजी तौर पर चलाई जा रही गौशालाओं मेंसंरक्षण
हेतु भेजा गया ताकि उनकी वहां पर उनकी ठीक प्रकार से देख रहे हो सके। इस बीच में  प्रदेश के तमाम पशु प्रेमियों के माध्यम से यह आवाज उठाई गई थी कि  पंजाब और हरियाणा की तरह से हिमाचल प्रदेश सरकार को  नियमित वार्षिक बजट दिया जाना चाहिए  ताकि प्रदेश भर की गौशालाये  सफलतापूर्वक चल सके। पिछले कई वर्षों से किसी प्रकार की केंद्रीय सहायता नहीं मिल रही है। गौशाला और गौसदनों के लोग ही स्थानीय प्रशासन के माध्यम से छुट्टा और निराश्रित पशुओं की सेवा कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में पशु रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने की परम आवश्यकता है। इस दौरान पशु सुरक्षा कानून-कायदों को देखते हुए उन्होंने कई गौशालाओं का भ्रमण किया और पशुओं के बेहतर प्रबंधन का अनुरोध किया।

पटियाल जीव जंतु क्रूरता निवारण समिति मंडी के प्रतिनिधि के रूप में लॉक डाउन के दौरान सुबह गौशाला के
लिए निकल जाते हैं और फिर शाम को ही घर लौटते हैं। गौशाला का प्रबंधन किसी दूसरे के भरोसे न  छोड़ के अपनी निजी जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका कहना है कि जिलाधिकारी मंडी एक बेहद तेज-तर्रार एवं कर्मठ-अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। उनसे उनकी खूब बैठती है। इसलिए जीव जंतु क्रूरता निवारण समिति के क्रियाकलाप हमेशा उत्कृष्ट होते हैं। साथ ही साथ समिति के क्रियाकलाप जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुरूप संचालित किया जा रहा है। उनका कहना है कि समिति के कई भावी परियोजनाएं लंबित हैं जिसे केंद्र सरकार के सहयोग से चलाया जाना सुनिश्चित किया गया है।

हिमाचल प्रदेश की समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि एसपीसीए को एंबुलेंस और अस्पताल कीपरमआवश्यकता है। प्रदेश में चरागाह के व्यवस्था की बात सरकार के सामने रखी गई है। सूखे चारे के प्रबंधन के लिए उन्होंने फाडर बैंक (चारा भंडार) और  नई गौशालाओं की स्थापना एवं संचालन के लिए सुनिश्चित बजट की भी मांग  बार-बार की जा रही है।  उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार पिछले 1 साल से पशु कल्याण के लिए कोई बजट नहीं दिया। इससे प्रदेश भर के पशु प्रेमियों में निराशा है।

कोरोना वायरस के लॉक डाउन के दौरान उन्होंने कई बार गौशाला परिसर में हवन करवाया और विश्वशांति के लिए पूजा - पाठ की।  पटियाल का मानना है कि  इस प्रकार के क्रियाकलापों से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है जो आज के परिवेश में बहुत जरूरी है। पटियाल का मानना है कि जीव जंतु कल्याण या जीव दया एक ऐसा कार्य है जो जीवन में निरंतर सकारात्मकता प्रदान करता है।  हर व्यक्ति को जीव जंतुओं की रक्षा कर  उन्हें अपने जीवन में  पशुओं के दोस्ती का आनंद उठाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति एक बार पशु से प्यार करे  तो उसे समझ में आ जाएगा कि दुनिया का हर पशु -पक्षी  कितना प्यार करता है और  कैसे अपनी भाषा में  मधुर प्रेम का संवाद करता है। 

मदनलाल पटियाल  हिमाचल प्रदेश में एक  बेहद लोकप्रिय  पशु प्रेमी है  केंद्र में भी  उनका बड़ा सम्मान है.पटियाल के उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।  भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड से वह तकरीबन एक दशक से  अधिक अवैध से जुड़े हुए  पटियाल  को बोर्ड ने  जहां मानद  जीव जंतु कल्याण अधिकारी नियुक्त कर सम्मानित  करता रहा है  वही  केंद्र सरकार की  पशुओं पर अनुसंधान कार्य करने के लिए बनाई गई जांच कमेटी  "सीपीसीएसईए"  का भी उन्हें  समय-समय पर प्रतिनिधि नियुक्त किया जाता रहा है।

पशु कल्याण के कार्यों को  हिमांचल प्रदेश में बेहतर बनाने के लिए  अक्सर शिक्षण- प्रशिक्षण  एवं  सेमिनार में शरीक होने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है। 


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Tuesday 5 May 2020

आसरा वेलफेयर सोसाइटी पशु कल्याण के लिए निरंतर समर्पित है : रमेश मेहता ,आसरा वेलफेयर सोसाइटी ,बठिंडा (पंजाब)



आसरा वेलफेयर सोसाइटी  हर दिन कुछ न कुछ जीव दया से संबंधित कार्य करती रहती है। कोरोनावायरस के चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए  केंद्र सरकार ने  द्वारा जारी लॉक-डाउन के नियमों को पालन करने के लिए जहां एक ओर  सरकार की ओर से सख्ती बरती जा रही है, वहीं दूसरी ओर  पशु प्रेमी अपना परवाह न करते हुए  निराश्रित पशुओं की सेवा में लगे हैं। हालांकि, सरकार की ओर से विभिन्न संचार माध्यमों के द्वारा यह लगातार लोगों से कहा जा रहा है कि वह अपने घरों में रहे, ताकि जाने-अनजाने में जानलेवा वायरस के संक्रमण से बचा जा सके। लेकिन प्रश्न यह है कि  देश-भर के  पशु प्रेमियों  को सरकार के द्वारा जारी नियमों के अनुसार स्थानीय प्रशासन के आज्ञा अनुसार पशु - पक्षियों को भोजन- पानी और दवा देने कार्य कर किया जा रहा हैं। इस दिशा में भटिंडा (पंजाब) की प्रतिष्ठित  स्वयंसेवी संस्था "आसरा वेलफेयर सोसाइटी"  के प्रमुख रमेश कुमार मेहता स्नास्था के  सदस्यों के साथ  हर दिन कुछ न कुछ करते रहते हैं।  संस्था प्रमुख  मेहता ने बताया कि उनकी संस्था हर दिन पशुओं की सेवा के लिए काम करती है और जब निकलते है  तो काम को पूरा करके ही आते हैं।  उन्होंने बताया कि इस समय रोजाना   पशु भोजन वितरण का एक पर्व जैसा चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज पशुओं के सेवा के लिए  भोजन व्यवस्था  बहुत जरूरी है जिसे बड़े शिद्दत के साथ किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने एक संक्षिप्त रिपोर्ट भेजा है, जिसका विवरण इस प्रकार है :                                                                           -  सम्पादक
                                                                                                                             

बठिंडा (पंजाब) ; 5 मई 2020 :एनिमल वेलफेयर ब्यूरो

आसरा ने स्ट्रीट डॉग को पेडिग्री  खिलायी : समाजसेवी संस्था आसरा वेलफेयर सोसाइटी  बठिंडा  की और से  कोरोना  वायरस  के  चलते कर्फ्यू के दौरान संस्था ने स्थान : किलार  , रेलवे  रोड ,मॉल  रोड,पीरखाना  रोड ,आदि स्थानों पर स्ट्रीट  डॉग को पेडिग्री  खिलायी  यह  दानी सज्जन   वनीत  कुमार  की और से 40 किलो   स्ट्रीट  डॉग के लिए  पेडिग्री  मुहैया  करवाई गयी  संस्था   सदस्यों की और से  यह पेडिग्री डॉग को  खिलायी जा रही है।  इस मौके संस्था संस्थापक  रमेश मेहता,विक्की कुमार, बालकृष्ण,सुरेश मंगी , रजत कुमार ,योगेश कुमार  आदि इस कार्य में शरीक हुए। 


आसरा ने गोवंश के लिए हरायेपुर गोशाला मे तुड़ी की ट्राली भेजी:समाजसेवी संस्था आसरा वेलफेयर सोसाइटी बठिंडा की और से गांव  हरायेपुर मे स्थित  सरकारी गोशाला मे रह रहे गोवंश के  लिए दानवीर राकेश कुमार कला के सहयोग से उक्त गोशाला मे गोवंश के लिए तुड़ी  की ट्राली  भेजी गयी।  संस्था संस्थापक  रमेश मेहता  ने बताया की हरायेपुर गोशाला  मे संस्था  की और से इस गोशाला के लिए हर संभव हरे चारे आदि  की सहायता दानी  सज्जनो के सहयोग से  किया जा रहा  है।  संस्था ने  समूह सदस्यों ने दानी परिवार को आभार प्रकट किया। 

बेटे के जन्मदिन पर गोवंश के लिए 30 क्विंटल 55 किलो हरा चारा दान किया:समाजसेवी संस्था आसरा वेलफेयर सोसाइटी बठिंडा  की और से गांव हरायेपुर मे स्थित सरकारी गोशाला मे  रह  रहे  गोवंश के  लिए  दानवीर  दीना नाथ गोयल( रिटायर चीफ मैनेजर ओबीसी  बैंक) ने अपने बेटे कशिश गोयल के 29 वह बर्थडे  पर 30 क्विंटल 55 किलो हरे चारे की ट्राली भेजी। संस्था संस्थापक  रमेश मेहता ने बताया की दानी परिवार ने बेटे के जन्मदिन पर हरे चारे की ट्राली भेजकर बहुत ही पुण्य का का काम किया है। इस  मौके  संस्था सदस्यों ने दानदाता परिवार का इस नेक काम के लिए अभिनंदन किया। 

अनुकरणीय हैं  पशु प्रेमी रमेश कुमार मेहता की मानवीय सेवायें  

रमेश कुमार  मेहता की उल्लेखनीय कार्यों को देख कर वर्ष 2018 में  केंद्रीय सरकार  के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने 14
सितंबर 2018 को मानद जनपदीय जीव जंतु कल्याण अधिकारी  को नियुक्त किया तबसे वह जीव जंतु कल्याण के लिए निरंतर दिन - रात लगे रहतें है।  मेहता के द्वारा किए गए द्वारा उल्लेखनीय कार्यों में कई प्रकार के योगदान शामिल है जिसमें प्रमुख तौर पर ,जीव-जंतुओं का आपातकालीन बचाव कार्य , बीमार घायल पशुओं को गली कूचे से उठाकर सेवा करना , स्कूलों विद्यालयों में जा कर जीव जंतु कल्याण पर व्याख्यान देना,स्थानीय प्रशासन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से सहायता मांगना,युवाओं एवं महिलाओं को प्रेरित कर जीव जंतु कल्याण कार्यों में हाथ बढ़ाने की अपील करना एवं उन्हें समय-समय पर कार्य करने के लिए आमंत्रित करना इत्यादि  शामिल है।  मेहता ने सिर्फ समाजके विभिन्न वर्गों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को ही पशु कल्याण के लिए ही अभिप्रेरित किया है, बल्कि  पुलिस प्रशासन,शिक्षा विभाग,नगर पालिका,पशुपालन विभाग,वन विभाग एवं राज्य तथा केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर पशु कल्याण की योजना बनाने के लिएहर क्षण अपने प्रयास को जारी रखा है।  मेहता ने जिस समय यह कार्य आरंभ किया था तो कोई मुट्ठी भर लोग उनके साथ थे।  आज, तकरीबन 12 ,000 से अधिक लोग इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। आसरा वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से तमाम दानवीर भी जुड़ें है जिनके  माध्यम से सहायता एकत्र कर जीव जंतु कल्याण को आगे बढ़ा रहे है।  मेहता पशु कल्याण के साथ -साथ अन्य सामाजिक कार्यों में भी खुल कर भाग लेते हैं किंतु पशु कल्याण एक उनका एक पैशन है, दीवानगी है जिसके लिए वह  प्रति पल समर्पित है। मेहता के कल्याणकारी कार्यों के उल्लेखनीय योगदान एवं सफलता के लिए कई क्षेत्रीय एवं  राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जा चुके हैं

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