मंडी (हिमाचल) प्रदेश 4 जुलाई 2020 : एडब्ल्यू ब्यूरो
भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड से मनोनीत जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी एवं राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित,
मदनलाल पटियाल एवं जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी सीताराम वर्मा ने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि छत्तीसगढ़ सरकार की तरह प्रदेश में गोधन न्याय योजना शुरू की जाए ताकि प्रदेश सरकार किसानों से वर्गो सदनों गौशालाओं से गोबर खरीद कर किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इस मुहिम के संचालक पटियाल ने बताया कि गोबर गोमूत्र इस समय बड़े लाभ का सौदा है। पूरे देश भर में गोबर गोमूत्र से लाभ कमाने के लिए नई-नई आजमाइश की जा रही है। इस लिए छत्तीसगढ़ राज्य जैसा प्रयास हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा भी किया जाना चाहिए।
मदनलाल पटियाल एवं जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी सीताराम वर्मा ने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि छत्तीसगढ़ सरकार की तरह प्रदेश में गोधन न्याय योजना शुरू की जाए ताकि प्रदेश सरकार किसानों से वर्गो सदनों गौशालाओं से गोबर खरीद कर किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इस मुहिम के संचालक पटियाल ने बताया कि गोबर गोमूत्र इस समय बड़े लाभ का सौदा है। पूरे देश भर में गोबर गोमूत्र से लाभ कमाने के लिए नई-नई आजमाइश की जा रही है। इस लिए छत्तीसगढ़ राज्य जैसा प्रयास हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा भी किया जाना चाहिए।
पटियाल पिछले तकरीबन 2 दशकों से भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड से अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनके उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए सरकार ने पशु पक्षियों पर होने वाले अनुसंधान एवं परीक्षण की देखभाल के लिए बनाई गई समिति-सीपीसीएसईए का भी जिम्मेदारी उन्हें सौंपा हुआ है। पटियाल हिमाचल प्रदेश के महत्वपूर्ण पशुओं पर परीक्षण होने वाले संस्थानों की जांच कमेटी के सदस्य की भी भूमिका कई साल से निभा रहे हैं। पटियाल ने हिमाचल सरकार से आग्रह किया है कि यदि छत्तीसगढ़ राज्य जैसी व्यवस्था प्रदेश में कर दी जाए तो किसानों को और पशु सेवकों को बहुत बड़ा लाभ होगा। कोई भी पशु छुट्टा सड़क पर दिखाई नहीं देगा और न ही कत्लखाने जाएगा।
उन्होंने बताया कि गोबर गोमूत्र एक ऐसी प्राकृतिक उपाय है कि जिसमें भूमि को पोषित करने वाले सभी आवश्यक तत्व मौजूद होते है। गोबर गोमूत्र के बगैर आज खेती-बाड़ी करना मुश्किल है इसके बिना न ही स्वस्थ, सुरक्षित एवं पोस्टिक खाद्यान्न, फल फूल या सब्जी पैदा किया जा सकता है और न ही आमदनी पाई जा सकती। यही कारण है कि केंद्र सरकार जीरो बजट की खेती - ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रही है। ऑर्गेनिक खेती का सिद्धांत आज के परिपेक्ष में सबसे बेहतरीन खेती का माध्यम है जबकि रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग न केवल किसानों को हताश निराश बनाने वाली है। इस प्रकार गोबर की खाद किसान को बढ़िया आमदनी देने वाला बहुत बड़ा साधन है। क्योंकि, यह पर्यावरण और धरती के लिए भी सुरक्षा का सस्ता संरक्षण का उपाय है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों को देश के सभी रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक उत्पादन करने वाली प्राइवेट कंपनियां धीरे धीरे ऑर्गेनिक खाद का उत्पादन कर किसानों को मुहैया कराना चाहिए।
छत्तीसगढ़ सरकार को आभार प्रकट करते हुए उन्होंने बताया कि गोबर की खरीदारी से कत्लखाने जाने वाले पशुओं को बचाया जा सकेगा। अगर ऐसा हिमाचल प्रदेश में सरकार का निर्णय होता है तो सड़क पर कोई पशु दिखाई नहीं देगा लोगों में मवेशियों के पालने की होड़ लग जाएगी। इस तरह के जब भी उन्नत किस्म के तौर तरीके प्रकाश में आते हैं तो सरकार की सबसे पहली जिम्मेदारी है होनी चाहिए कि इस तरह की अनुपम योजनाओं को संचालित करने के लिए बेहतरीन योजना बनाएं और अनुशासनात्मक ढंग से उसका संचालन करें तभी सफलता हाथ लगेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपने प्रदेश के किसानों को आश्वासन दिया है कि प्रदेश भर के सभी किसानों की भागीदारी निश्चित ही नहीं करेंगे बल्कि सभी को लाभ प्रदान दिला कर दिखाएंगे।
पटियाल ने बताया कि आज स्थिति यह हो गई है कि गांव में कोई किसान अब दुधारू पशु पालना नहीं चाहता है। यही कारण है कि किसानों की जगह आज बड़ी बड़ी डेरिया उनका स्थान ले ली है जहां पर न तो पशुओं का सम्मान होता है और न ही उनसे मिलने वाले उत्पाद की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। डेयरी फार्म का हमेशा यही इरादा होता है कि ज्यादा से ज्यादा पशु उत्पादन और उसकी आमदनी उसे प्राप्त हो। इसी का नतीजा है कि पूरी दुनिया में जानवर पर होने वाले अत्याचार तथा अपराध बढ़ते जा रहे हैं। इंसान नित नए-नए खतरों से घिरता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब अवसर आ गया है कि पशुओं पर किए जाने वाले किसी प्रकार के अपराध और अत्याचार रोका जाए क्योंकि इससे इंसान को सिवाय नुकसान होने के फायदा नहीं हो सकता। नहीं तो करोना वायरस जैसी विपत्तियां आती रहेंगी और मानव का सफाया कर के चली जाएंगी। इसलिए बेहतर है कि हम प्रकृति की इज्जत करें और प्रकृति हमारी इज्जत करें।
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