ANIMAL WELFARE

Sunday 24 May 2020

गुजरात के एक बहुचर्चित पशु प्रेमी देवेंद्र जैन का देश के मानवतावादियों से आग्रह

वापी (गुजरात) :
देवेंद्र जैन  गुजरात , राजस्थान  एवं महाराष्ट्र  के जैन समाज का एक जाना माना नाम है।  पिछले दो दशकों से दर्जन भर  सामाजिक संस्थाओं से  जुड़े हुए हैं।  देवेंद्र जी कहीं पर संस्था के अध्यक्ष हैं तो कहीं
पर उपाध्यक्ष और सदस्य। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड में मानद अधिकारी भी रह चुके हैं  और देश के  राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संस्था समस्त महाजन के  ट्रस्टी भी हैं।  अभी हाल में देवेंद्र जी श्री अजित सेवा ट्रस्ट वापी संचालित  राता  पांजरपोल  के नए कार्यक्रमों की शुरुआत से अपने को जोड़ा है  जो गुजरात में जीव दया दया, पशु पक्षियों के लिए करुणा तथा गौशाला पशुओं के लिए  एक नया आश्रय  स्थापित किया गया है।  जहां देवेंद्र जी के सहयोग से कई  कार्यक्रम फल फूल रहे हैं  और नव स्थापित संस्था  पशु सेवा ही नहीं लोगों को पशु सेवा के लिए  ज्ञानार्जन  एवं  पारिवारिक - संस्कार  के संदेश  देने वाले मनोरंजन का  केंद्र होगा।  लोग छुट्टियों में जाकर वहां  अपने परिवार के साथ जीव दया के  महत्व को समझेंगे।  इसी मनोकामना को लिए हुए  देवेंद्र जी  ने देश भर के मानवतावादी  महानुभाव से  आग्रह किया और  अपने संदेश में लिखा है -

सभी पशु प्रेमी बंधुओं को सादर 🙏🏻 नमस्कार - लॉकडाउन में आपके  स्वस्थ एवं प्रसन्न दिनचर्या की कामना। कोरोना  बनाम  करुणा : महा भयंकर  कोरोना की वैश्विक महामारी ने सिर्फ मानव - जाति के लिए ही नहीं पर निर्दोष व अबोल जीवो को भी  महा संकट में डाल दिया है।  मानवजात तो बोलकर भी अपना काम कर सकता है , पर , अबोलजीवो का क्या ? वह तो अपनी व्यथा भी व्यक्त नहीं कर सकते हैं।  जब मनुष्य लोक डाउन की परिस्थिति मे  घरो में बंद है।  तब निःसहाय ओर बेबस अबोलजीव गली नुक्कड़ या रास्ते में  भूखे  घूम रहे है।  भूखे - प्यासे असहाय पशु की विकट परिस्थिति देख परम आदरणीय  श्री अजित सेवा ट्रस्ट वापी संचालित  राता  पांजरपोल ने टेम्पो द्वारा  ढेर सारा  हरा चारा वितरण किया  गया और पक्षियो के चबूतरे पर जाकर जुवार-बाजरी आदि गाना दिया जा रहा है।  लॉकडाउन में आप घर से बहार नही निकल सकते हो तो कोई बात नही , संस्था के कार्यकर्ता सेवा में लगे है।  आपके आर्थिक सहयोग एवं समर्थन  की अपेक्षा करते हुए.......

आपका,

देवेंद्र जैन वापी ,
मोबाइल: 982512999 
बेस्ता 🐂 महीना
अबोलजीवो की दुआ के साथ
🙏🏻 मनाओ शुभ 🌹 कामना

समस्त महाजन ने राता पंजरापोल को परियोजना संचालन के लिए 11 लाख रुपए का दान दिया - देवेंद्र जैन ने राता पंजरापोल के चारा उत्पादन एवं परिसर को विकसित करने के लिए सहयोग की अपील की






वापी के देवेंद्र जैन ने राता पंजरापोल के चारा उत्पादन  परिसर को विकसित करने के लिए सहयोग की अपील की - समस्त महाजन ने  परियोजना संचालन के लिए 11 लाख  रुपए का दान दिया - संस्था के ट्रस्टी  रमेश भाई शाह ने 28 एकड़ जमीन चारा उगाने के लिए दिया


वापी (गुजरात) ;  25  मई 2020 : एनिमल वेलफेयर ब्यूरो 

गुजरात में अजीत सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित राता पंजरापोल (बापी) ने हाल ही में लॉक डाउन के विकट परिस्थिति में  पंजरापोल के नए परिसर का शुभारंभ किया गया है जिससे गुजरात के गौ सेवा अभियान में  एक  कड़ी जुड़ गई। संस्था के  ट्रस्टी देवेंद्र जैन ने बताया कि  पंजरापोल के इस परिसर का स्थापना इस नाते हो सका है कि संस्था के  ट्रस्टी रमेश भाई शाह ने  पंजरापोल के नाम 28 एकड़ जमीन  चारा उत्पादन हेतु प्रदान किया।  जैन ने यह भी बताया कि सहायता समस्त महाजन की ओर से  विशेष योजना संचालन  हेतु राता पंजरापोल को  11 लाख रुपए का दान  दिया  गया ताकि दान दी गई  राशि से जमीन को समतल करके उस पर चारा उत्पादन के लायक बनाया जा सके।  इस पंजरापोल में  एक प्रदर्शनी केंद्र - घासीबो  बनाया जा रहा है जहां पर लोग आकर के गाय को चारा भी डालेंगे और अपने परिवार तथा बच्चों के साथ के साथ मनोरंजन करेंगे। 

इस काम को करने के लिए उन्होंने जेसीबी , ट्रैक्टर और लेवलर की व्यवस्था किया। जिसका नतीजा है कि आज उबड़ खाबड़ जमीन पंजरापोल के पशुओं के लिए चारा उत्पादन एक एक बेहतरीन चारा उत्पादन केंद्र के किया जा सके। सिंचाई की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए ट्यूबवेल , कुआं  और टैंक का निर्माण कराया गया है।  इतने ही नहीं जल प्रबंधन व्यवस्था को  सुनिश्चित करने तथा  सिंचाई की सुविधा  हो उन्नत बनाने के लिए  ड्रिप  और स्प्रिंकलर सिंचाई की सुविधा प्रदान की।  जिसका नतीजा है कि आज  पंजरापोल में पाले जाने वाले पशुओं के लिए बेहतरीन चारा -जैसे सामण, जीजुआ  और धामण  घास उगाया जा रहा है।  इस नए परिसर के विकास में तकरीबन 11-12  लाख रुपए खर्च  पंजरापोले  खर्च किया है। भावी कार्यक्रमों को मध्य नजर रखते हुए आगामी 5 वर्षों के अंदर इस परिसर को और विकसित कर लिया जाएगा  जिस पर 10 से ₹15 लाख का  और अतिरिक्त खर्च आएगा। इस पंजरापोल में  एक प्रदर्शनी केंद्र - घासीबो  बनाया जा रहा है जहां पर लोग आकर के गाय को चारा भी डालेंगे और अपने परिवार तथा बच्चों के साथ के साथ मनोरंजन करेंगे। 

जैन ने बताया कि  इस पांजरा पोल के परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र - कसीबों बनाया जा रहा है जहां पर लोग आकर के गाय को हरा चारा भी डालेंगे और अपने परिवार तथा बच्चों के साथ के साथ मनोरंजन करेंगे।  आने वाले आगंतुकों  के लिए सिर्फ न केवल गौ संरक्षण संवर्धन का ज्ञान प्राप्त होगा  या प्रेरणा मिलेगी , बल्कि लोगों को भरपूर मनोरंजन मिलेगा।  उन्होंने बताया कि  प्रबंधन द्वारा  यह व्यवस्था की जा रही है कि कोई भी विजिटर जब आएगा तो उसे ऐसी सुविधा प्राप्त हो जहां चाहे तो मनोरंजन करें ,शादी की सालगिरह मनाए, कोई धार्मिक- संस्कृतिक- शैक्षिक-साहित्यिक संगोष्ठी/ सेमिनार अन्य  ज्ञान विज्ञान से संबंधित क्रियाकलाप कर शक है और उसे आनंद प्राप्त हो।  जब वह जाने लगे तो उसे कुछ सकारात्मक सोच या चिंतन या विचारधारा लेकर जाएं और गौ सेवा में  शुद्ध मन से सहायता करे । प्रबंध कार्यकारिणी का यह  भी योजना है कि इस पंजरापोल के परिसर में गौ संरक्षण से संबंधित फिल्म प्रदर्शनी, पंचगव्य की औषधियां, गौशाला पर बनाई हुई कलात्मक वस्तुएं इत्यादि प्रदर्शित की जाए। आगंतुकों को साथ साथ में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट भी उपलब्ध हो सके। 

अजीत सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित राता पंजरापोल (बापी) की ओर से  गुजरात के प्रख्यात समाजसेवी  तथा गौ भक्त , देवेंद्र जैन ने  अनुरोध किया है कि राता पंजरापोल (बापी) को विकसित करने के लिए  गौ सेवक , पशु प्रेमी तथा अन्य दयावान दानवीर अपना सहयोग प्रदान कर  लाभार्थी बने।  देवेंद्र जैन ने बताया है कि इच्छुक महानुभाव 9825129111  संपर्क कर सकते हैं।  उन्होंने यह भी कहा है कि इस  पर एक  वीडियो फिल्म बनाई गई है जिसको निम्नलिखित लिंक पर देखा जा सकता है : https://youtu.be/dwTGRednjZ8 

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झारखंड सरकार ने कहा कि केंद्र द्वारा जारी आदेशों के अनुसार गैर कानूनी ढंग से पशु-पक्षी की बिक्री करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी


केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार  झारखंड सरकार ने जीव जंतु क्रूरता निवारण (डॉग ब्रीडिंग एवं  मार्केटिंग ) नियम, 2017 एवं जीव जंतु क्रूरता निवारण(पेट शॉप) नियम, 2018  को राज्य में लागू करने का आदेश जारी किया है  -झारखंड सरकार ने कहा कि नियमों का प्रतिपाल न करने वालों  के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.......


रांची (झारखंड) 25 मई, 2020 : एनिमल वेलफेयर ब्यूरो

इस महीने की शुरुआत में भारत सरकार की ओर से भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर के यह अवगत कराया कि केंद्र सरकार ने जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत जीव जंतु क्रूरता निवारण (डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग ) नियम, 2017 एवं जीव जंतु क्रूरता निवारण(पेटशॉप) नियम 2018 पास कराया है ताकि पालतू पशुओं पर होने वाले अपराध को रोका जा सके। पत्र में यह भी दर्शाया गया है कि राज्य सरकारों कोइस संबंध में मार्च महीने में पत्र लिखकरयह अवगत कराया गया था किलाफ डाउन के दौरानपशु पक्षियों के विक्रेताओं द्वाराउनकी देखभाल न कर पानेऔर बंदी बनाए रखने के कारण तमामजूनोटिक बीमारियां होने की संभावना है।

साथ साथ पशुओं कोलव डाउन के दौरान भोजन पानी की व्यवस्थाना करने से उनका जीवन सिर्फ यात्रा पूर्ण ही नहीं है बल्कि उनकी जान जोखिम में है। इसलि केंद्र ने इस माह के शुरुआत में राज्य सरकारों को पत्र लिखकर निर्देशित किया किउपरोक्त दोनों नियमों का प्रति पालन सुनिश्चित किया जाए। लव डाउन के नियमों को मद्दे नजर रखते हुए नियम के सारे निर्देशों का पालन किया जाए। पत्र में यह बड़े स्पष्ट तौर पर कहा गया है किपशु पक्षियों के बेचे जाने वाले दुकानदारों को खोलने की अनुमति पंजीकरण के बाद ही प्रदान किया जाए।

इस दिशा में झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने अधिसूचना जारी कर सभी पशु पक्षियों के दुकानदारों को आगाह किया है कि वह नियमों का अच्छा सा पालन करें। झारखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा जारी उपरोक्त दोनों नियमों के सारांश नीचे दिए जा रहे हैं -

अ)झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा जीव जंतु क्रूरता निवारण(पेट शॉप) नियम 2018 के तहत जारी प्रमुख आदेश -

1)प्रत्येक ‘‘पालतू पशु दुकान:- किसी भी परिसर, बाजार, दुकान, घर, स्थान अथवा आॅनलाइन प्लेटफर्म जहाँ पालतू पशुओं का खूदरा, थोक विक्रय किया जाता है का राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड अन्तर्गत पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

2)पालतू पशु दूकान द्वारा प्रत्येक ‘‘पालतू पशु:- जिसके अंतर्गत कुत्ता, बिल्ली, खरगोश, गिन्नी पिग, हैमस्टर, मूसक या चूहिया प्रवर्ग के कृतंक तथा पिंजरबंद पक्षी (वन्य जीव अधिनियम से मुक्त पक्षी) की आयु से संबंधित रिकाॅर्ड को पशुचिकित्सक से प्रमाणित कराकर सुरक्षित रखना एवं विक्रय करना है।

3)राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा निर्गत विहित प्रपत्र में आवेदनकरता द्वारा रू॰ 5,000/-(पाँच हजार रूपये) का डिमाण्ड ड्राफ्ट राज्य जीव जन्तु कल्याण  बोर्ड, झारखण्ड, राँची के नाम से अपना आवेदन कार्यालय पता पर देय होगा।
4)राज्य  जीव जन्तु कल्याण बोर्ड,झारखंड मे पंजीकरण के लिए आए आवेदन पर पालतू पशु दुकान के निरीक्षण के पश्चात् जो सारी नियमों एवं अपेक्षाओं को पुरा करते है, उन्हें ही पंजीकरण प्रमाण पत्र निदेशक, (निबंधन पदाधिकारी) राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा जारी की जाएगी साथ ही किसी भी व्यक्ति की असत्य सुचना पर एवं पशुओं के प्रति क्रूरता करते हुए दोशी  पाए जाने पर पंजीकरण रद्द की जाएगी।

5)पालतू पशु का विक्रय से पूर्व चिकित्सा के समस्त अभिलेखों जैसे, टीकाकरण, चिकित्सा, विकृमिकरण एवं बेचे गए प्रत्येक पालतू पशु से संबंधित सूचना जैसे प्रजाति, संख्या, कीमत, अरोग्य/पंजीकरण प्रमाण पत्र, पशुचिकित्सक का नाम पता तथा दुरभाष संख्या से संबंधी रिकार्ड को सुरक्षित रखते हुए दुकान पर प्रदर्शित भी करेंगे।

5)पंजीकृत पशुचिकित्सक द्वारा प्रत्येक माह पालतू पशु का जाँच कर अरोग्य प्रमाण पत्र संधारित करना एवं स्वस्थ घोषित पालतू पशु का विक्रय करना है।

6)स्तन्यपानी पशु या अप्राप्तव्य  पशुओं या पक्षियों, ग्याभीन पालतू पशु या तरूण की देखभाल करने वाले मादाओं का विक्रय नहीं करेंगे साथ ही किसी भी पशु या पक्षी को दुकानों पर या उनके बाहर या खिड़की में भी प्रदर्शित नहीं करेंगे।

7)पालतू पशुओं हेतु स्वच्छ पेयजल, आहार, साफ-सफाई, मल-मूत्र विस्तारण व्यवस्था, रात में देखभाल हेतु पर्याप्त परिचर एवं पालतू पशु जो एक दूसरे के प्रति विद्वेष रखते है को बाडो में प्रदर्शित/नहीं करेंगे साथ ही अग्नि दुर्घटना, अन्य पशुओं से आक्रमण से बचाव/संरक्षा के लिए सभी आवश्यक पूर्व सावधानी रखेंगे।

8)पालतू पशु दुकान में मानव उपभोग (भोजन, चमडी तथा उत्साधनों) के लिए प्रयुक्त किसी पशु का विक्रय नहीं करेंगे।

9)प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी-पशुओं को देखभाल/संभालने के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति एवं पर्याप्त मात्रा में रखना है।

10)पालतू पशु दुकान स्वामी किसी जुनोटिक या संसारगिरक  बिमारी या संर्कमक के प्रकोप की सूचना स्थानीय पशुचिकित्सक, जिला पशु क्रूरता निवारण समिति, राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड एवं कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (पशुपालन प्रभाग) को लिखित सूचना देगें।

11)प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी-बीमार पशु एवं नए लाए गए पालतू पशु को पृथक करने के लिए  संगरोध या एकांतवास केंद्र की व्यवस्था एवं उसमें प्रयोग किए गए उपस्कर और आद्यानों को पृथक और सुभिन्नतः करेंगे तथा बीमार पशु को हटाने पर उसे पूर्ण विसंक्रमित करना है।

12)पालतू पशु दुकान स्वामी असाध्य बीमार या घातक रूप से घायल पालतू पशु को पशुचिकित्सक द्व़ारा सुख मृत्यु दिलाएगा, मृत पशु के शव को अतिशीघ्र हटाना एवं उसका अभिलेख रखेगा तथा राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड को सूचित करेगा। 

13)पालतू पशु दुकान में अंग विच्छेदित पालतू पशुओं (यथा श्वान पशुओं की पूँछ काटना   कान काटने ,  धवनी अवरोध शल्य क्रिया, डीबीकिंग सर्जरी अथवा अन्य प्रकार के अंग विच्छेदन आदि) का विक्रय नहीं किया जाएगा तथापि आवश्यक उपचारात्मक शल्य चिकित्सा की पशुचिकित्सक के नुस्खे पर छूट होगी।

14)पालतू पशु दुकान में क्रियात्मक माइक्रोचिप रहना अनिवार्य है एवं पशुचिकित्सक द्वारा माइक्रोचिप लगे पिल्लो को ही विक्रय किया जाएगा.

15)सोलह सप्ताह से अधिक आयु के पिल्ले और पशुओं के विभिन्न प्रजातियो का आयु प्रमाण पत्र पशु चिकित्सा द्वारा हस्ताक्षरित, प्रमाणित एवं संधारित रखना है साथ ही विक्रय के लिए प्रदर्शित पशु के तीन माह बीत जाने के बाद  अविक्रीत पालतू पशु का रजिस्ट्रर में प्रविष्ट करना एवं उसको गली में या अन्यत्र कहीं त्याग नहीं करना है।

16)पशु दुकान स्वामी यदि ग्रूमिंग सर्विस  खरहरा सेवाओं प्रदान करने के लिए आवेदन में उल्लेख करेगा  एवं ग्रूमिंग एरिया - प्राथमिक पशु बाडों और पशुचारा भंडारण से अलग रखेगा।

17)पशु क्षेत्रों में पेट प्रोडक्ट  और साज सामान को खुदरा या थोक विक्रय के लिए कदापि नहीं रखना है साथ ही पशु दुकान स्वामी निःशुल्क पशु क्रेता को पेट केयर लीफलेट पशु का /  ट्रेट  एवं बिहेवियर पैटर्न की जानकारी देना है।

18)पालतू पशु का विक्रय केवल व्यस्क व्यक्ति के साथ किया जाएगा एवं विक्रय किए गए पशु का रसिद की प्रति दुकान में रखी जाएगी।

19)पालतू पशु दुकान स्वामी राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड से निबंधित प्रजनक से प्राप्त पालतू पशु का विक्रय करेगा ।

20)प्रत्येक तीन माह के अन्तराल में जिला पशुपालन पदाधिकारी/क्षेत्रीय निदेशक, पशुपालन अपने क्षेत्रान्तर्गत पदस्थापित पशुचिकित्सक के माध्यम से पालतू पशु दुकान का निरीक्षण कर सूचना विहित प्रपत्र में राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड को उपलब्ध कराये।


बी)जीव जंतु क्रूरता निवारण (डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग ) नियम, 2017 के तहत  महत्वपुर्ण दिशा निर्देश -

1)प्रत्येक डाॅग ब्रीडर्स द्वारा राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड अन्तर्गत पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य है।

2)राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा निर्गत विहित प्रपत्र में आवेदनकरता द्वारा अपना आवेदन कार्यालय पता पर देय होगा।

3)आवेदन के साथ आवेदक द्वारा रू 5,000/-(पाँच हजार रूपये) का डिमाण्ड ड्राफ्ट राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड, राँची के नाम से देय होगा।

4)राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड रजिस्ट्रीकरण के लिए किसी आवेदन की प्राप्ति पर प्रजणक के स्थान पर बोर्ड द्वारा गठित समिति के निरीक्षण के पश्चात प्राप्त आवेदन पर विचारोपरान्त समाधान  होने पर ही प्रजनक और स्थापन इन नियमों के अधीन विनिदृष्ट अपेक्षाओं को पूरा करते हैं तब हीं रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र निदेशक, पशुपालन-सह-सदस्य सचिव (निबंधन पदाधिकारी), राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड द्वारा जारी की जाएगी।

5)पजीकरण प्रमाण पत्र को डाॅग ब्रीडिंग  सेन्टर पर प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य है।

6)कोई भी व्यक्ति असत्य सुचनाऐ देने अथवा पशुओं के प्रति क्रूरता के प्रकरण में सिद्धदोषी पाये जाने पर पंजीकरण हेतु अयोग्य होगा।

7)पंजीकृत पशुचिकित्सक द्वारा स्वस्थ घोषित श्वानपशु ही ब्रीडिंग के लिए उपयोग किया जाएगा ।

8)न्युनतम डेढ (1. 5) वर्ष तथा अधिकतम आठ (8) वर्ष आयु की मादा श्वानपशुओं को ही ब्रीडिंग के लिए उपयोग किया जायेगा। साथ ही न्युनतम डेढ (1. 5) वर्ष आयु के उपरान्त ही नर  श्वानपशु को प्रजनन हेतु उपयोग किया जाएगा।

9)डाॅग ब्रीडर्स द्वारा प्रत्येक श्वानपशु की आयु से संबंधित रिकार्ड को पशुचिकित्सक से प्रमाणित कराकर    सुरक्षित राखा जाएगा ।

10)मादा श्वानपशु से एक वर्ष में अधिकतम एक बार ही ब्रीडिंग करायी जाएगी।

11)मादा श्वानपशु से निरंतर दो ब्रीडिंग सीजन में ब्रीडिंग कराया जाना अवैध है।

12)मादा श्वानपशु से जीवन काल में अधिकतम पाँच बार ही ब्रीडिंग करायी जाएगी।

13)मादा श्वानपशुओं के गर्भाधान हेतु  Artificial Insemination  अथवा Rape Stand Technique का उपयोग कराया जाना अवैध है।

14)मादा श्वानपशु का अन्तः प्रजनन (Inbreeding) एवं सगोत्र प्रजनन (Incest  breeding) कराया जाना अवैध है।

15)श्वानपशुओं की पॅुछ काटने (Docking), कान काटने (Cropping), ध्वनि अवरोध शल्य क्रिया (Debarking, Surgery), अथवा अन्य प्रकार के अंग विच्छेदन (Declawing/Branding  /Dyeing) या श्वान पशुओं को अनोखा दिखाए जाने हेतु कृत्रिम संसाधनो/शल्यचिकित्सा अवैध हैं।

16)आठ (8) सप्ताह से कम आयु वर्ग के शिशु श्वानपशु विक्रय किया जाना अवैध है।

17)प्रत्येक शिशु श्वानपशु के विक्रय से पूर्व माईक्रोचिप लगाना, आवश्यक टीकाकरण तथा विकृमिकरण करना तथा चिकित्सा के समस्त अभिलेखों को पशु क्रेता को उपलब्ध कराना अनिवार्य है।

18)डाॅग ब्रीडर द्वारा बेचे गये प्रत्येक श्वानपशु से सम्बन्धित टीकाकरण, चिकित्सा, विकृमिकरण, पशुचिकित्सक का नाम, पता तथा दुरभाष संख्या से सम्बन्धित रिकार्ड सुरक्षित रखा जाना अनिवार्य
  हैं।

19)शिशुश्वानपशुओं के विक्रय हेतु जनसामान्य को प्रदर्शन (Public Display for Sale),  किया जाना अबैध हैं।

स ) कोरोना महामारी covid-19 की रोकथाम हेतु तालाबन्दी में छुट के उपरांत, वैधानिक रूप से अपंजीकृत डाग ब्रीडिंग सेन्टर तथा अपंजीकृत पेट शाप को खोले जाने की अनुमति न दिये जाने के संबंध में निर्देश जारी किया गया - 

1 )इस संबंध में उनहोने अवगत कराया है कि  Dog Breeders एवं Pet Shops  द्वारा बहुधा पशुओं के प्रति क्रूरता के निवारण से सम्बन्धित कानूनी प्रावधानों तथा उपभोक्तओं के संरक्षण से सम्बन्धित अनेकों कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है जैसे, विक्रय किये गये शिशुश्वान पशुआं के भुगतान की रसीद न देना, शिशुश्वान पशुओं को आठ हफ्ते की आयु से पहले ही बिना टीकाकरण कराये विक्रय कर देना, मादा श्वानपशुओं से वर्ष में दो बार गाभिन करवाना, आठ वर्ष से अधिक आयु वर्ग की मादा श्वानपशुओं को प्रजनन हेतु प्रयोग में लाना, स्वयं ही अवैध झोलाछाप डाक्टर के रूप में औषधियों का पशुओं पर दुरुपयोग करना, अनाधिकार टीकाकरण, अनेकों प्रकार की कास्मेटिक शल्य क्रियाएं करना एवं अवांछित तथा विक्रय न हो पाने वाले श्वानपशुओं/शिशुपशुओं को परित्यक्त करना, पशुओं की उचित चिकित्सा टीकाकरण न कराते हुए पशु रोगों तथा पशुजन्य मानव रोगों का प्रसार करना एवं अनेकों प्रकार की अवैध गतिविधियां आदि कार्य  सम्मिलित होता है।

2 ) Dog Breeding Centers तथा Pet Shops द्वारा विधिमान्य रीति से ही व्यवसाय सुनिश्चित किये जाने हेतु इनको Dog Breeding and Marketing Rules, 2017   एवं Pet Shops Rules, 2018 अन्तर्गत पंजीकृत कराया जाना अपेक्षित है। इस निमित विभागीय पत्रांक-89 दिनांक-12-09-2018 एवं पत्रांक-186 दिनांक-18-11-2019 द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से विज्ञापन प्रकाशन कर राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड से Dog Breeding Centers एवं Pet Shops का निबंधन कराना सुनिश्चित किये जाने की अपील की गई है अन्यथा नियमाकुल कार्रवाई का प्रावधान है।

3 )उल्लेखनीय है कि Dog Breeding and Marketing Rules, 2017  भारत सरकार के वेबसाइट “egazette.nic.in” पर दिनांक-23 मई 2017 के आसाधरण गजट (Issue no.-397) एवं Pet Shops Rules, 2018 दिनांक-6 सितम्बर 2018 के आसाधरण गजट (Issue no.-619) के रूप में उपलब्ध है। साथ ही कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, (पशुपालन प्रभाग) झारखण्ड, राँची के website “jharkhand.gov.in/animal-husbandry” पर भी उपलब्ध है जिससे उक्त अधिसूचना की प्रति download की जा सकती है।

4 ) विदित हो कि पशु क्रूरता निवारण Pet Shop Rule 2018 के नियम 4 (5)के प्रावधान के अनुसार राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड से निबंधन अनिवार्य है एवं प्रत्येक पालतू पशु दूकान का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना है तथा नियम-3 के तहत बिना निबंधन के पालतू पशु दूकान को बंद कराने का प्रावधान है। साथ ही पशु के क्रूरता (Dog Breeding and Marketing Rules, 2017) के नियम-3 के अनुसार राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड में बिना निबंधन के Dog Breeding Centre को बन्द कराने का प्रावधान है। उक्त नियमों के अनुपालन हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के द्वारा भी Pet Shop and Dog Breeding Establishment के लिए राज्य जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड, झारखण्ड से निबंधन कराने का निर्देश दिया गया है एवं वैधानिक रूप से अपंजीकृत डाग ब्रीडिंग सेन्टर तथा अपंजीकृत पेट शाप को खोले जाने की अनुमति न दी जाय निदेशित है।


5 ) सभी उपायुक्त झारखण्ड को निर्देशित है कि वैधानिक रूप से अपंजीकृत डाग ब्रीडिंग सेन्टर तथा अपंजीकृत पेट शाप को खोले जाने की अनुमति न दी जाय तथा पुलिस प्रशासन एवं पशुपालन विभाग के संयुक्त जांच दल के माध्यम से अपंजीकृत प्रतिष्ठानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

झारखंड सरकार द्वारा जारी विशेष दिशा निर्देश

झारखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने पशु विक्रेता दुकानदारों से अपीलकी है कि धोखाधड़ी एवं पशुओं के प्रति छेड़-छाड़ या क्रूरता पाई गई तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही साथ अनुरोध किया गया है कि पशुओं से होने वाली जूनोटिक बीमारी का ध्यान रखा जाए और उनकी रोकथाम हेतु पंजीकृत पालतू पशु दुकान/ट्रेडर्स से ही पशु पक्षियों को खरीदा जाए।इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए संपर्क सूत्र है :

निदेशक -पशुपालन , पशुपालन भवन, पशुपालन निदेशालय, झारखण्ड़, हेसाग, हटिया, राँची, पिन -834003 अथवा कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग,झारखण्ड सरकार , दुरभाष-0651.-2290033 E-mail: ahdJharkhand@gmail.com / awbJharkhand@gmail.com

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करोना लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा बेजुबानों के लिए 41 दिन तक सफल भोजन वितरण संपन्न- देश के तमाम पशु प्रेमियों ने उत्तराखंड को सभी राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत कहा

करोना लॉकडाउन  के दौरान उत्तराखंड  पशुपालन विभाग के तत्वाधान में बेजुबानों के लिए  41 दिन  तक सफल भोजन वितरण संपन्न-  देश के  तमाम पशु प्रेमियों ने उत्तराखंड को सभी राज्यों  लिए  प्रेरणा स्रोत कहा- झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रभारी डॉ शिवानंद ने उत्तराखंड  जीव जंतु कल्याण बोर्ड को मार्गदर्शक बताया - उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड के  प्रमुख डॉ. आशुतोष जोशी ने बताया कि हमारी छोटी-मोटी  पशु कल्याण की कोशिशें चलती रहती है....




हाइलाइट्स : 

@ उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा बेजुबानों हेतु रोटी वितरण किया गया  
@ विभाग 41 दिनों तक किया  बेजुबानों  की  अनुपम सेवा
@ देहरादून के हर इलाके में  योजनाबद्ध ढंग से पहुंचाई गयी  रोटियां
@ कोशिश रही है कोई भी बेजुबान  भूखा न रहे- भूख या प्यास से न मरे 
@ पशु चिकित्सा अधिकारियों सहित दर्जनों कर्मचारियों का योगदान 

देहरादून (उत्तराखंड); 24 मई 2020 :  डॉ. आर.बी. चौधरी , संपादक -एनिमल वेलफेयर 

लॉक डाउन के बाद  हर शहर के पशु -पक्षियों की हालत बड़ी ही दयनीय हो गई थी  किंतु  भारत के प्रधानमंत्री 
नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश में पशुओं को भोजन देने के अनुरोध के बाद सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों ने  इस  अनुरोध पर अभी विचार कर रहे थे किंतु  उत्तराखंड का पशुपालन विभाग सबसे पहले आगे आया  और  पशु चिकित्सा अधिकारियों को न  केवल पशु सेवा, स्वास्थ्य की देख-रेख  एवं पशु कल्याण में हाथ बटाने को कहा बल्कि, सरकार की ओर से एनिमल फीडिंग- "बेजुबानों  के लिए रोटी वितरण कार्यक्रम" चलाया गया जो पिछले 41 दिनों तक  लगातार  चलाया गया  ताकि छुट्टा पशुओं कब भूख प्यास से  प्राण बचाया जा सके।  देखते ही देखते यह कार्यक्रम  न  केवल सफल रहा बल्कि अत्यंत लोकप्रिय भी रहा है।  

यह बता दें कि  देशभर में अग्रणी भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड पशुपालन विभाग  कि पशु कल्याण में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां  जो राज्य को पहले पायदान पर ले जाती है। पशु कल्याण पर  केंद्रीय अधिसूचनाओ  के जारी होने से पहले  ही उत्तराखंड सरकार पशु कल्याण पर कार्यक्रम आरंभ कर चुका था। इतना ही नहीं आपदा प्रबंधन गाइडलाइंस में  जन स्वास्थ्य  मामले को सुनिश्चित करने के लिए पशु चिकित्सकों की भूमिका को जुड़वाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह देश के सभी राज्य के पशुपालन विभाग के लिए बहुत बड़ी सीख है।  इन कार्यों के सफल संचालन के लिए देश के पशु प्रेमियों ने   उत्तराखंड सरकार को अपना आभार प्रकट किया है। 

इस कार्यक्रम पर सम्बंधित वीडिओ देखें :


एनिमल वेलफेयर पत्रिका के  एक अध्ययन में पाया गया कि कोरोना लॉकडाउन के शुरू होते ही  जब लावारिस जानवरों के भोजन- पानी का संकट खड़ा हो गया था और प्रधानमंत्री मोदी के 21 मार्च को दिए गए भाषण के ठीक अगले दिन से उत्तराखंड के पशुपालन विभाग द्वारा  स्थानीय स्तर पर इनके भोजन प्रबन्ध के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर अपनी बात पहुंचाने का सिलसिला भी शुरू हो गया था। हालांकि, शासन की ओर से पहले से ही पशु सेवा के  कार्य योजना निर्माण  एवं संचालन अनुमति मिल चुकी थी। लेकिन पशु प्रेमियों के अगुवाई में देहरादून एवं अन्य शहरों में पशु प्रेमी व संस्थाएं अपने स्तर से  शहर में घूम-घूम कर बेजुबानों के भोजन पानी की व्यवस्था आरंभ कर दी गई थी। इसलिए,   इस मौके पर पशु प्रेमियों की गुहार सरकार को और उत्साहित किया जिसके परिणाम स्वरूप 7 अप्रैल से पशुपालन विभाग द्वारा देहरादून में बेजुबान  के लिए विशेष रसोई का संचालन आरंभ किया  गया।  प्राप्त जानकारी के अनुसार  बेजुबान रसोई  संचालन का कार्य 7 अप्रैल से 17 मई ( 41 दिन ) तक  संचालित किया गया जिसके तहत बेजुबानों के लिए रोटियां उपलब्ध कराई जा रही थी।


सूत्रों के अनुसार सहस्त्रधारा में विभागीय संगठन के भवन की रसोई में एक दिन में करीब 1,000 से 1100 अंडायुक्त परांठे दिए जा रहे थे जो किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद सुकून देने वाली खबर है।  यह बता दें कि  देहरादून क्या  देश के  सभी शहरों की हालत एक जैसी थी  क्योंकि लॉकडाउन में शहर के ढाबे-रेस्टॉरेन्ट में ताले लग हुए थे। हर शहर की भांति होटलों एवं ढाबों  के अवशेष एवं जूठन पर निर्भर  रहने वाले छुट्टा पशु खासकर, कुत्ते या अन्य मवेशी पशु  भी देहरादून में भी आश्रित थे। इस राष्ट्रव्यापी चुनौती में , खास करके देहरादून के सैकड़ों लावारिस कुत्ते लाचार एवं बेबस- भूखे- प्यासे घूम रहे थे। निरंतर मौत उनकी पीछा कर रही थी  किंतु इस कार्यक्रम के संचालन से  पशु प्रेमियों में प्रसन्नता की लहर  उठ गई। उत्तराखंड  जीव जंतु कल्याण बोर्ड के  प्रमुख डॉ आशुतोष जोशी ने बताया कि "बेसहारा कुत्तों के विभिन्न गैंग्स के बीच झड़प  की आवाज देर रात तक गलियों-कूंचों  मैं अक्सर सुनाई देती थी  जो बेहद  दुखद एवं दर्दनाक थी। लेकिन उत्तराखंड सरकार इस चुनौती से  डटकर मुकाबला किया  और हमें अच्छी सफलता मिली। "

उत्तराखंड पशुपालन विभाग  के अनुसार इस रसोई से बनी रोटियां विभाग के चिकित्सालय व डिस्पेंसरियों में भी भेजे जाने का कार्यक्रम चलाया गया जो  इस कार्यक्रम के  सफल संचालन में काफी  सहायक सिद्ध हुआ क्योंकि पशुपालन विभाग के चिकित्सालय एवं एवं डिस्पेंसरी के माध्यम से  देहरादून के पशु प्रेमी इन्हें लेकर अपने अपने मोहल्लों  के भूखे- प्यासे लावारिस कुत्तों को खिलाते थे। पशु प्रेमियों के सहयोग से  कुत्तों के भोजन वितरण में बहुत बड़ी सहायता मिली।  रोटी वितरण कार्यक्रम के संबंध में यह भी बताया गया कि चिकित्सालय आने वाला पशु  कोई प्रेमी 50  रोटियां तो  अपने आवश्यकतानुसार कोई 20 या 30 रोटी ले जाता था।  इस प्रकार  आवश्यकता के मुताबिक लगभग 1,000  रोटियां बनाने में प्रतिदिन 300 से 350 अंडे की  भी खपत होती थी।  इस समस्या को निपटाया  स्थानीय मुर्गीपलकों ने। यहां पर सबसे रोचक  एवं प्रेरक बात यह है कि पशुपालन विभाग  के इस मुहिम को अंडे मुफ्त में मिलते रहे  और इन अंडों की मुफ्त सप्लाई  देहरादून के आसपास के  मुर्गी पालकों द्वारा नियमित एवं निशुल्क की गई।


पशुपालन विभाग के कर्मचारियों  एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों का बहुत बड़ा योगदान था।  इस श्रृंखला में इस श्रृंखला में पशु प्रेमी ड्राइवर मनोज कुमार प्रतिदिन 9 बजे तक चिन्हित सभी 10 चिकित्सालय व डिस्पेंसरी में रोटियां पहुंचा पहुंचाने का कार्य  बड़े ही बखूबी  किया। इस प्रकार मनोज कुमार बेजुबानों की रोटियों वाला वाहन प्रेमनगर, राजपुर, मालसी, गढ़ी कैंट, सहस्त्रधारा, सर्वे चौक, पण्डितवाड़ी, अजबपुरकलां, सुभाषनगर व रायपुर स्थित विभागीय केंद्रों में रोटियां बांटने का  कार्य बड़े ही लगन से  किया।  विभागीय जिम्मेदारी के साथ साथ मनोज कुमार, सहयोगी कर्मचारियों एवं अधिकारियों  का यह जज्बा  देखने लायक था। बताया जा रहा है कि  पशु कल्याण से जुड़े अधिकारी पशु चिकित्सकों के बीच रहने से तमाम  कर्मचारियों का नजरिया पशु सेवा में बदल गया है। इस अभियान  केकरो ना वेरियर  के रूप में मनजीत ने रसोई की जिम्मेदारी ने संभाली हुई थी जहां  उनके साथ और पांच महिलाएं प्रतिदिन सिर्फ रोटियां बनाने में लगी रहती थी।  रोटी वितरण कार्यक्रम  का पूरा संचालन करोना वेरियर डॉक्टर कैलाश उनियाल समेत अन्य कई चिकित्सकों की एक बड़ी टीम पूरी लगी हुई थी जो पूरी व्यवस्था की निगरानी बड़े मुस्तैदी से की गई।

यह एक अत्यंत प्रेरक बात है कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर उत्तराखंड के पशुपालन विभाग, देहरादून द्वारा संचालित  बेजुबानों  को रोटी बांटने  के इस अत्यंत सफल अभियान में उत्तराखंड का हर कर्मचारी एवं अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर काफी संतुष्ट नजर आया।  विभाग बड़े ही  सूझबूझ के साथ  बेजुबान ओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया जिससे उनकी प्राण रक्षा करने में काफी सहायता मिली।  विभाग के द्वारा प्राप्त  जानकारी के अनुसार  हालांकि बीते 17 मई के बाद बेजुबानों की रसोई  कार्यक्रम को विराम दे दिया गया। लेकिन खुशहाली की बात यह है कि  इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय पशु प्रेमियों ने अपने हाथ में ले लिया है। स्थानीय पशु प्रेमियों सहित देश के  तमाम प्रांतों से पशु प्रेमी उत्तराखंड पशुपालन विभाग के प्रति आभार प्रकट किया है। देहरादून के पशु प्रेमियों ने देहरादून डी.एम. द्वारा प्रदत्त सहयोग के लिए भी आभार प्रकट किया है।  पशुपालन विभाग ने विभाग ने  इस कार्यक्रम में  सम्मिलित  सभी पशु प्रेमियों,  पशु कल्याण संस्थाओं तथा स्वयं सेवकों/ अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा  तन मन धन से सहयोग के लिए आभार प्रकट किया है। 

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