ANIMAL WELFARE

Thursday 13 August 2020

भारत में पशु कल्याण पर जागरूकता एवं जनसंचार

Jump to navigationJump to searchभारत में पशु कल्याण पर पत्रकारिता एवं जनसंचार का कार्य वर्ष 1980 के दशक के दौरान शुरू हुआ। इस दिशा में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोकप्रिय प्रकाशन सेवाग्राम जर्नल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हिंदी में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विज्ञान पर प्रकाशित पत्रिका पशुपालक गाइड के प्रकाशन से आरंभ किया गया। जिसमें , पशु कल्याण तथा जानवरों के अधिकार के मुद्दों पर शामिल किए गए और बाद में यह प्रकाशन नए अनुसंधान और तकनीक पर आधारित विषय के प्रकाशन को अत्यधिक प्राथमिकता दिया। इसी क्रम में वर्ष 1986 से हरियाणा राज्य में स्थित करनाल से भारतीय कृषि अनुसन्धान पत्रिका के पहले संस्करण की शुरुआत एग्रीकल्चरल रिसर्च कम्युनिकेशन सेंटर द्वारा वर्ष 1986 से किया गया जिसमें कृषि और पशु विज्ञान अनुसंधान के साथ-साथ पशु कल्याण भी शामिल किए गए ।

वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से पशु पोषण पर पहली शोध पत्रिका -पशु पोषण अनुसंधान दर्शन(हिंदी त्रैमासिक) का प्रकाशन डॉ. आर. बी. चौधरी द्वारा आरंभ किया गया।   इस दिशा में सड़क पर छोड़े गए जानवरों की रक्षा करने और उनके देखभाल संबंधी सूचना प्रसारण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। पशु कल्याण पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जमीनी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने का कार्य किया [1] [2]। और पशु कल्याण पत्रकारिता और संचार में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया। डॉ. चौधरी भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रकाशन एनिमल सिटीजन(अंग्रेजी त्रैमासिक),जीव सारथी (हिंदी त्रैमासिक) एवं हिंदी अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले मासिक समाचार पत्रक एडब्ल्यूबीआई न्यूजलेटर लगातार दो दशकों तक संपादन किया[1]।

डॉक्टर चौधरी गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से पशु पोषण में स्नातकोत्तर की डिग्री के दौरान सूखे एवं पोषण विहीन चारे को फफूंद का उपयोग करके गोवंशीय पशुओं के लिए सबसे सस्ता और पौष्टिक आहार का अनुसंधान कार्य किया । इसी प्रकार डॉ चौधरी के डॉक्टरल अध्ययन के दौरान पता लगाया कि गायों के दूध निकालनें  के लिए ऑक्सीटोसिन हार्मोन द्वारा दूध उतारने दुरुपयोग किया जाता था जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए घातक होता है और दूध भी पीने लायक नहीं रह जाता है। वर्ष वर्ष 2011 में डॉ चौधरी के डॉक्टरल  रिसर्च से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड  द्वारा ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया के सामने रखा गया और ऑक्सीटोसिन के बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। [3] [4 ]।

डॉ चौधरी वर्ष 1994 में देश में पशु कल्याण के बेहतर प्रचार प्रसार हेतु रॉयल सोसाइटी फॉर क्रुएल्टी टू एनिमल्स, यूके (1994 -1996) द्वारा प्रायोजित पशु कल्याण पर प्रशिक्षण शिविर के आयोजन के लिए बतौर  पशु कल्याण शिक्षा अधिकारी के रूप में कार्य किया और वर्ष 1994 में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड में अधिकारी नियुक्त किये गए । इसी प्रकार भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के पत्रिकाओं के सम्पादन कार्य (1997-2020) किया। इस बीच सरकार की नीति के अनुसार डॉ. चौधरी मिडिया हेड के रुप में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में भी योगदान दिया।  सहायक सचिव (2007-2010) और संकाय प्रभारी- राष्ट्रीय पशु कल्याण संस्थान (2012) के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई।  डॉ चौधरी वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग द्वारा  सलाहकार नियुक्त किया उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग  के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता एनजीओ - प्रशिक्षण, मीडिया और शिक्षा के लिए "समस्त महाजन" के सलाहकार का भी सम्मान प्रदान किया गया [1][2][3]।

पशु कल्याण अनुसंधान, शिक्षा और संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. चौधरी को कृषि विज्ञान परिषद पुरस्कार (1982), ऋषभ पुरस्कार (2001), पशु कल्याण फैलोशिप पुरस्कार (2004) और वर्ष 2013 में न्यूज पेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा सम्मानित किया गया। पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान पर प्रकाशित होने वाली  पत्रिका पशुधन प्रहरी ने  वर्ष 2020 में  डॉ चौधरी को  पशु कल्याण के दिशा में  शिक्षा , प्रचार प्रसार एवं अनुसंधान  के उल्लेखनीय योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया है। पशु कल्याण  के नवीनतम जानकारियों के  प्रचार- प्रसार के लिए "एनिमल वेलफेयर" नामक  भारत की अग्रणी हिंदी मासिक पत्रिका का  प्रकाशन एवं संपादन कर रहे हैं।

संदर्भ:

https://hi.wikipedia.org/s/igt7