ANIMAL WELFARE

Wednesday 6 May 2020

पशु कल्याण के मामले में हिमांचल के मदनलाल पटियाल को लोग खूब जानते हैं - कोरोनावायरस के लॉक डाउन के दौरान पशु सेवा की कहानी उन्हीं के जुबानी



मंडी (हिमाचल प्रदेश) ;6 मई 2020 :एनिमल वेलफेयर ब्यूरो

पहाड़ी प्रदेशों में समस्याएं मैदानी इलाकों से काफी हद तक अलग होती हैं । यही कारण है कि पहाड़ में पशुओंका प्रबंधन मैदानी इलाकों जैसा नहीं होता।  वहां कई प्रकार की परेशानियां होती हैं। अधिक पशुओं की देख-रेख के लिए चारे का प्रबंधन बाहर से करना पड़ता है। कोरोना वायरस के लॉक डाउन के दौरान हिमाचल प्रदेश में चलाई जा रही गौशालाओं के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के वर्ष 2018 में नामित जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी मदनलाल पटियाल इस समय छुट्टा एवं निराश्रित पशुओं के रख-रखाव के लिए दिन- रात उनके लिए चारे दाने,पानी और स्वास्थ्य के प्रबंध के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें पशुओं की प्राण रक्षा करने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदेश में सबसे बड़ी परेशानी चारे की  है जिसे स्थानीय शासन के सहयोग एवं समर्थन से फिलहाल सुलझा लिया गया है किंतु, वह स्थाई निदान की मांग कर रहे हैं।


एनिमल वेलफेयर के संवाददाता को उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा कि जनपद प्रशासन केभरपूर सहयोग से चारे की उत्पन्न हुई विकट स्थिति  अभी हल कर ली गई अन्यथा समस्या विकराल हो सकता था।  वैसे चारे के अलावा और भी कई चुनौतियां खड़ी है लेकिन गाड़ी चल रही है। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान सभी मंडियों से ढेर सारी सब्जियां और फल-फूल भी मिलते रहे हैं जिसको चारे के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। मंडी से कई बार फूलगोभी भारी मात्रा में पशुओं को खिलाने के लिए दान मिला  है। आमतौर पर गेहूं का भूसा और पुआल /तूड़ी बाहर से मगाना गया है। पहाड़ में घास मिल जाती हैं लेकिन भारी मात्रा में जानवरों के भरण पोषण के लिए सूखे चारे पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जीव जंतु कल्याण के कार्यक्रमों में मंडी परिषद का भारी सहयोग मिलता है। सरकार से कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की भांति  विलासिता से संबंधित सेल-टेक्स के हिस्से से 1 -2 %  धनराशि को पशु कल्याण में दिया जाना चाहिए।

मदनलाल पटियाल पिछले दो दशक से जीव जंतु कल्याण एवं गौ संरक्षण संवर्धन में समर्पित है। जिले से लेकर के
 प्रदेश के तमाम विभागीय अधिकारी न केवल  उन्हें जानते हैं बल्कि उनके हर अनुरोध को  तत्काल स्वीकार कर लेते हैं और उस पर तुरंत कार्यवाही हो जाती  है।  जिलाधिकारी मंडी और जनपद के अन्य अधिकारी जैसे जिला पशु चिकित्सा अधिकारी,नगर निगम तथा पुलिस विभाग के आला अफसरसब से मिलकर वह काम  बड़े आराम से निकाल लेते हैं। कोरोना वायरस के लॉक डाउन के दौरान में सबसे बड़ी उनकी समस्या थी चारे के प्रबंधन की जिसके लिए वह खुद 5,100 रुपए का दान देकर तमाम दानवीरों को अभी प्रेरित किया और जनपद प्रशासन के विशेष सहयोग से पंजाब से चारा मंगा लिया गया। पटियाल ने बताया कि इस दौरान उनका फोकस सिर्फ पशुओं की देखभाल ही नहीं था बल्कि जरूरतमंदों को राशन एवं रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं को भी मुहैया कराया ,खास करके वह लोग जो जीव जंतु कल्याण के दिशा में दिन रात उनके साथ काम कर रहे हैं और तिहाडी के मजदूर है।

इस अवधि में तकरीबन 100 छुट्टा पशुओं को नगर निगम तथा निजी तौर पर चलाई जा रही गौशालाओं मेंसंरक्षण
हेतु भेजा गया ताकि उनकी वहां पर उनकी ठीक प्रकार से देख रहे हो सके। इस बीच में  प्रदेश के तमाम पशु प्रेमियों के माध्यम से यह आवाज उठाई गई थी कि  पंजाब और हरियाणा की तरह से हिमाचल प्रदेश सरकार को  नियमित वार्षिक बजट दिया जाना चाहिए  ताकि प्रदेश भर की गौशालाये  सफलतापूर्वक चल सके। पिछले कई वर्षों से किसी प्रकार की केंद्रीय सहायता नहीं मिल रही है। गौशाला और गौसदनों के लोग ही स्थानीय प्रशासन के माध्यम से छुट्टा और निराश्रित पशुओं की सेवा कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में पशु रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने की परम आवश्यकता है। इस दौरान पशु सुरक्षा कानून-कायदों को देखते हुए उन्होंने कई गौशालाओं का भ्रमण किया और पशुओं के बेहतर प्रबंधन का अनुरोध किया।

पटियाल जीव जंतु क्रूरता निवारण समिति मंडी के प्रतिनिधि के रूप में लॉक डाउन के दौरान सुबह गौशाला के
लिए निकल जाते हैं और फिर शाम को ही घर लौटते हैं। गौशाला का प्रबंधन किसी दूसरे के भरोसे न  छोड़ के अपनी निजी जिम्मेदारी निभाते हैं। उनका कहना है कि जिलाधिकारी मंडी एक बेहद तेज-तर्रार एवं कर्मठ-अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। उनसे उनकी खूब बैठती है। इसलिए जीव जंतु क्रूरता निवारण समिति के क्रियाकलाप हमेशा उत्कृष्ट होते हैं। साथ ही साथ समिति के क्रियाकलाप जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुरूप संचालित किया जा रहा है। उनका कहना है कि समिति के कई भावी परियोजनाएं लंबित हैं जिसे केंद्र सरकार के सहयोग से चलाया जाना सुनिश्चित किया गया है।

हिमाचल प्रदेश की समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि एसपीसीए को एंबुलेंस और अस्पताल कीपरमआवश्यकता है। प्रदेश में चरागाह के व्यवस्था की बात सरकार के सामने रखी गई है। सूखे चारे के प्रबंधन के लिए उन्होंने फाडर बैंक (चारा भंडार) और  नई गौशालाओं की स्थापना एवं संचालन के लिए सुनिश्चित बजट की भी मांग  बार-बार की जा रही है।  उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार पिछले 1 साल से पशु कल्याण के लिए कोई बजट नहीं दिया। इससे प्रदेश भर के पशु प्रेमियों में निराशा है।

कोरोना वायरस के लॉक डाउन के दौरान उन्होंने कई बार गौशाला परिसर में हवन करवाया और विश्वशांति के लिए पूजा - पाठ की।  पटियाल का मानना है कि  इस प्रकार के क्रियाकलापों से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है जो आज के परिवेश में बहुत जरूरी है। पटियाल का मानना है कि जीव जंतु कल्याण या जीव दया एक ऐसा कार्य है जो जीवन में निरंतर सकारात्मकता प्रदान करता है।  हर व्यक्ति को जीव जंतुओं की रक्षा कर  उन्हें अपने जीवन में  पशुओं के दोस्ती का आनंद उठाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति एक बार पशु से प्यार करे  तो उसे समझ में आ जाएगा कि दुनिया का हर पशु -पक्षी  कितना प्यार करता है और  कैसे अपनी भाषा में  मधुर प्रेम का संवाद करता है। 

मदनलाल पटियाल  हिमाचल प्रदेश में एक  बेहद लोकप्रिय  पशु प्रेमी है  केंद्र में भी  उनका बड़ा सम्मान है.पटियाल के उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।  भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड से वह तकरीबन एक दशक से  अधिक अवैध से जुड़े हुए  पटियाल  को बोर्ड ने  जहां मानद  जीव जंतु कल्याण अधिकारी नियुक्त कर सम्मानित  करता रहा है  वही  केंद्र सरकार की  पशुओं पर अनुसंधान कार्य करने के लिए बनाई गई जांच कमेटी  "सीपीसीएसईए"  का भी उन्हें  समय-समय पर प्रतिनिधि नियुक्त किया जाता रहा है।

पशु कल्याण के कार्यों को  हिमांचल प्रदेश में बेहतर बनाने के लिए  अक्सर शिक्षण- प्रशिक्षण  एवं  सेमिनार में शरीक होने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है। 


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